Bhind News: चुनाव कराने के लिए अधिकारी और कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई जा रही है तो वहीं कुछ अधिकारी कर्मचारी ड्यूटी ना करना पड़े इसके लिए बीमारी का बहाना बना रहे हैं ऐसे में भिंड कलेक्टर सतीश कुमार एस ने एक आदेश जारी कर अधिकारी कर्मचारियों में हड़कंप मचा दिया है. MP
मध्य प्रदेश MP (Madhya Pradesh) में इन दिनों पंचायतों और नगर निकाय चुनावों की प्रक्रिया चल रही है आदर्श आचार संहिता लग चुकी है जिला प्रशासन चुनाव कराने की तैयारी में लगा है इस बीच भिंड में कलेक्टर का एक आदेश जिले भर के अधिकारी और कर्मचारियों में चर्चा का विषय बना हुआ है. भिंड (Bhind) कलेक्टर सतीश कुमार एस की ओर से चुनाव के समय बीमारी का प्रमाण पत्र देकर ड्यूटी से बचने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति का आदेश पारित किया गया है. MP
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भिंड कलेक्टर के आदेश की हो रही चर्चा
MP में त्रिस्तरीय चुनाव के लिए अधिकारियों और कर्मचारियों की जिम्मेदारी पंचायतों और नगर निकायों के चुनाव में स्थानांतरित की जा रही है. ऐसे में भिन्ड कलेक्टर सतीश कुमार ने आदेश जारी कर अधिकारियों व कर्मचारियों में हड़कंप मचा दिया है. आदेश के अनुसार, यदि कोई अधिकारी चुनावी जिम्मेदारी से बचने के लिए बीमारी का प्रमाण पत्र लाता है, तो उसे 20 साल की सेवा या 50 साल की उम्र के बाद सेवानिवृत्त होना होगा। कलेक्टर के इस आदेश की चर्चा पूरे प्रदेश में हो रही है तो वही अधिकारी कर्मचारी सख्ते में आ गए हैं. MP
अधिकारियों कर्मचारियों में दहशत का माहौल
चुनाव में कुछ कर्मचारियों ने बीमारी के बहाने जिम्मेदारी से बचने की कोशिश की, लेकिन वे अधिकारी-कर्मचारी इस बात को लेकर चिंतित हैं कि अगर वे वास्तव में बीमार हैं और अपने कर्तव्यों का पालन करने में असमर्थ हैं तो उनका क्या होगा। कलेक्टर के आदेश ने उचित चिकित्सा बोर्ड द्वारा जारी प्रमाण पत्र को भी पलट दिया है, जो केवल सरकारी नियमों के तहत बीमारी का प्रमाण पत्र जारी करता है.
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ऐसे में अब सवाल उठता है कि कलेक्टर आदेश का असर तो उन अधिकारी कर्मचारियों को पड़ेगा, जो वास्तव में बीमार हैं. और स्वास्थ्य खराब होने के चलते ड्यूटी करने में अक्षम हैं. जाहिर सी बात है कि कलेक्टर का है आदेश जमीनी हकीकत को बिना देखे ही तैयार किया गया है, तो क्या कलेक्टर को अपने इस आदेश पर एक बार फिर पुनर्विचार की जरूरत है?
ऐसे में अब सवाल उठता है कि कलेक्टर के निर्देश का उन अधिकारियों और कर्मचारियों पर क्या असर होगा जो वाकई में बीमार हैं. और बीमारी के कारण कर्तव्यों का पालन करने में असमर्थ। स्पष्ट है कि कलेक्टर का आदेश जमीनी हकीकत को देखे बिना तैयार किया गया है, तो क्या कलेक्टर को अपने आदेश पर पुनर्विचार करने की जरूरत है या फिर अपने इस आदेश को ही जमीन हकीकत में उतारेंगे? MP