सिंगरौली 30 सितम्बर। शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में लाइसेंस शराब दुकान से कई गुना ज्यादा पैकारी की दुकानें संचालित है। आबकारी और पुलिस के लिए अवैध करोबारी मिस्टर इंडिया क्यों बने हैं यह हर कोई जानता है। सूत्रों की माने तो आबकारी और पुलिस विभाग हर महीने करोड़ों रुपए अवैध शराब कारोबारियों से वसूली करती है और उन्हें बेचने की खुली छूट दे रखी है।
भगवती मानव कल्याण संगठन सिंगरौली ने रैली निकालकर सोमवार को एसपी कार्यालय पहुंचकर जिलेभर में जगह-जगह बिक रही अवैध शराब को बंद कराने एएसपी को ज्ञापन सौंपा है। भगवती मानव कल्याण जिले को नशा से मुक्त करने के लिए दृढ़ सकल्पित है और लगातार अभियान छेड़ रखा है। कभी कभार तो यह अवैध कारोबारी संगठन के सदस्यों पर हमला करने से भी पीछे नहीं रहते।
ज्ञापन में भगवती मानव कल्याण संगठन ने पूरी तैयारी के साथ जिले में बिक रहे तमाम अवैध शराब बेचने वालों एवं पैकरी करने वालों की सूची भी साथ थी। जिसे देखकर एडिशनल एसपी शिवकुमार वर्मा भड़क गए और बेतुका बयान दे डाला। उन्होंने कहां की शराब से उतना नुकसान नहीं है अगर होता तो सरकार क्यों बिक्री करवाती। जनता इस बात को अच्छी तरह से जानती है कि सरकार जनता की कितनी हितैषी है। सरकार में बैठे जिम्मेदार जब अवैध काम करने में जुट जाए तो भला फिर उन्हें कौन रोक सकता है।
संगठन का आरोप है कि शराब सेवन से जहां पति-पत्नी के झगड़े पैसा ना देने पर माता-पिता के नशेड़ी पुत्र द्वारा हत्या करना और महिलाओं के साथ बलात्कार की घटना में दिन-ब-दिन बढ़ोत्तरी हो रही है एवं एक्सीडेंट हो रही है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार लगभग दो लाख सड़क दुर्घटनाएं प्रतिवर्ष होती हैं। जिनमें से 75 फीसदी शराब पीकर वाहन चलाना है। इन आंकड़ों में लगातार इजाफा हो रहा है। संगठन ने आगे आरोप लगाया है कि शायद एडिशनल एसपी अपने थानों में होने वाले अपराध की विवेचना को ध्यान से नहीं पढ़ते या फिर समाचार पत्रों में आए दिन शराब के कारण होने वाली दुखद घटनाओं से एएसपी का दिल नहीं पसीजता।
आगे कहा कि भगवती मानव कल्याण संगठन पूरे देश में नशा मुक्ति अभियान चला रहा है। जिले में 10000 से अधिक लोगों को नशा मुक्त किया गया है। उस पर भी एडिशनल एसपी द्वारा प्रश्न चिन्ह खड़ा किया गया कि आपने कितने लोगों को नशा मुक्त किया है। शायद नशा मुक्ति अभियान एडिशनल एसपी को रास नहीं आ रहा है। रैली में उक्त संगठन के पदाधिकारी व सदस्या समेत भारी संख्या में आम नागरिक शामिल हुये।