सिंगरौली 30 अक्टूबर। पीआईयू विभाग व सिंगरौली के एक ठेकेदार के खिलाफ एक अधिवक्ता ने आर्थिक अनियमितता व राशि की बंदरबांट किये जाने का सनसनीखेज आरोप लगाते हुए विभाग में हड़कम्प मचा दिया है। अधिवक्ता का आरोप है कि गोडाउन निर्माण कार्य आरंभ के शैषव काल में ही ठेकेदार ने विभागीय अधिकारियों से सांठ-गांठ कर करीब 60 से 80 प्रतिशत एडवांस भुगतान आहरण कराने में सफल रहा है।
अधिवक्ता के इस शिकायत पर संभागायुक्त रीवा कार्यालय के डिप्टी कमिश्रर ने कलेक्टर सिंगरौली को पत्र लिखकर 15 दिवस के अंदर जांच प्रतिवेदन मांगा है। हालांकि यह आरोप पिछले माह सितम्बर का है। रीवा अधिवक्ता बीके माला ने कमिश्रर रीवा व आर्थिक अपराध शाखा को दिये शिकायती पत्र में आरोप लगाया है कि पीआईयू सिंगरौली के अधिकारी मेसर्स एमएसएलआर प्राइवेट लिमिटेड के ठेकेदार को लाभ पहुंचाने के लिए वित्तीय अनियमितता एवं संविदा शर्तों का उल्लंघन करते हुए बिना कार्य निष्पादन किये ही फर्जी मापी के आधार पर रनिंग बिल देयकों का भुगतान किया है।
पीआईयू ने ठेकेदार को किया उपकृत अधिवक्ता ने आरोप में कहा कि ठेकेदार को विभागीय अधिकारियों का डर नहीं है न ही कानून कायदा का खौफ है। मनमानी तरीके से संविदा कार्यों का निष्पादन गुणवत्ताविहीन तरीके से किया जा रहा है। इतना ही नहीं अधिकांश कार्यों का निष्पादन संविदा में निर्धारित तिथियों के पश्चात पूरी होने के बावजूद इसे किसी तरह की पेनाल्टी भी नहीं लगायी जाती है। ठेकेदार द्वारा सिंगरौली जिले में 2000 एमटी क्षमता के 15 गोदामों का निर्माण कराया जा रहा है। जिसमें अधिकांश गोडाउन का कार्य अधिकतम 15 फीसदी से 25 फीसदी के आस-पास ही किया गया है। लेकिन देय भुगतान 60 फीसदी से 80 फीसदी कर दिया गया है। ऐसे में कहीं न कहीं पीआईयू सिंगरौली के अधिकारी उक्त ठेकेदार पर मेहरबानी दिखाते हुए अनियमितता को पूरी तरह बढ़ावा दे रहे हैं।
पीआईयू के गोदामों में अनियमितता
इसमें कहीं न कहीं पीआईयू के अधिकारी की मिलीभगत माना जा रहा है। अधिवक्ता ने कमिश्रर को शिकायत करते हुए जांच कराने की मांग की है। रीवा के डिप्टी कमिश्रर ने सिंगरौली कलेक्टर को जांच करने के आदेश दिया है। अब यह देखना है कि पीआईयू के गोदामों में कितनी अनियमितता की गयी है और किस तरह से पीआईयू के अधिकारियों के द्वारा ठेकेदार को लाभ पहुंचाया गया है। लेकिन इस शिकायत के बाद पीआईयू विभाग में हड़कम्प की स्थिति निर्मित हो गयी है। वहीं पीआईयू सिंगरौली के कर्ताधर्ता प्रदीप चड्ढार कार्यपालन यंत्री डिवीजनल प्रोजेक्ट इंजीनियर के कार्यकाल में जमकर अनियमितता व राशि की बंदरबांट करने तथा निर्माण कार्य गुणवत्ता को नजर अंदाज करने के आरोप जमकर लगाये जा रहे हैं।
पीआईयू की कार्यप्रणाली चर्चाओं में सिंगरौली जिले का पीआईयू विभाग के संदिग्ध कार्यप्रणाली को लेकर अधिकारी,कर्मचारी की भूमिका चर्चाओं में है। जिला चिकित्सालय सह ट्रामा सेंटर निर्माण से लेकर जिले में स्वीकृत आधा दर्जन से अधिक गोदामों के निर्माण कार्य की गुणवत्ता पर पहले से ही प्रश्रचिन्ह लगाया जा रहा है। वहीं चर्चा है कि विभागीय अधिकारियों की मिली भगत से गुणवत्ता की अनदेखी भी की जा रही है। ठेकेदार मनमानी तरीके से निर्माण कार्य को करा रहा है। अधिकारियों के पास स्थल का मुआयना करने के लिए समय हीं नहीं मिल पाता। लिहाजा सब कुछ यहां भगवान भरोसे चल रहा है।
15 दिवस के अंदर मांगा जबाब
डिप्टी कमिश्नर ने 15 दिवस के अंदर मांगा था प्रतिवेदनअधिवक्ता के शिकायत के आधार पर संभागायुक्त रीवा के डिप्टी कमिश्रर राजस्व केपी पाण्डेय ने सिंगरौली कलेक्टर को पिछले माह 28 सितम्बर को पत्र लिखकर जांच प्रतिवेदन मांगा था कि पीआईयू व गोडाउन के ठेकेदार ने मिलकर निर्माण कार्य के आरंभ में ही 66 से 80 प्रतिशत राशि का भुगतान आहरित कर प्राप्त कर लिया है। जबकि उस दौरान गोडाउन का कार्य 15 से 25 प्रतिशत हुआ था। डिप्टी कमिश्रर ने कलेक्टर से 15 दिवस के अंदर जांच प्रतिवेदन भेजने के लिए आग्रह किया था, किन्तु सूत्र बता रहे हैं कि कलेक्टर के संज्ञान में उक्त पत्र आया ही नहीं है। हालांकि अधिकांश गोडाउन के इन दिनों 60 प्रतिशत से अधिक कार्य पूर्ण हो चुके हैं।
इनका कहना है जिसने भी यह आरोप या शिकायत की है वह पूरी तरह गलत है। क्योंकि जब सरकार से इतना बजट ही अभी नहीं मिला है तो ठेकेदार को भुगतान कैसे किया जायेगा। करीब 45 करोड़ में से केवल आधा भुगतान ही अभी तक हुआ है। प्रदीप चड्ढार-पीआईयू डीपीई,सिंगरौली
इनका कहना है
संभागायुक्त कार्यालय से जो पत्र जांच के लिए आया है उसके बारे में पता लगाता हूॅ और यदि इस तरह के आरोप लगाये जा रहे हैं तो उसकी जांच कराया जायेगा।राजीव रंजन मीना –कलेक्टर
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