वाशिंगटन, 6 अगस्त (भाषा) क्या संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य के तौर पर भारत की दावेदारी को लेकर अमेरिका का रुख बदल रहा है? यह सवाल इसलिए उठ खड़ा हुआ है क्योंकि शुक्रवार को इस बारे में अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने जो बयान दिया है वह पिछले पांच-छह वर्षों के रवैये से अलग है। इसमें कहा गया है कि अमेरिका यूएनएससी के विस्तार का समर्थन करता है, लेकिन दूसरे देशों को वीटो करने का अधिकार देने के पक्ष में नहीं है।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार पर भारत के जोर देने के बीच अमेरिका ने कहा कि वह स्थायी और अस्थायी दोनों सदस्यों के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के विस्तार के लिए आम सहमति बनाने का समर्थन करता है बशर्ते इसकी प्रभावकारिता या क्षमता कम न हो और इसमें वीटों में परिवर्तन या उसका विस्तार न हो।
अगस्त महीने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता भारत के पास होने के बारे में पूछे जाने पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने अपने दैनिक संवाददाता सम्मेलन में बृहस्पतिवार को पत्रकारों से कहा कि अमेरिका सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता समेत संयुक्त राष्ट्र में भारत के साथ काम करने को लेकर अहमियत देता है।उन्होंने कहा, ‘‘हम स्थायी और अस्थायी दोनों सदस्यों के लिए सुरक्षा परिषद के मामूली विस्तार के लिए सहमति बनाने का समर्थन करते हैं बशर्ते इसकी प्रभावकारिता या क्षमता कम न हो और इसमें वीटो में परिवर्तन या उसका विस्तार न हो।’’
वह उस सवाल का जवाब दे रहे थे कि क्या बाइडन प्रशासन को लगता है कि भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य होना चाहिए। प्राइस ने कहा, ‘‘हमारा मानना है कि सुरक्षा परिषद में ऐसा सुधार होना चाहिए, जिसमें सभी का प्रतिनिधित्व हो, प्रभावी हो और जो अमेरिका तथा संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देशों के हित में प्रासंगिक हो। हम आगामी हफ्तों में सुरक्षा परिषद के संदर्भ में भारत के साथ निकटता से काम करने के अवसर को लेकर काफी उत्साहित हैं।’’
गौरतलब है कि सुरक्षा परिषद में लंबे समय से अटके सुधार के लिए संयुक्त राष्ट्र में प्रयासों में भारत अग्रणी रहा है। उसका कहना है कि उसे संयुक्त राष्ट्र में स्थायी सदस्य के तौर पर जगह मिलनी चाहिए। संयुक्त राष्ट्र महासभा का अगला सत्र सितंबर में होगा।अभी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पांच स्थायी और 10 अस्थायी सदस्य देश हैं। ये पांच स्थायी सदस्य रूस, ब्रिटेन, चीन, फ्रांस और अमेरिका हैं तथा ये देश किसी भी प्रस्ताव पर वीटो कर सकते हैं। सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यों की संख्या बढ़ाने की मांग बढ़ रही है।
प्राइस ने कहा कि भारत और अमेरिका के कई साझा मूल्य और साझा हित हैं। उन्होंने कहा, ‘‘निश्चित तौर पर हमारी भारत के साथ व्यापक रणनीतिक भागीदारी है जो हमें कई स्तरों पर एकजुट करती है। हम इस महीने संयुक्त राष्ट्र और सुरक्षा परिषद के संदर्भ में भारत सरकार के साथ बहुत निकटता से काम करने को लेकर तत्पर हैं।’’