MP Election – मध्य प्रदेश के चुनाव में राज्य चुनाव आयोग पंचायत चुनाव के साथ ही नगरीय निकाय चुनाव की भी तैयारी कर रहा है. चुनाव आयोग ने पहली बार पार्षदों के चुनाव खर्च की सीमा तय की है। एक पार्षद भी अब तय सीमा तक ही पैसा खर्च कर सकता है ज्यादा खर्च हो सकता है घाटे का सौदा, इसके लिए बाकायदा हेल्प डेस्क भी तैयार की जाएगी.
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बता दे कि लोकसभा-विधानसभा ही नहीं, बल्कि स्थानीय निकायों के चुनावों तक में मतदाताओं को लुभाने के लिए प्रत्याशी कई तरह के प्रलोभन व हथकंडे अपनाते हैं. इसके साख ही उम्मीदवार अनाप-शनाप खर्च करते हुए पानी की तरह पैसा बहाते है. लेकिन अब स्थानीय निकायों के इन प्रत्याशियों पर हाईकोर्ट के निर्देश के बाद राज्य सरकार ने अंकुश लगा दिया है. अब जनसंख्या और पद के हिसाब से प्रत्याशियों की खर्च सीमा तय कर दी गई है.
मप्र राज्य चुनाव MP Election आयुक्त बसंत प्रताप सिंह ने बताया कि नगर निकाय चुनाव में पहली बार पार्षद पद के चुनाव खर्च की गणना की व्यवस्था की गयी है. इससे पहले मेयर और अध्यक्ष पद के उम्मीदवारों का खर्चा रखा जाता था किन्तु इस बार चुनाव आयोग की पैनी नजर पार्षदों के चुनाव खर्चे में भी रहेगी निर्वाचन व्यय का लेखा-जोखा रखने के लिए रिटर्निंग अधिकारी के कार्यालय में हेल्प डेस्क स्थापित करने के भी निर्देश दिए गए हैं।
पार्षद की खर्च सीमा
MP Election राज्य निर्वाचन आयोग के सचिव राकेश सिंह ने बताया कि नगर निगम में 2011 की जनगणना के अनुसार पार्षद पद के चुनाव पर दस लाख से अधिक की आबादी पर अधिकतम आठ लाख पचहत्तर रुपये और दस लाख से न्यूनतम जनसंख्या पर तीन लाख पचहत्तर रुपये खर्च कर सकते है.
MP Election राज्य निर्वाचन ने इसी प्रकार नगर पालिका में 1,00,000 लाख से अधिक आबादी के लिए 250,000 रुपये की सीमा होगी। 50,000 से 1,00,000 लाख तक की आबादी पर एक लाख पचास हजार रुपये और 50 हजार से कम जनसंख्या पर पार्षदों के निर्वाचन व्यय की अधिक व्यय सीमा एक लाख रूपये होगी.MP Election
महापौर की खर्च सीमा
राज्य निर्वाचन आयोग ने कहा कि दस लाख से अधिक आबादी वाले नगर निगमों में महापौर उम्मीदवारों के लिए अधिकतम खर्च सीमा 35 लाख रुपये और दस लाख से कम आबादी वाले नगर निगमों में 15 लाख रुपये है. MP Election
हाईकोर्ट के आदेश पर राज्य सरकार ने तय की सीमा
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने इस संबंध में राज्य चुनाव आयोग को कार्रवाई करने का निर्देश दिया है. कोर्ट के आदेश के बावजूद खर्च की सीमा तय नहीं होने पर हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दायर की गई, जिस पर नोटिस जारी करने के बाद राज्य चुनाव आयोग ने नोटिस जारी कर कार्रवाई की. आयोग ने खर्च सीमा का प्रस्ताव सरकार को भेजा, जिसके बाद सरकार ने खर्च सीमा पर कानून बनाया और अब इसे पहली बार लागू किया जाएगा.MP Election