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    Home » CM मोहन यादव के ननि अधिकारियों ने चार संविदाकारों पर लुटा दिए 28 करोड रुपए, कमिश्नर भी है घोटाले के राजदार
    Madhya Pradesh

    CM मोहन यादव के ननि अधिकारियों ने चार संविदाकारों पर लुटा दिए 28 करोड रुपए, कमिश्नर भी है घोटाले के राजदार

    पूर्व कमिश्नर, उपयंत्री पर भ्रष्टाचार के लग रहे आरोप, स्टोर प्रभारी के आईडी एवं पासवार्ड से खुलेंगे कई राज
    Pro VindhyaBy Pro VindhyaOctober 5, 2024Updated:October 5, 2024No Comments4 Mins Read
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    CM mohan yadav सिंगरौली । मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव जी नगर निगम में पूर्व कमिश्नर और उनके मातहत कर्मचारियों ने चार संविदाकारों पर करीब 28 करोड़ रूपये लूटा दिया है। एक साल के दौरान नगर निगम के अधिकारियों ने चार संविदाकारों पर ऐसी मेहरवानी दिखाई कि करीब 80 प्रतिशत कार्य इन्हीं से कराया गया। चर्चा है कि इस घोटाले के राजदार पूर्व कमिश्नर सतेन्द्र सिंह धाकरे भी है।

    दरअसल नगर पालिक निगम सिंगरौली में वर्ष 2022 के अलावा  फरवरी महीने तक में तकरीबन 28 करोड़ रूपये की विभिन्न सामग्रियां क्रय की गई। जहां आरोप है कि तत्कालीन ननि आयुक्त सतेन्द्र सिंह धाकरे, स्टोर प्रभारी उपयंत्री पीके सिंह एवं उपयंत्री अनुज सिंह समेत अन्य ने चार संविदाकारों पर ननि का जमकर धन लुटाया है। सूत्र बताते हैं कि जांच कमेटी ने जांच के दौरान ऐसे कई अहम तथ्य मिले हैं जो चौकाने वाले है। जानकारी के अनुसार वर्ष 2023-24 में चार संविदाकार मेसर्स शिव कॉन्स्ट्रकशन नवानगर , मेसर्स जेएल गुप्ता सीधी, मेसर्स शुभम इन्टरप्राईजेज पचखोरा एवं मेसर्स गोसिया इन्टरप्राईजेज गोभा को तकरीबन 80 प्रतिशत इन में से तीन-चार संविदाकारों को ही मिला है। CM

    इसके अलावा अन्य टेन्डर में कुछ न कुछ विशेष शर्ते लगाकर निरस्त कर दिये जाते थे। ताज्जुब तब हुआ जब टेन्टर खोलते समय अपने चहेते संविदाकार को लाभ देने के लिए जो शासन से शर्ते प्रतिबंधित हैं। उक्त सभी टेन्डरों में शर्ते लगाई गई। चर्चा है कि इसकी जांच के लिए स्टोर प्रभारी के आईडी एवं पासवार्ड मिलने के बाद ही वस्तुस्थिति का पता चल पाएगा। 

    आयुक्त के बिना स्वीकृति दे दिया कॉन्टेक्ट आर्डर  

    सूत्र तो यहां तब बता रहे हैं कि जेम पोर्टल पर खरीदी गई अधिकांश नस्तियों में संविदाकार के स्वीकृत एवं कॉन्टेक्ट आर्डर नोटसीट पर न्यूनतम दर, निविदा समिति या आयुक्त के स्वीकृति के बिना ही दे दिया था। यहां बताते चले की जब तक आयुक्त के द्वारा न्यूनतम दर की स्वीकृत प्रदान नही की गई है तो संविदाकार को बिना सक्षम स्वीकृत के बिना कार्यादेश कैसे दे दिया गया? अधिकांश नस्तियों में ऐसा ही खेल हुआ है।

    वही ई-टेन्डरिंग की निविदा पर पहले तकनीकि पार्ट खोलने का प्रावधान है और उसको समिति के माध्यम से नोटसीट पर स्वीकृत या निरस्त करने की कार्रवाई की जाती है। इसके बाद वित्तीय पार्ट खोला जाता है। परन्तु ऐसा नही हुआ है और अब पूर्व के टेन्डर प्रक्रिया में हुये घपलेबाजी को लेकर मामला जोर पकड़ लिया है। CM

    नगर निगम ऐसे हुआ भ्रष्टाचार 

    ननि के सेटअप के अनुसार ईई विद्युत, सहायक यंत्री, उपयंत्री एवं उपयंत्री विद्युत यांत्रिकी सेक्सन में सभी कार्यरत हैं और स्टोर में खरीदी जाने वाले सामग्रियों की गुणवत्ता की जांच इन्ही से कराए जाने का निर्देश था। 1 दिसम्बर 2023 को आयुक्त के निर्देशानुसार उक्त अमले से सामग्रियों के सत्यापन के बाद ही भुगतान करने का आदेश था लेकिन ऐसा नही हुआ। सिविल के उपयंत्री अनुज सिंह से सामानों के गुणवत्ता का सत्यापन कर भुगतान करा दिया गया जबकि सामग्री गुणवत्ता विहीन बताई जा रही है। CM

    28 करोड़ अधिकारियों और ठेकेदारों में हुआ बंदरबांट 

    ननि में करीब 28 करोड़ की घपलेबाजी को लेकर एक के बाद एक स्टोर प्रभारी उपयंत्री पीके सिंह, अनुज सिंह व पूर्व आयुक्त सतेन्द्र सिंह धाकरे के कारनामा सामने आने लगी है। सूत्र बताते हैं कि जेम पोर्टल निविदाओं को खोलकर नोटसीट पर तकनीकि स्वीकृति के लिए समिति में सक्षम स्वीकृति के लिए प्रस्तुत नही किया जाता रहा। केवल स्वयं स्टोर प्रभारी अकेले अपने आईडी से टेन्डर निरस्त कर देते थे। जबकि उनको निरस्त करने का अधिकार नही है। यह अधिकार केवल तकनीकि समिति को है। इसके बावजूद स्टोर प्रभारी ने ननि के राशि की बंदरबांट करने के लिए एक नही अनेक तरीके का रास्ता निकालते हुये व्यापक पैमाने पर भ्रष्टाचार किया है। CM

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