रायपुर. कोरोना काल में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकल से वोकल होने की बात कही थी प्रधानमंत्री की यह बात कुछ लोगों के दिमाग में नए आइडिया भी आने लगे। यदि कम मेहनत और कम संसाधन में ज्यादा फायदा मिले तो उसे एक अलग ही पहचान मिलती है। ऐसी ही पहचान छत्तीसगढ़ के बेमेतरा जिले के ग्राम पंचायत टिपनी की जय महामाया महिला स्व सहायता समूह की महिलाओं ने बनाया है। गोबर से गमले का निर्माण कर महिलाओं ने अपनी आय का साधन बन गया है । अभी तक गोबर का उपयोग खाद या कंडे के रूप में होता था। समूह की महिलाएं पैसेे कमाकर मालामाल हो रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकल से वोकल होने की बात पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की दूरदर्शिता से अब गोबर का उपयोग व्यवसायिक रूप में होने जा रहा है। अब गोबर से ना केवल खाद, कंडे बल्कि दीये, गमले एवं अन्य वस्तुएं भी बनने लगे हैं। राज्य सरकार द्वारा गांव की समृद्धि और किसानों की खुशहाली के लिए गोबर खरीदने की कार्य योजना तैयार की जा रही है।
बताया जा रहा है कि जय महामाया महिला स्व सहायता समूह ने गोबर गमले बेचकर कमाई शुरू भी कर दिया है। स्व सहायता समूह की महिलाओं ने अभी तक 1500 गमले बेचकर 20 हजार रूपए की कमाई कर चुकी हैं। एक गमला बनाने में 8 रूपए की लागत आती है और वह बिकता 15-20 रूपए में है। महिलाओं ने अभी तक 1500 गमलों का निर्माण कर चुकी हैं।
जिला प्रशासन द्वारा जिले में महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविकास मिशन (बिहान) के तहत प्रेरित किया जा रहा है। गोबर गमला निर्माण में कच्चा माल के रूप में गोबर, पीली मिट्टी, चूना, भूसा इत्यादि का उपयोग किया जाता है। गोबर से गमला बनाने का मुख्य लाभ यह है कि यह टिकाऊ होने के साथ ही पर्यावरण के अनुकूल है। अगर गमला क्षतिग्रस्त हुआ तो इसका खाद के रूप में उपयोग किया जा सकता है। गोबर के गमले का सबसे महत्वपूर्ण उपयोग वृक्षारोपण या पौधे की नर्सरी तैयार करने में हैं जिसमें गोबर के गमले में लगें पौधे को सीधा भूमि पर रोपित कर सकते है।