सिंगरौली. रिलायंस के सासन अल्ट्रा पॉवर प्लांट के फ्लाइ ऐश डैम के फूटने से जान माल के साथ पर्यावरण को भी भारी नुकसान पहुंचा है। प्लांट का हजारों टन राखड़ का मलबा गोहवइया नदी से होकर सिंगरौली क्षेत्र की इकलौती वाटर बॉडी रिहंद बांध में खतरनाक रसायन घोल दिया।डैम में राख के साथ लेड,आर्सेनिक व मरकरी जैसे खतरनाक रसायन जा मिला है। उधर, लापता लोगों की तलाश के लिए चौथे दिन भी रेस्क्यू ऑपरेशन जारी रहा। शाम को एक और शव बरामद होने के बाद मृतकों की संख्या 6 हो गई है। जबकि तीन लोगों का अभी भी कोई सुराग नहीं लगा है।
सूत्रों ने स्वीकार किया कि सासन पॉवर के फूटे फ्लाइ ऐश डैम से बह कर निकला राखड़ का मलबा रिहंद बांध तक पहुंचा है। बताया गया है कि फ्लाइ ऐश डैम के ठीक नीचे गोबइया नाला है, जिसमें सीधे मलबा पहुंचा और इसी रास्ते राखड़ रिहंद बांध में भर गई। बांध तक मलबे के पहुंचने की पुष्टि इस बात से भी हुई है कि हादसे में मृत बच्चे की लाश रिहंद बांध के समीप से बरामद की गई थी। जो राखड़ की नदी में बहकर वहां तक पहुंचा था। बताया गया है कि कलेक्टर द्वारा मजिस्ट्रेटियल जांच के दिए गए आदेश में जान माल के साथ पर्यावरण को हुई क्षति को शामिल किया गया है।
जर्जर आधा दर्जन फ्लाइ ऐश डैम !
इस हादसे को लेकर मचे बवाल के बाद भी अभी खतरा टला नहीं है। बल्कि जर्जर आधा दर्जन फ्लाइ ऐश डैम कभी भी ऐसी ही तबाही मचा सकते हैं ! कलेक्टर केवीएस चौधरी ने सासन पॉवर के सीइओ को दिए गए नोटिस में भी इस बात का जिक्र किया है कि उसके दूसरे फ्लाइ ऐश डाइक के भी टूटने की आशंका जताई है। कंपनी के हर्रहवा ऐश डैम में भी दरारें देखी गई हैं। वहीं, एनटीपीसी के ऐश डैम भी जर्जर हैं जिनसे लगातार पानी का रिसाव होता रहा है।डैम में राख के साथ लेड,आर्सेनिक व मरकरी जैसे खतरनाक रसायन जांच कमेटियों को मिले थे।फिलहाल अभी उसे तात्कालिक तौर पर दुरुस्त कर लिया गया है।
सुप्रीम कोर्ट रिहंद के प्रदूषण का मामला विचाराधीन
रिहंद डैम के प्रदूषण का मामला सुप्रीम कोर्ट तक गया है। अधिवक्ता अश्वनी दुबे द्वारा पूर्व से दायर याचिका में यह मामला उठाया गया है, जिसमें कहा गया है कि सिंगरौली रीजन के पॉवर प्लांट और कोल माइंस कंपनियां खतरनाक रसायन युक्त मलबा रिहंद में पहुंचा रही हैं, जिससे बांध का पानी पीने योग्य नहीं रह गया है साथ ग्राउंड वाटर भी दूषित हो रहा है जिन्हें रोका जाए और कंपनियों की जिम्मेदारी तय करके रिहंद बांध की सफाई कराई जाए। दुबे ने बताया कि यह याचिका सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की इस परियोजना श्री करीब 25 लाख लोगों को पेयजल की आपूर्ति इसी बात पर निर्भर है।
जस्टिस राजेश कुमार कमेटी की रिपोर्ट में भी हवाला
जस्टिस राजेश कुमार की अध्यक्षता में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा गठित जांच कमेटी की रिपोर्ट में भी सिंगरौली रीजन और रिहंद बांध के प्रदूषण की भयावहता को उजागर किया गया है। कमेटी ने इस रीजन के लिए एक फ्यूचर प्लान भी तैयार किया गया है। जिसमें रिहंद बांध में उद्योग का मलबा जाने से रोकने के लिए कड़े एक्शन प्लान की सिफारिश की गई है।
इनका कहना है-जांच के लिए मजिस्ट्रेटियल कमेटी गठित की जा चुकी है। जिसने अपना काम शुरू कर दिया है। जांच में सभी तरह के नुकसान को शामिल किया गया है। जानमाल सहित पर्यावरणीय क्षति का सभी पर रिपोर्ट तैयार होगी।केवीएस चौधरी, कलेक्टर सिंगरौली