Sriprakash Shukla ki Kahani: वैसे तो उत्तर प्रदेश और बिहार में एक से बढ़कर एक माफिया और अपराधी हुए हैं जिनके नाम का सिक्का ऐसा चलता था कि लोग आज भी उनके नाम से कांपते हैं, लेकिन पूर्वांचल के माफियाओं की बात करें तो उस लिस्ट में जिस बदमाश का नाम टॉप पर आज भी लिया जाता है वो है श्रीप्रकाश शुक्ला (Sriprakash Shukla) का यह वही बदमाश है …उत्तर प्रदेश के पूर्वाचल में अपराधियों के मुकदमे की सुनवाई चल रही है. मुख्तार अंसारी और बृजेश सिंह जैसे माफियाओं का नाम वहां के लोगों की जुबान पर है. लेकिन पूरब में एक और बड़ा अपराधी था जिसने अपने शोषण से बड़ा हाथ पीछे छोड़ दिया। ऐसे में आज हम लेकर आए हैं उस 25 साल के डॉन की कहानी जिसका नाम श्री प्रकाश शुक्ला था.
यूपी और बिहार में श्रीप्रकाश शुक्ला के नाम से लोग कांपते थे. इस डॉन का इतना खौफ था कि उसका नाम ही किसी की हालत खराब करने के लिए काफी होता था. कहा यह भी जाता है श्री प्रकाश शुक्ला का नाम सुनते ही कई लोगों ने मूत दिया था। श्रीप्रकाश के पास उस समय एके-47 थी जिससे उसने कई घटनाओं को अंजाम देकर अपने दुश्मनों को ठिकाने लगाया।..उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के ममखोर गांव में जन्में श्री प्रकाश (श्रीप्रकाश शुक्ल) शुरू में एक सामान्य किशोर की तरह थे, लेकिन अपने कद के कारण उन्होंने कुश्ती शुरू कर दी। उन्होंने कई स्थानीय स्तर की कुश्ती प्रतियोगिताओं में भी दृढ़ संकल्प दिखाया है। लेकिन पहली बार पुलिस दस्तावेजों में नाम सामने आया, जब 20 साल की उम्र में उसने गांव में एक युवक की हत्या कर दी क्योंकि लड़के ने शुक्ला की बहन के साथ दुर्व्यवहार किया था। इसके बाद शुक्ला विदेश भाग गए।
CM कल्याण सिंह की ली सुपारी: जब श्री प्रकाश कुछ समय बाद देश लौटा तो उन्हें मोकामा में पड़ोसी राज्य बिहार के जाने-माने नाम सूरज वन का संरक्षण मिला। उसके बाद उनके निर्देशन में देश के विभिन्न राज्यों के अलावा नेपाल में भी अवैध व्यापार शुरू हो गया। लेकिन सबसे बड़ा कांड श्री प्रकाश ने तब किया जब उन्होंने मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की हत्या की सुपारी ले ली। बताया जाता है कि शुक्ला ने करीब 6 करोड़ रुपये में डील फिक्स की थी।…बिहार के मंत्री बृजबिहारी के कत्ल का मामला अभी ठंडा भी नहीं हुआ था कि ऐसी खबर सामने आई कि श्रीप्रकाश शुक्ला ने यूपी के CM कल्याण सिंह की सुपारी ले ली, ये सुपारी करीब 6 करोड़ रुपये में लेने की खबर सामने आई थी। इस खबर से राज्य की सत्ता के उपर से लेकर नीचे तक सारे तार हिल गए थे।
रंगबाज और आयश था श्री प्रकाश शुक्ला : समय के साथ बदला पत्रिका की कतरनों में वही खबरें आने लगीं। लेकिन श्रीमान प्रकाश ने रंग-बिरंगे सट्टे से बत्मीजी भी की। जाहिर तौर पर वह जिस बैकग्राउंड से आए हैं, उनका इन सबका फैन होना तय है। कुछ ही देर में महंगी कार, सोने की चेन, बड़े होटल और महंगी कॉल गर्ल मिलने पर इनके अलावा शुक्ला को मोबाइल फोन बहुत पसंद थे। एक समय था जब कई फोन और करीब 14 सिम कार्ड का इस्तेमाल होता था।
लखनऊ के बीच में चलाई थी गोली : जिस तरह शुक्ला अपराध की दुनिया में अपना नाम बना रहे थे, उसी तरह उनका राजनीति से भी रिश्ता मजबूत हो गया था. लेकिन लखनऊ में उस समय हंगामा मच गया, जब 1997 में लखनऊ शहर के बीचो-बीच विधायक बीरेंद्र शाही की गोली मारकर हत्या कर दी।वह जिस अश्लीलता और जुए में लीन था, उसने श्रीप्रकाश शुक्ला को हमेशा के लिए काम पर रख दिया। श्री प्रकाश के स्वभाव को गहराई से समझने वाले कहते हैं कि वे राजनीति में आना चाहते था। उनकी रुचि राजनीति में थी इसलिए वे राजनीति मे आना चाहते थे।
गर्लफ्रेंड से मिलने जा रहा था पर मारा गया: साल 1998 में पुलिस को पता चला कि वह वसंत कुंज से गाजियाबाद (Ghaziabad) अपनी गर्लफ्रेंड से मिलने जा रहा है। फिर क्या दिल्ली-गाजियाबाद स्टेट हाइवे पर पुलिस ने अपना जाल बिछा दिया। इसके बाद दोपहर 2 बजे उसकी नीली सिएलो कार मोहननगर फ्लाईओवर के पास दिखी, पर शुक्ला पुलिस को देखकर खतरा भांप गया और गाड़ी को हाइवे से हटा लिया। …इसके बाद 20 मिनट तक चली मुठभेड़ में उसका और उसके साथियो का काम तमाम हो गया।..