Singrauli News सिंगरौली। विधानसभा चुनाव की सरगर्मियां पूरे चरम पर है.मतदान में केवल 16 दिन शेष बचे हैं। सभी दल अपनी पूरी ताकत चुनावी रण में झोंक रहे हैं चुनाव मैदान में सिंगरौली जिले के अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित देवसर विधानसभा सीट में भाजपा कांग्रेस सहित अन्य दलों के 12 अभ्यर्थियों के नामांकन पत्र वैलिड है। अगर प्रत्याशियों की ओर से दिए गए शपथ पत्र पर गौर किया जाए तो भाजपा कांग्रेस के प्रत्याशी 50 के पार है जबकि आप और समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी नवयुवा है। समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी एमबीबीएस डॉक्टर सुषमा प्रजापति ताबड़तोड़ जनसंपर्क कर भाजपा के वोट बैंक में जहां सेंध लगा रही हैं तो वहीं कांग्रेस के जनाधार में भी जमकर घुसपैठ कर रही है। सुषमा प्रजापति के सरल स्वभाव और सौम्य व्यक्तित्व से लोग प्रभावित हो रहे हैं। हालांकि यह देखना होगा कि उनका प्रभाव क्या वोट में तब्दील हो पता है या फिर यह चुनावी सरगर्मी है।
गौरतलब की कनई गांव निवासी डॉ सुषमा प्रजापति समाजवादी पार्टी से देवसर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रही है। देवसर विधानसभा सीट से भाजपा कांग्रेस प्रत्याशी उम्र के आगे पड़ाव को पार कर चुके हैं तो वहीं डॉक्टर सुषमा प्रजापति महज 27 साल की है। वह जिले भर में सबसे कम उम्र की प्रत्याशी हैं। बता दें कि सिंगरौली जिले की पूर्व जनपद अध्यक्ष डॉ एचएल प्रजापति लंबे समय से राजनीति से जुड़े रहे लेकिन इसी बीच शासकीय सर्विस मिलने के चलते राजनीति से दूर हो गए थे लेकिन साल 2013 में वह शासकीय नौकरी से त्यागपत्र देकर 2013 में कांग्रेस के सिंबल से टिकट मिला लेकिन कुछ कानूनी समस्याओं के चलते उनका त्यागपत्र एक्सेप्ट नहीं हुआ नतीजा उनका नामांकन ही रद्द हो गया। इसके बाद से डॉक्टर प्रजापति राजनीति में सक्रिय रहें। क्षेत्र की समस्याओं को लेकर लगातार जमीनी स्तर पर काम करते रहें। उन्हीं के पद चिन्हों पर अब उनकी बेटी डॉक्टर बनकर भले आई लेकिन वह इस बार समाजवादी पार्टी से देवसर विधानसभा में ताल ठोक दी है। Singrauli News
वंशमणि वर्मा है सबसे वरिष्ठ उम्मीदवार
आठवीं बार अपनी किस्मत आजमा रहे वंशमणि प्रसाद वर्मा पहले से ही अपना टिकट तय मान रहे थे, यही वजह है कि उन्होंने जनसंपर्क का सिलसिला पहले ही शुरू कर दिया था। 74 साल के वंशमणि प्रसाद वर्मा ने पहली बार 1977 में चुनावी ताल ठोकी थी वो तीन बार विधायक रह चुके हैं। 1980 और 1993 में कांग्रेस और फिर 2003 में वो समाजवादी पार्टी के टिकट पर विधानसभा पहुंचे थे। सूबे में जब कांग्रेस पार्टी ने दिग्विजय सिंह के नेतृत्व में सरकार बनाई तो बंशमणि को मंत्री बनाया गया। 2013 के चुनाव में उन्होंने निर्दलीय और फिर 2018 के चुनाव में कांग्रेस के टिकट से चुनाव लड़ा। दोनों ही बार उन्हें बीजेपी उम्मीदवार के हाथों हार का सामना करना पड़ा। 2013 में राजेंद्र मेश्राम और 2018 में सुभाष वर्मा ने उन्हें हराया। Singrauli News
राजेंद्र मेंश्राम को दो मोर्चों से मिल रहीं चुनौती
अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट देवसर भाजपा की परंपरागत सीट है यहां 20 साल से भाजपा का कब्जा रहा है। लेकिन इस बार भाजपा के प्रत्याशी राजेंद्र मेश्राम को दो मोर्चो से चुनौती मिल रही हैं। देवसर सीट में जहां लगातार भाजपा की जीत हो रही है तो वही 2003 से भाजपा की सरकार होने से एंटी इनकंबेंसी के साथ-साथ इस बार राजेंद्र मेंश्राम को बाहरी प्रत्याशी का प्रचार प्रसार होने से उन्हें दो मोर्चा से चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि वह एक बार भाजपा के ही टिकट पर कांग्रेस के वंशमणि वर्मा को चुनाव हराया था लेकिन इस बार उन्हें सिर्फ कांग्रेस से नहीं बल्कि समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी डॉक्टर सुषमा प्रजापति और आप प्रत्याशी रतीभान प्रसाद उनके लिए मुसीबत खड़ी कर रहे हैं। Singrauli News
सुषमा प्रजापति का जारी है ताबड़तोड़ जनसंपर्क
सुषमा प्रजापति के पिता डॉक्टर एचएल प्रजापति लंबे समय से देवसर क्षेत्र में चिकित्सक की परामर्श देकर लोगों के बीच में अपनी पैठ बनाई है। वह साल 2013 से लगातार अपनी राजनीतिक जमीन तैयार कर रहे हैं। चर्चा है कि इस बार डॉक्टर एचएल प्रजापति ने अपनी बेटी को एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी होने के बाद समाजसेवी का जो जुनून था वह अपनी बेटी के जरिए पूरा करना चाहते हैं। डॉक्टर बनकर आई बेटी सुषमा प्रजापति भी अपने पिता के सपनों को पूरा करने के लिए दिन-रात ताबड़तोड़ जनसंपर्क में लगी है और अपने पक्ष में वोट करने की अपील कर रही हैं। चर्चा है कि देवसर विधानसभा का पूर्वी क्षेत्र जो भाजपा का गढ़ रहा है उस पर एचएल प्रजापति सेंध लगाने में यदि कामयाब होते हैं तो भाजपा उम्मीदवार राजेंद्र मेश्राम की डगर और भी कठिन हो जाएगी। सुषमा प्रजापति की ताबड़तोड़ जनसंपर्क से कांग्रेस का भी जनाधार खिसकता नजर आ रहा हैं। Singrauli News