रीवा। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में रीवा सहित पूरे संभाग में कई ऐसे संस्थाए जो पढ़ाई के मामले में विख्यात थे लेकिन अब वहीं कालेज कर्मचारियों की कमी का दंश झेल रहे हैं इसका सीधा प्रभाव कॉलेज में पढ़ रहे छात्र छात्राओं पर हो रहा है। यह समस्या कोई आज कि नहीं दशकों से चली आ रही है। पढ़ाई का जिम्मा अतिथि शिक्षकों के भरोसे चल रही है। इन दिनों प्रोफेसर्स और स्टाफ की समस्या की वजह से ये संस्थान बदहाली के दौर से गुजर रहे हैं। छात्रों के सामने सरकारी संस्थानों के दूसरे विकल्प नहीं होने से प्रवेश तो हो रहे हैं लेकिन उनकी पढ़ाई ठीक से नहीं हो पा रही है।
सीएम शिवराज का बड़ा ऐलान,25 की उम्र के बाद भी अविवाहित बेटियों को देगें पेंशन
बता दें कि कोरोना काल के बाद करीब दस महीने के बाद अव्यवस्थाओं के बीच कालेजों में कक्षाओं का संचालन तो शुरू हो गया है, छात्र आने भी लगे हैं लेकिन पढ़ाई की रफ्तार अभी नहीं पकड़ पा रही है। इसकी प्रमुख वजह पढ़ाने वालों की कमी को भी माना जा रहा है। बीते साल कालेजों में पीएससी के जरिए बड़ी संख्या में पद भरे भी गए हैं लेकिन इसके बाद भी छात्रों को आवश्यकता के अनुसार पढ़ाई की सुविधा नहीं मिल पा रही है। ऐसे में अब सरकारी संस्थाओं में बच्चों की रुचि भी काम हो रही है।
सीधी पुलिस पेश की मानवता की मिसाल,43 मजदूर लौटे घर,CM ने ट्वीट कर दी बधाई
अतिथि विद्वान भी नहींप्रमुख विषयों के प्रोफेसर के ज्यादातर कालेजों में अब भी प्रमुख विषयों के पद खाली हैं। कुछ कालेज में तो अतिथि शिक्षक भी नहीं है और जहां हैं तो वहा उन्ही के भरोसे कॉलेज चल रहे हैं।कॉलेजों में पढ़ाने के लिए अतिथि विद्वान तक नहीं है। नियमित स्टॉफ पढ़ाना नहीं चाहता। जिले के शासकीय कॉलेजों में फ़र्स्ट ईयर के बच्चों को पढ़ाई की चिंता इसलिए भी है कि अतिथि विद्वानों के सहारे व्यवस्थाएं हैं। शहर के प्रमुख कालेज टीआरएस, जीडीसी, माडल साइंस, सदाशिवराव गोलवरकर कालेज सहित अन्य कई हैं, जहां के छात्रों ने कहा है कि उन्हें अभी ठीक से पढ़ाई के लिए कक्षाएं नहीं मिल पा रही हैं। लंबे समय से कालेजों में पढ़ाने वालों के पद खाली होते जा रहे हैं। नई नियुक्तियां कई वर्षों के बाद बीते साल हुई हैं, उसमें भी अभी बड़ी संख्या में पद खाली हैं। कालेजों में अतिथि विद्वानों के जरिए कक्षाएं संचालित कराई जा रही थी लेकिन नई नियुक्तियां होने और खाली पदों पर अब नए सिरे से अतिथि विद्वान रखे जाने की प्रक्रिया के बीच पठन-पाठन प्रभावित हो रहा है।
सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से मिलीं सांसद,उठाई बढ़ा मुद्दा,मिला भरोसा
बता दें कि ऐसा नहीं की केवल प्रोफेसर्स के पद खाली हैं, तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के भी बड़ी संख्या में पद खाली हैं। जिसमें रीवा के अतिरिक्त संचालक क्षेत्र में तृतीय श्रेणी कर्मचारियों के 523 में 267 पद भरे हैं और 259 अब भी खाली हैं। चतुर्थ श्रेणी में 437 पदों में 253 भरे हैं और 184 खाली हैं। बताया गया है कि अब हर महीने सेवानिवृत्त होने का क्रम भी शुरू है।
हरियाणा : गृह मंत्री के भाई से डीआईजी को विवाद करना पड़ा महंगा, हो गए निलबिंत
सात जिलों में 2 प्राचार्य पर 72 कालेज का जिम्मा
