भोपाल 1 फरवरी । उत्तर प्रदेश की तरह मध्य प्रदेश में भी बिजली की आपूर्ति बंद हो सकती है। दरअसल में बिजली कंपनियों के प्रस्तावित निजीकरण के खिलाफ बिजली कर्मी एकजुट हैं। कर्मचारियों ने चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि कंपनियों को निजी हाथों में देने की प्रक्रिया अगर शुरू हुई तो यहां बिजली आपूर्ति बंद कर दी जाएगी हालांकि अभी प्रदेश में निजी करण की प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है। इसके पहले कर्मचारी इंदौर, ग्वालियर,भोपाल में प्रदर्शन कर चुके हैं और जिला स्तर पर मीटिंग कर रहे हैं।
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बता दें कि केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने स्टैंडर्ड वेट डॉक्यूमेंट जारी कर सभी राज्यों को दिए गए हैं। बिजली कर्मियों के संयुक्त मोर्चा के पदाधिकारियों का कहना है कि इसके तहत बिजली वितरण कंपनियों को निजी हाथों में देने की योजना है उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल वितरण निगम बनारस को निजी हाथों में देने की प्रक्रिया शुरू भी हो गई है जहां बिजली कर्मियों ने 36 दिन तक विरोध प्रदर्शन किया और विद्युत आपूर्ति व्यवस्था कर दी थी तब जाकर निजीकरण की प्रक्रिया को मंत्री समूह की बैठक के बाद स्थगित किया गया।
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मध्य प्रदेश विद्युत अभियंता संघ के संयोजक वीकेएस परिहार का कहना है कि यूपी की तरह मध्य प्रदेश की मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी भोपाल मध्य प्रदेश पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी जबलपुर मध्य प्रदेश पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी इंदौर को निजी हाथों में सौंपने की योजना है जो बर्दाश्त नहीं करेंगे विरोध जारी है ऐसी कोई प्रक्रिया आगे बढ़ती है तो पूरे प्रदेश में विद्युत आपूर्ति बाधित करने के लिए मजबूर होंगे।
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गौरतलब है कि यदि बिजली कंपनियों का निजीकरण किया जाता है तो प्रदेश के एक करोड़ पचास लाख उपभोक्ताओं पर असर पड़ेगा इन्हें मिलने वाली सब्सिडी खटाई में पड़ सकती है निजी कंपनियां घाटा बताकर आसानी से बिजली के दाम बढ़ा सकती हैं उपभोक्ताओं के खिलाफ कानूनी मुकदमों की संख्या भी बढ़ जाएगी।
प्रदेश की तीनों कंपनियों में 30 हजार नियमित 35,000 हजार आउट सोर्स और 6000 हजार संविदा अधिकारी कर्मचारी हैं प्रस्तावित निजी करण के तहत इनका संविलियन में होना है अधिकारी का कहना है कि निजी कंपनियां कर्मचारियों के झूठे आरोप लगाकर मनमाने तरीके से काम ले सकती हैं और वेतन में कटौती भी करेंगे इस तरह से 80 हजार से ज्यादा कर्मचारियों की नौकरी खतरे में है।
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