Notice to 161 beneficiaries of PM’s residence in Singrauli – आवास आवंटन को नगर निगम ने माना है प्रक्रिया के विरूद्ध, मामला गनियारी का
सिंगरौली (Singrauli) 17 जून। नगर निगम सिंगरौली के प्रधानमंत्री आवास योजना एएचपी घटक के अंतर्गत आवास गृह आवंटन प्रक्रिया को नियम विरूद्ध न मानते हुए करीब 270 आवास को समिति द्वारा अवैध माना गया है. जहां 270 आवंटित आवास को निरस्त करते हुए अब तक तकरीबन 161 हितग्राहियों को आवास खाली करने की नोटिस जारी कर दी गयी है. (Singrauli)
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गौरतलब हो की नगर निगम सिंगरौली के गनियारी स्थित प्रधानमंत्री आवास योजना एएचपी घटक के अंतर्गत आवास के आवंटन में व्यापक पैमाने पर गड़बड़झाला किया गया है. ननि के कई अधिकारियों ने अपने चहेतों, नात-रिश्तेदारों, सगे, संबंधियों को लाभ पहुंचाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ा है. साथ ही आवास आवंटन के दौरान ऐसे अपात्रों को लाभ दिया गया है जिनके पास बहुमंजिला मकान खुद के हैं. इसमें कई बड़े व्यापारी भी शामिल हैं. इतना ही नहीं दूसरे जिले व अन्य प्रांतों के लोगों को भी आवास दिया गया है. (Singrauli)
हालांकि उक्त लोगों द्वारा निर्धारित शुल्क भी जमा किया गया था. उस दौरान आवास आवंटन प्रक्रिया को गलत नहीं माना जा रहा था. लेकिन जब इसकी शिकायत हुई तो कलेक्टर के निर्देश पर आयुक्त ने जांच टीम गठित किया और जांच समिति की टीम ने करीब 270 आवास के आवंटन को प्रधानमंत्री आवास योजना के निर्धारित निर्देशिका/नियम एवं शर्तों के अधीन न पाकर उन्हें समिति द्वारा प्रक्रिया विरूद्ध माना गया है. सूत्र बताते हैं कि पीएम आवास आवंटन को लेकर कमिश्नर आरपी सिंह समेत कई अधिकारी भी लपेटे में आएंगे. (Singrauli)
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इधर सूत्र बता रहे हैं की अभी तक 270 आवास आवंटन को निरस्त करते हुए तकरीबन 161 हितग्राहियों को नोटिस भी थमा दिया गया है। नोटिस मिलने के बाद हितग्राहियों ने ननि के कई अधिकारियों पर गंभीर आरोप भी लगाया है और कहा कि जिस दौरान आवास का आवंटन हो रहा था नगर निगम के आयुक्त कुंभकर्णीय निद्रा में थे। उन्होंने कभी भी आवास आवंटन का समीक्षा नहीं किया. इसमें कहीं न कहीं आयुक्त की घोर लापरवाही मानी जा रही है. साथ ही कार्यपालन यंत्री व नोडल अधिकारी बीपी उपाध्याय को भी आड़े हाथों लिया है. (Singrauli)
हितग्राहियों का कहना है की जब आवास आवंटित किया जा रहा था उस दौरान सभी दस्तावेज जांच पड़ताल करते हुए लिये गये थे और रकम भी चुका दिया गया था। अब ऐसे आवासों को प्रक्रिया के विरूद्ध क्यों माना गया है? इसमें कहीं न कहीं नगर निगम के अधिकारी अपनी गला बचाने के लिए हितग्राहियों को दोषी ठहराते हुए आवास को निरस्त कर दिया ऐसे में हितग्राही न्यायालय की शरण में जाने का मन बना रहे हैं. (Singrauli)
कलेक्टर से अनुमोदन कराना किसकी जबावदेही
आरोप लगाया जा रहा है की करीब साढ़े 4 सौ से अधिक हितग्राहियों के नाम आवंटित आवास का अनुमोदन कलेक्टर से नहीं कराया गया था. आवास के नस्तियों को तैयार कर कलेक्टर से अनुमोदन कराना किसकी जबावदेही होती है. कई हितग्राहियों का कहना है की यह संपूर्ण जबावदेही निगमायुक्त एवं कार्यपालन यंत्री की होती है. किन्तु इनकी लापरवाही से करीब 450 से अधिक आवास आवंटन का अनुमोदन नहीं हो पाया हितग्राहियों ने सवाल किया है की क्या ऐसे लापरवाह अधिकारियों पर कार्रवाई होगी. साथ ही 130 हितग्राहियों की फाइल छुपाई गयी है. हालांकि इस मामले में अब चंदा वेलफेयर सोसायटी सक्रिय होता नजर आ रहा है. (Singrauli)