ग्वालियर। मध्यप्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार ने कोरोना वायरस संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए बड़ा कदम उठाया है। कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने सुप्रसिद्ध ग्वालियर व्यापार मेला समय से पहले बंद करने के आदेश जारी कर दिए हैं। दुकानदारों को 5 दिन का समय दिया गया है। ताकि वह अपना सामान ठीक प्रकार से शिफ्ट कर सकें। कलेक्टर ने जारी आदेश में कहां है कि मेले के सभी दुकानदार 28 मार्च तक अपना सामान समेट लें व दुकानों को खाली करें। ऐसे दुकानदार जो मेले से दुकान नहीं बंद करते उनके खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाएगी।
बता दें कि कलेक्टर ने कोरोना संक्रमितों के बढ़ने के कारण मध्यप्रदेश पब्लिक हैल्थ अधिनियम 1949 की धारा-60 के तहत सार्वजनिक स्थलों पर भीड़ नियंत्रण रखने की दृष्टि से मेला पूर्णत: बंद करने के लिए आदेशित किया है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी द्वारा प्राप्त प्रतिवेदन के आधार पर मेला समाप्त करने संबंधी आदेश हुए हैं। प्रतिवेदन में तर्क है कि बीते एक सप्ताह में औसतन 30 लोग कोरोना संक्रमित पाए गए हैं। आगामी दिनों में यह संख्या बढ़ने की आशंका है। ऐसे में कलेक्टर ने आदेश का कड़ाई से पालन करने को कहा है।
जिला प्रशासन के इस आदेश को लेकर विपक्षी पार्टी सहित श्रीमंत माधवराव सिंधिया ग्वालियर व्यापार मेला व्यापारी संघ के पदाधिकारी अव्यवहारिक करार दे रहे हैं। संघ का कहना है कि कलेक्टर का यह फैसला विवेकपूर्ण नहीं है। क्योंकि यह संभव ही नहीं कि दुकानदार रातों-रात अपनी दुकान का सामना बेचकर व समेटकर चले जाएं। लाखों रुपये पूंजी व्यापारियों की लगी है। उनके नुकसान की भरपाई कौन करेगा हालांकि संघ ने कोरोना को लेकर भी चिंता जताई है। मगर व्यापारियों का कहना है कि मेला समाप्त करने में भी 10-15 दिन लग जाते हैं। गौरतलब है कि 28 मार्च को होलिका दहन होगा, जबकि 29 को होली खेली जाएगी। उम्मीद की जा रही थी कि इस साल 115 साल के इतिहास में पहली बार मेले में होली खेली जाएगी।
व्यापारियों ने कहा कि कलेक्टर द्वारा जारी किए गया आदेश बिल्कुल भी विवेकपूर्ण नहीं है। ऐसा कैसे संभव है कि 28 तक व्यापारी मेला खाली करके चले जाएं। व्यापारियों के नुकसान की भरपाई क्या प्राधिकरण या फिर जिला प्रशासन कर सकता है? लाखों की लागत व्यापारियों ने लगाई है, नुकसान की भरपाई करने वाले की भी जिम्मेदारी तय होनी चाहिए। व्यापारी संघ इस आदेश का विरोध करता है, कोरोना की चिंता हमें भी है। मेला में सोशल डिस्टेंस सहित मास के अनिवार्य रूप से लगाते हैं और यदि नहीं लगाते तो उन्हें समझाइश दी जाती है। देखा जाए तो शहर में जितने भी लोग कोरोना संक्रमित निकल रहे हैं, उनकी कांटेक्ट हिस्ट्री अन्य राज्यों की है। कोई ऐसा नहीं है जो कह दे कि मैं मेले में गया था इसलिए संक्रमित हो गया।
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