बीजेपी नेता और मैहर सतना से विधायक नारायण त्रिपाठी अपनी बेबाक बाणी और प्रखर वक्ता के रूप में अपनी एक अलग पहचान बनाई है और जब वह किससे काम को करने की ठान लेते हैं तो वह अपना स्वयं का रास्ता बना लेते हैं अब विधायक नारायण त्रिपाठी ने विंध्य प्रदेश को पृथक राज्य करने की हुंकार भर दी है उन्होंने साफ तौर पर कहा है कि बीजेपी का हर आदेश सर माथे पर लेकिन बिंद प्रदेश के मामले में अब उनकी लड़ाई अंतिम निष्कर्ष तक रहेगी। नारायण त्रिपाठी की विंध्य प्रदेश की मांग को हर युवा सही ठहरा रहा और समर्थन भी पुरजोर दे रहा है ऐसे में बीजेपी नारायण को समझाने में लगी हुई है।
बता दें कि नारायण त्रिपाठी व पूर्व विधायक लक्ष्मण तिवारी विंध्य को लेकर पिछले दिनों चुरहट में लंबी चौड़ी रैली निकाल चुके हैं इस महारैली में युवाओं और छात्रों को इस अभियान में शामिल होने का आह्वान किया था नारायण त्रिपाठी का मानना है कि ऐतिहासिक दृष्टिकोण से भी जींद का एक अलग राज्य के रूप में महत्व है और अलग बिंदकी स्थापना करके ही हम क्षेत्र का विकास कर सकते हैं उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि यदि किसी विंध्य क्षेत्र के बच्चे को अच्छी पढ़ाई की जरूरत पड़ती है तो उसे जबलपुर इंदौर भोपाल या फिर ग्वालियर जाना पड़ता है।
विधायक नारायण त्रिपाठी ने कहा कि ऐसा ही चिकित्सा सुविधाओं के मामले में है और न्यायिक सेवाओं से लेकर तमाम ऐसे उदाहरण हैं जो बिंद के अलावा पूरे मध्यप्रदेश में फैले पड़े हैं नारायण त्रिपाठी ने इस बात का भी उल्लेख किया कि अगर छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद उस क्षेत्र का जिस तेजी से विकास हुआ है वह अपने आप में एक बड़ा उदाहरण है अरविंद में अकेला सिंगरौली ही पूरे बिंद के लिए विद्युत उत्पादन जैसी आवश्यकता की पूर्ति कर सकता है और यह एक उदाहरण मात्र है।
विंध्य में पर्यटन की अपार संभावना
उन्होंने बताया कि बिंद का पर्यटन राजस्व का बड़ा स्रोत हो सकता है जिस पर अभी तक ध्यान नहीं दिया गया नींद क्षेत्र को मंत्रिमंडल में केवल एक राज्य मंत्री दिए जाने से भी हुए असंतुष्ट नजर आए और उन्होंने साफ तौर पर कहा कि सबसे ज्यादा सीटें जीतने के बाद विंध्य क्षेत्र का यह हाल निश्चित रूप से निराशाजनक है नारायण त्रिपाठी अगले चरण में अब शहडोल में ताल ठोकने वाले हैं और उनके इरादे साफ तौर पर देखते हैं कि वह अब विंध्य से कम किसी भी बात पर सुनने को तैयार नहीं है। हालांकि पार्टी इस मामले में क्या रुख अपनाती है यह देखने वाली बात होगी।
समय-समय पर विंध्य की उठी मांग, लेकिन फिर नेताओं को कर दिया मैंनेज
बताते हैं कि इसके पहले भी कई बड़े नेता विंध्य प्रदेश की उपेक्षा को लेकर अपने ही सरकार पर सवाल खड़े किए थे यह कोई नई बात नहीं है कि विंध्य की उपेक्षा इन पांच 10 सालों में या फिर यूं कहें कि शिवराज शासनकाल में हुआ है विंध्य का अपना एक वजूद था लेकिन बीते 70 सालों में विंध्य का कोई भी माटी का लाल विंध्य क्षेत्र के सौतेले पर व्यवहार को लेकर आवाज नहीं उठाई आलम यह है कि आज विंध्य सड़क पानी बिजली स्वास्थ्य शिक्षा जैसी व्यवस्थाओं के लिए महरूम है। लोग बताते हैं कि कुछ एक नेता विंध्य की मां को लेकर आवाज उठाई और अपना हित होने के बाद वह मैंनेज गए। ऐसे में अब विंध्य का हर आम खास को लगता है कि कहीं नारायण त्रिपाठी भी उन्हीं नेताओं में से एक तो नहीं जिनका आगे हित हो जाए तो वह साइलेंट हो जाएं अब विंध्य की मां एक बार फिर ठंडा पड़ जाए।
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