अब डायरी रखते हैं फीडबैक,कोरोना संकट के बाद होगा प्रशासनिक सर्जरी
भोपाल। आपको फिल्म ‘नायक’ में हीरो अनिल कपूर का मुख्यमंत्री के तौर पर निभाया गया रोल याद होगा जिसमें वे लोगों की समस्याओं को सुनकर सीधे जिम्मेदार अफसरों को फोन लगाकर उनकी समस्याओं को तत्काल दूर करने का निर्देश देते हैं।रूपहले पर्दे पर रील लाइफ का यह सीन आजकल मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में रील लाइफ की जगह रीयल में दिखाई दे रहा है। सूबे के मुखिया शिवराज सिंह चौहान इन दिनों ‘नायक’ अंदाज में नजर आते हुए फैसला ऑन-द-स्पॉट कर रहे हैं. कह इसलिए रहे हैं कि सरकार बने महज सप्ताह भर हुआ है जहां कई प्रशासनिक अधिकारियों का फेरबदल किया गया,जिसकी चर्चा हर आम खास कर रहा है। दरअसल मध्यप्रदेश में सत्ता की चौथी पारी खेल रहे नायक की तरह शिवराज सिंह चौहान इस बार बदले-बदले से हैं। कामकाज को लेकर सख्ती और जरा सी चूक पर सीधी कार्रवाई उनकी शैली अब चर्चा का विषय बनता जा रहा है। सीएम बनने के हफ्ते भर के भीतर एक दर्जन अफसर उनके निशाने पर आ चुके हैं। सोर्स-सिफारिश को दरकिनार कर सीधे फैसला ऑन-द-स्पॉट हो रहे हैं। उन्होंने निगम आयोग के सभी राजनैतिक मनोनयन निरस्त कर दिए हैं। इसके अलावा राजगढ़ कलेक्टर निधि निवेदिता,एसडीएम प्रिया वर्मा हो या फिर इंदौर कलेक्टर लोकेश कुमार जाटव, एक झटके में चलता कर दिया गया। माना जा रहा है कि इंदौर में कोरोना वायरस के संक्रमण की रोकथाम के लिए लागू कर्फ्यू में भी लोग जश्न मनाने के लिए सड़कों पर उतर आए। इस घटना ने सरकार की कार्यप्रणाली को कठघरे में खड़ा कर दिया तो मुख्यमंत्री ने जाटव और डीआईजी रुचि वर्धन मिश्र को हटा दिया।इसके अलावा, रीवा नगर निगम कमिश्नर सभाजीत यादव को हटाया जाना इसका सबसे सटीक उदाहरण है। हालांकि राजनैतिक लोगों का मानना है कि श्री यादव को हटाए जाने के पीछे पूर्व मंत्री राजेंद्र शुक्ल से पंगा लेने की कीमत चुकानी पड़ी है। स्वास्थ्य आयुक्त प्रतीक हजेला को सजा देने में जरा भी देर नहीं लगाई गई।
वेट एंड वॉच की मुद्रा में प्रशासनिक अधिकारी
शिवराज सिंह चौहान ने पिछली सरकार में विपक्ष यह आरोप लगाता रहा है कि सरकार पर ब्यूरोक्रेसी हावी है। हालांकि, यह मानने वालों की भी कमी नहीं है कि यह दौर अस्थायी है क्योंकि जब बात सत्ता संतुलन बनाने की आएगी तो कुछ अनचाहे समझौते भी करने होंगे। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की छवि संतुलन और सामंजस्य बनाकर चलने वाले नेताओं में होती है। यही वजह है कि ब्यूरोक्रेसी की पहली पसंद शिवराज ही रहे हैं।पिछले तीन कार्यकाल में अधिकारी, उनसे इतने घुले-मिले थे कि बेझिझक होकर आगे होकर अपनी बात रख दिया करते थे लेकिन इस बार उनकी कार्यप्रणाली देखकर वेट एंड वॉच की मुद्रा में आ गए हैं।
इनके लिए कड़े फैसले
मुख्यमंत्री पद संभालने के बाद जिस तरह मुख्य सचिव एम. गोपाल रेड्डी को हटाकर घर बैठा दिया, उससे यह संदेश गया कि उन्होंने काम करने का तरीका बदल दिया है। उन्हें अब तक कोई जिम्मेदारी नहीं दी गई है,जबकि इकबाल सिंह बैंस के मुख्य सचिव बनने के बाद राजस्व मंडल, ग्वालियर के अध्यक्ष का पद खाली है।इंदौर कलेक्टर लोकेश कुमार जाटव,डीआईजी रुचि वर्धन मिश्र,नगर निगम कमिश्नर सभाजीत यादव,राजगढ़ कलेक्टर निधि निवेदिता,एसडीएम प्रिया वर्मा के लिए कड़े फैसले लेते हुए कार्यवाही की है।
अब डायरी रखते हैं फीडबैक
मुख्यमंत्री अब अपने साथ एक छोटी डायरी रखते हैं। सूत्रों के मुताबिक इसमें महत्वपूर्ण जानकारियां रहती हैं। इसके आधार पर वे न सिर्फ फीडबैक लेते हैं बल्कि अधिकारियों के जवाबों को क्रॉसचेक भी करते हैं।ग्वालियर नगर निगम आयुक्त संदीप कुमार माकिन के तबादले को निरस्त करना हो या फिर कमल नाथ सरकार में ईओडब्ल्यू में रहकर ई-टेंडरिंग, ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ जमीन आदि के मामलों में जांच खोलने वाले प्रभारी महानिदेशक सुशोभन बैनर्जी को सागर और पुलिस अधीक्षक अरुण कुमार मिश्रा को हटाकर मंडला भेजने, मुख्यमंत्री के इरादे साफ जाहिर करता है।
कोरोना संकट के बाद होगा प्रशासनिक सर्जरी
सूत्रों का कहना है कि कोरोना संकट की वजह से प्रशासनिक स्तर पर सर्जरी टल गया है। स्थिति सामान्य होने पर संभागायुक्त, कलेक्टर, पुलिस महानिरीक्षक, पुलिस अधीक्षक से लेकर मंत्रालय स्तर पर नए सिरे से प्रशासनिक जमावट होगी। भोपाल,जबलपुर,देवास,रीवा,सीधी,मंदसौर, छिंदवाड़ा, और ग्वालियर के कलेक्टर बदले जाने हैं। भोपाल के लिए संचालक खाद्य, नागरिक आपूर्ति अविनाश लवानिया के नाम चर्चा में है। लवानिया सत्ता परिवर्तन में अहम भूमिका निभाने वाले पूर्व मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता डॉ.नरोत्तम मिश्रा के दामाद हैं।
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