मेरठ के नेताजी, जो डेढ़ फीट लंबे हैं, विकलांगों की ओर से सरकार ले लोहा ले रहे हैं। विकलांगों के लिए शुरू इस आंदोलन में,कोई अपने पैरों पर ठीक से खड़ा नहीं हो सकता है, तो कोई व्हीलचेयर से आया है। लेकिन वह सरकार को अपनी मांगों को लेकर अपने सख्त तेवर दिखा रहा हैं। आंदोलन को देख सरकार के लोगों ने नाक खुजाने को मजबूर हो गए।
मेरठ। मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है कुछ ऐसा ही दिखा मेरठ जिले में जहां डेढ़ फुट के एक दिव्यांग ने अपने अन्य दिव्यांगो के हक के लिए सरकार से लोहा ले लिया है। जी हां आंदोलन तो बहुत देखा होगा, लेकिन ऐसा आंदोलन कभी नहीं देखा। जहां डेढ़ फुट के नेता जी जो अपने समाज के लिए आवाज उठा रहे हो . इस आंदोलन में कोई अपने पैरों पर ठीक से खड़ा नहीं हो पा रहा है, कुछ व्हीलचेयर से आ रहे हैं और कुछ को जमीन पर घिसटते हुए तो स्टिक के सहारे आंदोलन में पहुचें है। दरअसल दिव्यांग संगठन के एक वरिष्ठ सदस्य हैं, जिनकी ऊंचाई मुश्किल से डेढ़ फीट होगी, लेकिन साहस काबिले तारीफ है। इस विकलांग व्यक्ति के दोनों हाथ और पैर ठीक से काम नहीं करते हैं, लेकिन वे अपने जैसे हजारों लोगों की आवाज उठा रहे हैं।
बता दें अपने दिव्यांग नेता के साहस को देखकर विकलांग साथी भी उत्साह और भावना से भर जाते हैं। दिव्यांग संगठन मेरठ के सदस्य मोहम्मद मोहसिन न सिर्फ आवाज उठा रहे हैं, बल्कि अपने संगठन के नेता हैं. मोहम्मद साहब जब मंच पर पहुंचे तो दिव्यांग के अन्य साथियों ने उनके जोश और जज्बे को देख उन्हें फूलों की मालाओं से स्वागत किया और उनके हौसला,जुनून व संघर्ष को देख हर कोई हैरान है। उनके इस साहसिक काम के लिए सबने आभार जताया. मोहम्मद मोहसिन का जोश तब और बढ़ गई जब डेढ़ फुट लंबे नेताजी ने विकलांगों को संबोधित किया। दिव्यांगो के आंदोलन को देख सरकार के लोगों ने नाक खुजाने को मजबूर हो गए।
दरअसल दिव्यांगो ने मेरठ के चौधरी चरण सिंह पार्क में पहुंच अपनी आवाज उठाते हुए सरकार से कई आवश्यक मांगो को रखा . इन दिव्यांगों ने मांग की कि दिव्यांगों के लिए एक आयोग का गठन किया जाए जहां सभी अलग-अलग सक्षम दिव्यांग लोगों को ही नियुक्त किया जाए। निःशक्तजनों एवं विकलांगों के आश्रितों के लिए तकनीकी, चिकित्सा, शैक्षणिक, व्यावसायिक प्राथमिक से लेकर अनुसंधान तक सभी प्रकार की शिक्षा की पूर्ण शिक्षा निःशुल्क होनी चाहिए। दिव्यांग आयोग के माध्यम से विकलांग लोगों की भर्ती की जानी चाहिए। सभी बैकलॉक रिक्तियों को यथाशीघ्र एक निर्दिष्ट बोर्ड के माध्यम से भरा जाना चाहिए।
इस दौरान दिव्यांग संगठन ने सरकार से मांग की कि सभी विकलांगों को आत्मनिर्भर बनाने, दुकान चलाने या व्यवसाय चलाने के लिए 1 लाख रुपये से लेकर 10 लाख रुपए तक की ऋण राशि न्यूनतम वार्षिक ब्याज पर दी जाए, दिव्यांगों की पेंशन कम से कम 5000 प्रतिमाह की जाए। जिससे वह खुद व उन पर आश्रितों का भरण पोषण कर सके। इसके साथ ही UDID कार्ड को आयुष्मान कार्ड की तरह विकलांगों व उनके परिवार की चिकित्सा हेतु लागू किया जाये. इन दिव्यांगों का कहना है कि कि सभी पार्टी उनसे वोट लेती है, लेकिन दिव्यांगों के लिए आज तक कुछ किया नहीं है यही वजह है कि उनकी स्थिति जस की तस बनी रहती है. इसलिए वह अपनी मांगों को लेकर आवाज उठा रहे हैं।