रीवा और शहडोल संभाग के सात जिलों में दो प्राचार्यो के भरोसे 72 सरकारी कालेज चल रही हैं, अन्य 70 जगह प्रभारियों के भरोसे व्यवस्था है। जिसमें रीवा में 16, सतना में 16, सीधी में आठ, सिंगरौली में 10 कालेज हैं, सभी जगह प्रभारी प्राचार्य हैं। मतलब यह कि रीवा संभाग में एक भी नियमित प्राचार्य नहीं हैं। इसी तरह शहडोल संभाग में नौ कालेज हैं जिसमें एक में प्राचार्य की पदस्थापना है। वहीं उमरिया में छह में एक प्राचार्य हैं। अनूपपुर जिले में सरकारी कालेजों की संख्या सात है लेकिन प्राचार्य किसी पर भी नहीं हैं, हर जगह प्रभारियों के भरोसे व्यवस्था है। इन जिलों में प्रोफेसर्स के पद दोनों संभाग में 1134 हैं । जिसमें पूर्व से नियुक्त एवं पीएससी से बीते साल हुई नियुक्तियों के बाद 739 प्रोफेसर वर्तमान में कार्यरत हैं। अभी बड़ी संख्या में पद खाली हैं।
कृषि मंत्री कमल पटेल का बड़ा ऐलान आलू के साथ अब चिप्स भी बनाएंगे किसान,ऐसे
अतिरिक्त संचालक भी प्रभार में
कर्मचारियों के अभाव में कॉलेज की पूरी व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है। उच्च शिक्षा के क्षेत्रीय अतिरिक्त संचालक रीवा का कई वर्षों से प्रभार पर ही टिका है। यहां स्थानीय कालेजों में जो प्रभारी प्राचार्य होते हैं उन्हें में से किसी एक को प्रभार दिया जाता रहा है। वर्तमान में माडल साइंस कालेज के प्रभारी प्राचार्य डॉ. पंकज श्रीवास्तव के पास अतिरिक्त संचालक का भी प्रभार है। दो नियमित प्राचार्य शहडोल संभाग में हैं, वहां से रीवा की दूरी होने की वजह से वह कार्यालय को पर्याप्त समय नहीं दे सकते, इसलिए रीवा के ही किसी प्रभारी प्राचार्य को अतिरिक्त संचालक की भी जिम्मेदारी दी जा रही है।
निजी स्कूलों में शिक्षकों को नहीं मिल रहा वेतन,कई संचालक खड़े किए हाथ
विश्वविद्यालय में कई पद खाली अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय में भी बड़ी संख्या में प्रोफेसर्स के साथ ही अन्य पद खाली हैं। इसकी वजह से पठन-पाठन पर तो असर पड़ ही रहा है, साथ ही अन्य कार्य प्रभावित हो रहे हैं। विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के 17 पद स्वीकृत हैं जिसमें सभी खाली हैं लेकिन रिक्त पदों को लेकर कोई पहल नहीं की गई है। इसी तरह एसोसिएट प्रोफेसर के 23 में तीन ही पद भरे हैं। असिस्टेंट प्रोफेसर के 34 पद हैं जिसमें महज 18 भरे हैं। इसी तरह नान टीचिंग एवं टेक्निकल स्टाफ के 367 पदों में 234 भरे हैं और 134 खाली हैं। यहां पर पढ़ाई की जिम्मेदारी अतिथि विद्वानों पर है।
निजी हॉस्पिटल के नोटिस बोर्ड पर लगाने होंगे कोविड-19 इलाज का चार्ज,सरकार का फरमान
3 Comments
Hey very nice blog!! Man .. Beautiful .. Amazing .. I’ll bookmark your website and take the feeds also…I am happy to find numerous useful info here in the post, we need develop more strategies in this regard, thanks for sharing. . . . . .
I like what you guys are up also. Such smart work and reporting! Carry on the superb works guys I have incorporated you guys to my blogroll. I think it will improve the value of my site :).
Hiya very nice web site!! Guy .. Excellent .. Superb .. I’ll bookmark your blog and take the feeds additionally…I’m happy to find so many helpful information right here within the post, we want develop extra techniques on this regard, thanks for sharing. . . . . .