शिवपुरी। शिवपुरी में बेहतर काम व उंची पगार का लालच देकर 7 आदिवासी परिवारों के 39 सदस्यों की तस्करी का मामला सामने आया है लेकिन समय रहते सूझ-बूझ से आदिवासी मजदूरों को बचा लिया गया। बता दें कि शिवपुरी जिले के ग्राम डबिया से 7 आदिवासी परिवारों की मानव तस्करी का प्रयास किया गया। दो दिन पूर्व कुछ अज्ञात लोग गांव पहुंचे और आदिवासी मजदूरों को झांसे में लेते हुए गन्ना फैक्ट्री में काम देने का लालच दिया साथ ही बच्चों की मजदूरी 600 रुपए और बड़ों की 300 रुपए देने की बात कही। पैसों की बात सुनकर अनपढ़ और भोले भाले आदिवासी मजदूर तस्करों के झांसे में आ गए और उनके साथ गुना जाने को तैयार हो गए।
बता देगी मानव तस्कर 7 आदिवासी परिवार के सभी सदस्यों को एक ट्रक में बैठाया और उन्हें तिरपाल से ढ़ककर ले जा रहे थे ट्रक चले करीब 7 से 8 घंटे हो गए तो मजदूरों ने ट्रक रोकने के लिए कहां लेकिन ड्राइवर ने मना करते हुए आगे गाड़ी रोकने की बात कही जब ट्रक महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले के दौलताबाद पहुंची तब ट्रक को रोका गया जहां सभी मजदूर नीचे उतर गए और इनमें से कोई पानी पीने लगा तो कोई फ्रेश होने लगा इसी बीच इन मजदूरों में कुछ नए ड्राइवर की फोन पर हो रही बातचीत को सुन लिया जो इन आदिवासी मजदूरों को माल कह कर बात कर रहा था। मजदूरों को शक हुआ तो सभी ट्रक से उतर कर थाने पहुंचे लेकिन मदद नहीं मिली। सूत्रों की माने तो इसी बीच एक एनजीओ के संयोजक को आदिवासियों ने अपनी आपबीती बताई आदिवासियों की बात सुनने के बाद एनजीओ संयोजक ने गृह मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा और एसपी को सूचना दी।
मिली जानकारी के अनुसार मानव तस्करी की बात की खबर लगते ही गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने अधिकारियों से चर्चा कर तत्काल राहत पहुंचाते हुए सभी आदिवासी मजदूरों को सकुशल वापस बुलाया । फिलहाल मुक्त हुए मजदूर अपने गांव पहुंचने के बाद उनके चेहरे में खुशी साफ देखी जा सकती है सभी मजदूर अब सभी बचाने वालों को धन्यवाद। इस बीच अहम बात यह है कि 1 साल से 12 साल के बच्चों आखिर ऐसे कौन काम करवाने के लिए ले जाया जा रहा था जिसके एवज में 600 रुपए मिलने वाले थे। वहीं दूसरी तरफ मानव तस्कर आदिवासियों को गुना कहकर महाराष्ट्र ले जा रहे थे इसके पीछे उनका क्या मकसद था हालांकि सवाल का जवाब अभी तक ना तो जिला प्रशासन के पास है ना ही सरकार के पास अब देखना यह होगा कि पुलिस प्रशासन मानव तस्करों को पकड़ने में सफलता मिलती है या फिर तस्कर पुलिस की पहुंच से काफी दूर चले गए। फिलहाल पुलिस पता लगाने में जुटी है की आखिर कौन इन मजदूरों को कहाँ लेकर जा रहा था।