गाजियाबाद: माड़वी हिड़मा उर्फ हिडमन्ना उर्फ हिडमालू उर्फ संतोष (Naxalite commander Madvi Hidma) नक्सलियों में सबसे खूंखार नाम है. माना जा रहा है कि सुरक्षाबलों को हिड़मा के बारे में जानकारी मिली थी और उसके खिलाफ ऑपरेशन चलाया जा रहा था. घने जंगलों के बीच चलाए जा रहे ऑपरेशन की जानकारी नक्सलियों को लग गई थी.
छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बीजापुर और सुकमा जिले की सीमा पर इस साल का अब तक का सबसे बड़ा खूनी खेल सामने आया है नक्सलियों के साथ एनकाउंटर में 22 जवान शहीद हो गए नक्सलियों ने रॉकेट लांचर से जवानों पर हमला किया था अभी भी कुछ जवान लापता है जिनकी तलाश की जा रही है कुल 22 शव बरामद किए जा चुके हैं वहीं 31 जवान जख्मी है जिनमें से कुछ की हालत नाजुक बताई जा रही है अब सवाल यह उठता है कि इस तांडव के पीछे का मास्टरमाइंड कौन है किसकी साजिश से बीजापुर की धरती खून से लाल हो गई है तो हम आपको मास्टरमाइंड के बारे में सब कुछ विस्तार पूर्वक बताते हैं
हिड़मा नाम है उसका, रमन्ना की मौत के बाद संभाला कमान
बता दें कि इस हमले का मास्टरमाइंड माड़वी हिड़मा है पुलिस खुफिया विभाग और नक्सल विरोधी ऑपरेशन में शामिल पुलिस अधिकारियों की मानें तो हिड़मा ने माओवादी नेता रमन्ना की जगह ली है आगे की बात करने से पहले आपको बता दें कि रमन्ना के सिर पर 14 करोड रुपए का इनाम था और कुछ साल पहले सेना ने उसे मार गिराया था हिड़मा रमन्ना से भी क्रूर और दुर्दांत है।
हिड़मा को मारने ही गए थे जवान
बताते चलें कि छत्तीसगढ़ में अब नक्सली हमलों को अंजाम देने का जिम्मा हिड़मा के ऊपर हालांकि सुरक्षा बलों के लिए यह खबर अच्छी नहीं है जो जानकारी मिल रही है उसके अनुसार शनिवार को सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच एनकाउंटर भी हिड़मा को लेकर हुई थी दरअसल हिड़मा की तरेम इलाके में होने की जानकारी पर ऑपरेशन लॉन्च किया गया था मगर इनमें फोर्स को सफलता नहीं मिल पाई बल्कि जवानों का हिड़मा की प्लाटून कंपनी से आमना सामना हो गया जिसमें सुरक्षा बल के जवान फस गए।
हिड़मा पर है 50 लाख रुपए का इनाम, TCOC के तहत किया गया यह हमला
वही हिड़मा पर छत्तीसगढ़ पुलिस ने 50 लाख का इनाम रखा है जानकारी के अनुसार नक्सलियों की तरफ से यह हमला टीसीओसी के तहत किया गया इस हमले का मकसद होता है अधिक से अधिक सुरक्षा बलों पर हमला किया जाए फरवरी से मई के आखिरी सप्ताह तक माओवादी संगठन इस कैंपेन को चलाते हैं शनिवार को हुआ हमला इस कैंपेन का हिस्सा था ऐसा इसमें भी कहा जाता है कि हर साल मार्च से लेकर अप्रैल मई तक माओवादी बड़ा हमला करते हैं।