भोपाल -कोरोना का एक भयावह रूप यह भी सामने आया है कि अस्पतालों के बाद अब श्मशान में शव जलाने तक की जगह नहीं बची। ऐसे में श्मशान के रास्ते और वाहन पार्किंग की जगह पर भी शव जलाए जा रहे हैं। चक्रतीर्थ घाट की सड़क पर ही शव जलाने पर अव्यवस्थाएं भी उजागर हुई है। उज्जैन शहर में कोरोनावायरस से मरने वालों की संख्या इतनी ज्यादा हो गई है कि अब विधिवत अंतिम संस्कार भी नहीं किया जा रहा। लकड़ियों का बड़ा सा ढेर लगाकर उस पर एक साथ दर्जनों शव होली की तरह रखकर जलाए जा रहे हैं। ताकि कम जगह में ज्यादा से ज्यादा लाशों को जलाया जा सके। कुछ अधजली लाशों को कुत्ते खा रहे हैं। कुछ लोगों को श्मशान के अंदर जमीन नहीं मिली तो शमशान की पार्किंग में लाश रखकर जला गए। सभी फोटो और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे है।
उज्जैन में सरकारी आंकड़ों के हिसाब से तो रोजाना लगभग एक या दो कोरोना संक्रमित मरीजों की मौत हो रही है लेकिन असली कहानी तो श्मशान घाट कह रहे हैं। उज्जैन के तीन अलग श्मशान घाट चक्रतीर्थ घाट, मंगलनाथ मंदिर के समीप ओखलेश्वर घाट और त्रिवेणी स्थित श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार किए जा रहे हैं। माना जा रहा है कि तीनों घाटों पर रोजाना 60 से 70 अंतिम संस्कार हो रहे हैं। रहवासियों और श्मशान घाट पर काम करने वालों ने बताया कि अंतिम संस्कार के लिए लगातार लाशें आ रही है। कर्मचारी राजेश कह रहे हैं कि इतनी अधिक लाशें आने से जगह कम पड़ रही है।
बंसल न्यूज़ ने सोशल मीडिया पर उज्जैन के फोटो जारी किए हैं। इन फोटोग्राफ्स में अधजली लाशों को कुत्ते खा रहे हैं (फोटो बहुत वीभत्स है इसलिए हम प्रदर्शित नहीं कर रहे )। जिस तरह से लाशें लावारिस पड़ी हुई है, देख कर कोई भी बता सकता है कि यह सभी कोरोनावायरस से संक्रमित लोग हैं, जिनके परिवार के लोग अस्थि संचय के लिए भी नहीं आए। सोशल मीडिया पर एक और फोटो वायरल हो रहा है। यह फोटो चक्रतीर्थ श्मशान घाट के बाहर दो पहिया वाहन पार्किंग का बताया जा रहा है। फोटो में दिखाई दे रहा है कि लोगों ने पार्किंग में लाशें जला दी क्योंकि श्मशान घाट में जगह नहीं थी। सूत्रों की माने तो अधजली लाशे छोड़कर जाने के बाद कुत्ते आकर शव को नोच रहे हैं।