सतना – सतना जिले से बड़ी खबर आ रही है यहां चित्रकूट में बीते ढाई साल पहले हुए 6 वर्षी जुड़वा भाईयों के अपहरण और हत्या के मामले में माननीय न्यायालय के 5 आरोपियों को सजा सुना दी है, लगभग 886 दिन से विचाराधीन मामले में जहां सप्तम न्यायाधीश प्रदीप कुशवाहा की अदालत में यह बहुचर्चित मामले पर आरोपियों को आजीवन कारावास का फैसला सुनाया है, वही पीड़ित पक्ष अदालत से फांसी की उम्मीद की थी पीड़ित पक्ष इस फैसले से असंतुष्ट नजर आया और हाई कोर्ट में अपील करने की बात भी कही।
राम की तपोभूमि चित्रकूट में 12 फरवरी 2019 को एक ऐसा हत्या कांड हुआ था, जिसमें पूरे प्रदेश को हिला कर रख दिया था।तेल कारोबारी बृजेश रावत के 6 साल के मासूम जुड़वा बेटों का अपहरण कर लिया गया था, एक करोड़ की फिरौती मांगी गई थी और 20लाख रूपए देने के बाद भी आरोपियों ने इन दोनों मासूमों को मौत के घाट उतार यमुना नदी में पत्थर बांधकर फेंक दिया था
इस जघन्य अपराध के छह आरोपी चिन्हित किए गए थे एक आरोपी ने जेल के अंदर ही पूर्व में खुद को फांसी लगा ली थी वही पांच आरोपी पर कोर्ट सुनवाई कर रही थी, आपको बतादें की श्रेयांश और प्रियांश यह दोनों मासूम जुड़वा भाई थे जो चित्रकूट के तेल कारोबारी बृजेश रावत के कुल का चिराग भी थे। चंद पैसों की लालच में इन दोनों मासूमों का दिनदहाड़े स्कूल बस से उतारकर अपहरण कर लिया गया था। पीड़ित परिवार से आरोपियों ने एक करोड़ की फिरौती की मांग की थी
परिवार ने प्रारंभिक 20 लाख रुपए दिए लेकिन बाबजूद इसके हत्यारों ने दोनों जुड़वा भाइयों को मौत के घाट उतार दिया था। यही नहीं लाश को पत्थर से बांधकर यमुना नदी में फेंक दिया। माननीय न्यायालय ने आज 26 जुलाई को मामले पर फैसला सुनाते हुए घटना के पांचों आरोपियों को दोषी करार देते हुए उम्र कैद की सजा सुनाई है
फैसले में आरोपी पद्मकान्त शुक्ला, राजू द्विवेदी और लकी तोमर को अदालत ने धारा 302 और धारा 364 A, 328 के तहत दोहरे आजीवन कारावास की सजा सुनाई है जबकि विक्रम और अपूर्व यादव को 120 B और 364 A, 328 के तहत उम्र कैद की सजा मुकर्रर की है वही प्रियांशु पिता बृजेश रावत न्यायालय के इस फैसले से असंतुष्ट नजर आए उन्होंने कहा कि हमने न्यायालय से इस जघन्य अपराध के आरोपियों के खिलाफ फांसी की सजा की उम्मीद लगाई थी जो पूरी नहीं हो सकी उन्होंने यह भी कहा कि मौत की सजा के लिए हमारी लड़ाई जारी रहेगी और हम उच्चतम न्यायालय हाई कोर्ट में अपील करेंगे।
आरोपियों के पिता फूट-फूटकर रोते हुए ने कहा कि न्याय व्यवस्था पर मुझे बहुत विश्वास है लेकिन मैं मासूम बच्चों को न्याय नहीं मिला पाया। मैंने अपने कर्तव्य का निर्वहन बड़ी कर्मठता से निभाया। ऐसे जघन्य अपराधियों को समाज में रहने का हक नहीं है। अपने अबोध बच्चों को मैं न्याय नहीं दिला पाया। ऐसे अपराधियों को समाज में जिंदा रहने का कोई अधिकार नहीं है समाज असुरक्षित रहेगा ऐसी सोच रखने वाले अपराधियों से जो पैसों के लिए ऐसे अबोध बच्चे निशाने पर हो। मैं ऐसे अपराधियों के खिलाफ लड़ता आया हूं और अंतिम दम तक लड़ता रहूंगा।