केंद्र व राज्य सरकार द्वारा किसानों की फसल बर्बाद होने पर क्षतिपूर्ति के तौर पर मुआवजा राशि (Compensation) दी की जाती है, ताकि किसानों की आर्थिक मदद की जा सके . दरअसल कई बार प्राकृतिक आपदा के चलते किसानों की फसलें बर्बाद हो जाती है। जिससे उन्हें इस हद तक आर्थिक नुकसान होता है कि किसान अपने परिवार का गुजर-बसर कराने में भी असहाय हो जाता है. उनकी इसी समस्या को दूर करने के लिए सरकार मुआवजा देकर किसान की मदद करती हैं।
बता दें कि हरियाणा सरकार द्वारा किसानों की फसल खराब होने पर दी जाने वाली मुआवजा राशि (Compensation) में बढ़ोतरी की गई है. राज्य सरकार के इस फैसले को उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला (Deputy CM Dushyant Chautala) ने स्वागत योग्य कदम बताया है. उनका कहना है कि इससे किसानों को होने वाले नुकसान की काफी हद तक क्षतिपूर्ति हो सकेगी.आपको बता दें कि पिछले दिन चंडीगढ़ स्थित सरकारी आवास पर प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई. इस दौरान डिप्टी सीएम ने कहा कि साल 2015 से पहले धान, गेहूं, गन्ना और कपास की फसल पूरी तरह से बर्बाद होने पर किसानों को 4,000 रुपए प्रति एकड़ मुआवजा दिया गया था.
वहीं, सरसों, बाजरा आदि अन्य फसलों के लिए 3,500 रुपए प्रति एकड़ मुआवजा दिया जाता था. इस साल 2015 में बढ़ाकर 12,000 रुपए और 10,000 रुपए प्रति एकड़ कर दिया था. इसके साथ में फसलों के नुकसान की 3 कैटेगरी बनाई गई, जिसमें 25 से 49 प्रतिशत, 50 से 74 प्रतिशत और 75 प्रतिशत से अधिक नुकसान वाली कैटेगरी शामिल की गईं.
मुआवजा राशि को बढ़ाने का निर्णय
इस दौरान उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने बताया कि अब किसानों की मांग पर एक बार फिर उक्त मुआवजा राशि को बढ़ाने का निर्णय सरकार ने लिया है. अब यदि किसानों की फसल धान, गेहूं, गन्ना व कपास की फसल 75 प्रतिशत से ज्यादा खराब होती है, तो किसानों को 15,000 रुपए प्रति एकड़ मुआवजा दिया जाएगा. वहीं, अन्य फसलों के लिए 12,500 रुपए दिया जाएगा. बता दें कि पहले उक्त मुआवजा राशि क्रमश: 12,000 से 10,000 रुपए प्रति एकड़ थी. दुष्यंत चौटाला ने आगे बताया कि इससे नीचे के स्लैब में भी मुआवजा राशि में 25 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है.
खातों में भेजी जाएगी राशि
किसानों के साथ बिचौलिए किसी भी तरह का प्रार्थना करें इसके लिए किसानों की फसल की बिक्री मंडी में होते ही किसानों का भुगतान उनके बैंक खातों में किया जाएगा जिससे किसान खाद बीज खरीद सके साथ ही आने वाले सीजन की फसलों की बुवाई के संसाधन उपलब्ध करा सके।