Yasin Malik – टेरर फंडिंग केस में दिल्ली की एनआइए कोर्ट ने आतंकी यासीन मलिक को उम्रकैद की सजा सुनाई है. हालांकि एनआइए ने यासीन मलिक को फांसी की सजा दिए जाने की मांग की थी.अदालत ने यासीन मलिक को दो मामलों में उम्रकैद की सजा सुनाई. उन्हें अलग-अलग धाराओं में दस साल की सजा भी हुई है साथ ही बता दें कि कोर्ट ने यासीन मलिक Yasin Malik के ऊपर कई लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है.
Yasin Malik -नई दिल्ली : कश्मीर में आतंकी व अलगाववादी गतिविधियों के लिए टेरर फंडिंग दोषी यासीन मलिक Yasin Malik अब आखिरी सांस तक जेल में रहेगा. बुधवार को दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट के विशेष एनआइए न्यायाधीश प्रवीण सिंह ने यासीन मलिक Yasin Malik को गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता (आइपीसी) की विभिन्न धाराओं के तहत आजीवन कारावास की सजा सुनाई.
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यासीन मलिक Yasin Malik पर विभिन्न धाराओं के तहत 10 लाख 75 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया. अदालत ने 19 मई को मलिक को दोषी करार दिया था. 2017 में एनआइए ने उसे गिरफ्तार किया था, तब से वह जेल में ही है. फैसले से पहले कोर्ट के बाहर सुरक्षा कड़ी कर दी गई है.यासीन मलिक को दो मामलों में उम्रकैद और एक मामले में 10 साल जेल की सजा सुनाई गई है दिल्ली के पटियाला हाई कोर्ट ने यासीन मलिक को उम्रकैद की सजा सुनाई है.
यासीन मलिक को फांसी देने की मांग की गई थी
एनआईए ने अदालत के समक्ष यासीन मलिक Yasin Malik को सजा देने की मांग की थी यासीन के खिलाफ एक आतंकवादी वित्तपोषण का मामला कायम है,और यासीन ने 19 मई को दोषी ठहराया पाया जा चुका है जहा उसने अपना गुनाह स्वयं कबूल किया है. जिससे कोर्ट जल्द ही अपना फैसला सुना सकती है जिसके चलते श्रीनगर में कई जगहों पर कर्फ्यू लगा दिया गया है.
अदालत के फैसले से पहले लाल चौक और मासूमा इलाकों में उच्च सुरक्षा बलों को तैनात कर दिया गया है, हम आपको बता दें कि यासीन मलिक Yasin Malik पर चार जवानों की हत्या, जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री मोहम्मद मुफ्ती की बेटी को अगवा करने और कश्मीरी पंडितों की हत्या करने और उन्हें घाटी छोड़ने के लिए मजबूर करने जैसे कई संगीन आरोप है.
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आतंकी संगठन जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के चेयरमैन यासीन मलिक को बुधवार को कड़ी सुरक्षा में पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया गया. अदालत ने सभी पक्षों की दलील सुनने के बाद कहा कि अदालत अपना निर्णय साढ़े तीन बजे सुनाएगी. यह समय कई बार बढ़ाया गया। आखिर शाम करीब छह बजे विशेष न्यायाधीश ने अपना निर्णय पढ़ना शुरू किया.
इससे पूर्व सजा पर बहस के दौरान यासीन के तेवर बदले हुए नजर आए. 10 मई को उसने सभी आरोप स्वीकार किए थे, लेकिन बुधवार को उसने कहा कि वह कभी भी हिंसात्मक गतिविधि में शामिल नहीं रहा. खुफिया एजेंसियों के आरोप सही नहीं हैं.एजेंसी किसी भी आरोप को सिद्ध नहीं कर सकती.
पाकिस्तान से धन जुटाकर आतंकी गतिविधियों को अंजाम दिया
बहस के दौरान, एनआईए ने अदालत को बताया कि यासीन घाटी से कश्मीरी हिंदुओं के निर्वासन के लिए वह जिम्मेदार है. उसने पाकिस्तानी संगठनों की मदद से फंड जुटाया है और घाटी में टेरर, पत्थरबाजी और आतंकी हमले किए हैं. एनआईए ने अदालत को बताया कि मालिक Yasin Malik की मासिक आय 50,000 रुपये थी। घाटी के विभिन्न हिस्सों में उनके नाम पर जमीनें भी हैं. यासीन मलिक के परिवार में 12 सदस्य हैं.
मलिक पर 60 से अधिक मामले है दर्ज
यासीन मलिक Yasin Malik के खिलाफ आतंकी हिंसा, हवाला, हत्या और अपहरण समेत विभिन्न थानों में करीब 60 मामले दर्ज हैं. 1994 में जेल से रिहा होने के बाद, उन्हें 1998 तक कई बार गिरफ्तार किया गया, और एक महीने और कभी-कभी तीन महीने बाद रिहा हो जाता हैं. उन्हें अक्टूबर 1999 में पीएसए के तहत गिरफ्तार किया गया था, लेकिन कुछ ही समय बाद रिहा कर दिया गया था. उन्हें 26 मार्च, 2002 को आतंकवाद निरोधक अधिनियम (पोटा) के तहत गिरफ्तार किया गया था.
मार्च 2020 में, 25 जनवरी 1990 को श्रीनगर के रावलपोरा में वायु सेना के अधिकारियों पर हमला करने के लिए यासीन मलिक Yasin Malik और उसके सहयोगियों को टाडा अधिनियम, 1959 के तहत फंसाया गया था. इस हमले में वायुसेना के चार अधिकारी मारे गए थे। यासीन को दिसंबर 1989 में तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की सबसे छोटी बेटी रुबिया के अपहरण के मुकदमे का भी सामना करना पड़ रहा है.