प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी हैं मुरीद
बोझ है ये लड़की मार दो…..समाज ने दिए ऐसे ऐसे ताने
दिल्ली -कहते हैं कि कुछ करने का जज्बा हो तो हर राह आसान हो जाती है। बस इरादों में दम होनी चाहिए फिर आपकी कमजोरी भी आपकी ताकत बन जाती है। आपके हौंसलों के आगे हर मुश्किल राह आसान हो जाती है। इंसान के इरादे और हौंसले ही उसकी ताकत होती है अगर दुनियां से कुछ अलग करने की इच्छा हो तो अपाको अपने सपनो को खुली आंखों से देखने की जरूरत है। आपकी कमजोरी भी आपके इरादों के सामने आपकी काबिलयत बनकर आपके सामने आ जाती है। बस आपको अपने सपने को एक दिशा देने की जरूरत है। क्योंकि आपको आपसे बेहतर कोई नहीं जान सकता। कुछ ऐसा ही कर दिखाया शारीरिक रूप से दिव्यांग उत्तराखंड की आरती डोगरा ने। आरती डोगरा राजस्थान कैडर की आईएएस अधिकारी है। आरती का कद भले छोटा है लेकिन आज वो देशभर की महिला आइएएस के प्रशासनिक वर्ग में मिसाल बनकर उभरी हैं। उन्होंने समाज में बदलाव के लिए कई मॉडल पेश किए है जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी खूब पसंद आए है।
शारीरिक रूप से निशक्त लोगों को सामाजिक रूप से हेय की दृष्टि से देखते थे ऐसे लोगों को हमारा समाज बोझ मानता है। बहुत बार तो परिवार पर उन्हें जिंदगी से मुक्त कर देने का भी दवाब बनाया जाता है। ऐसे ही शरीर में कोई भी कमी इंसान को मोहताज बना देती है। कद में छोटा होना भी एक शारीरिक कमी है। पर अपनी इस कमी को छोटा बनाया था उस लड़की ने जिसने बड़े सपने देखे। कभी कभी छोटे दिखने वाले लोग बड़े-बड़े कारनामे कर जाते हैं। किसी भी इंसान की काबिलियत हम उसके रंग-रूप और कद-काठी से नहीं आंक सकते। काबिलियत के आगे छोटा कद कभी कोई बाधा नहीं बन सकता। अगर हौसला बुलंद हो तो कोई भी मंजिल बहुत दूर नहीं होती। ऐसे ही मजबूत इरादों से कद में छोटी लड़की ने अफसर की कुर्सी पर बैठ लोगों के होश उड़ा दिए। इनका नाम है आरती डोगरा।
अपने प्रशासनिक निर्णयों से राजस्थान ही नहीं, बल्कि देशभर में महिलाओं के लिए मिसाल बनी हैं। राजस्थान के बीकानेर, जोधपुर और बूंदी जिलों में कलेक्टर रहते हुए आरती ने समाज हित में बड़े फैसले और अपने मॉडल पेश किए तो देश के प्रधानमंत्री भी उनके काम से मुग्ध हो गए। समाज में बदलाव को लेकर उनके कई मॉडल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मन को भी भाए हैं। जिस पर पीएम ने उनके कार्यों की प्रशंसा भी की है।
आज हम एक ऐसी ही शख्सियत के बारे नें बात करने जा रहे हैं जिनके लिए छोटा कद कभी बाधक नहीं बना। देहरादून में जन्मी और ब्राइटलैंड स्कूल में पढ़ी आईएएस आरती डोगरा राजस्थान कैडर की 2006 बैच की अफसर हैं। आरती भले ही कद में छोटी हों, लेकिन काम उनके बड़े हैं। आरती डोगरा का परिवार देहरादून की विजय कॉलोनी में रहता है। पिता कर्नल राजेन्द्र डोगरा और मां कुमकुम की वह इकलौती बेटी हैं।
उन्होंने अपने कार्यकाल में बड़े-बड़े काम किये हैं। हाल ही में उन्हें राजस्थान के अजमेर की नई जिलाधिकारी के तौर पर नियुक्ति मिली हैं। पहले भी वे एसडीएम अजमेर के पद पर भी पदस्थापित रही हैं। इससे पहले वे राजस्थान के बीकानेर और बूंदी जिलों में भी कलेक्टर का पदभार संभाल चुकी हैं। इसके पहले वो डिस्कॉम की मैनेजिंग डायरेक्टर के पद पर भी रह चुकी हैं।
यहां जानने लायक यह है कि आरती डोगरा की हाइट 3 फुट 2 इंच है लेकिन उनके हौसले आसमान से भी ऊंचे हैं।देशभर की महिला आईएएस के प्रशासनिक वर्ग में मिसाल बनकर उभरी हैं।बीकानेर की जिलाधिकारी के तौर पर आरती नें ‘बंको बिकाणो’ नामक अभियान की शुरुआत की। इसमें लोगों को खुले में शौच ना करने के लिए प्रेरित किया गया। इसके लिए प्रशासन के लोग सुबह गांव जाकर लोगों को खुले में शौच करने से रोकते थे। गांव-गांव पक्के शौचालय बनवाए गए जिसकी मॉनीटरिंग मोबाइल सॉफ्टवेयर के जरिए की जाती थी। यह अभियान 195 ग्राम पंचायतों तक सफलता पूर्वक चलाया गया। बंको बिकाणो की सफलता के बाद आस-पास से जिलों ने भी इस पैटर्न को अपनाया। आरती डोगरा को राष्ट्रीय और राज्य स्तर के कई पुरस्कार मिल चुके हैं ।
आरती डोगरा की घरेलू स्थिति काफी अच्छी थी उनके पिता कर्नल राजेन्द्र डोगरा सेना में अधिकारी हैं और मां कुमकुम स्कूल में प्रिसिंपल हैं। आरती के जन्म के समय डॉक्टरों ने साफ कह दिया कि उनकी बच्ची सामान्य स्कूल में नहीं पढ़ पाएगी, लोग भी कह रहे थे कि बच्ची असामान्य है। पर उनके माता-पिता नें उनको सामान्य स्कूल में डाला। लोगों के कहने के वाबजूद उनके माता पिता नें किसी और बच्चे के बारे में सोच तक नहीं।
अपने मां-बाप की अकेली संतान आरती जन्म से ही शारीरिक रूप से दिव्यांग थी लेकिन उनके माता-पिता का कहना था कि मेरी एक ही बेटी काफी है जो हमारे सपनें पूरे करेगी। आरती की स्कूलिंग देहरादून के वेल्हम गर्ल्स स्कूल में हुई थी। इसके बाद उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के लेडी श्रीराम कॉलेज से इकोनॉमिक्स में ग्रेजुएशन किया है।इसके बाद पोस्ट ग्रेजुएशन के लिए वो वापस देरहरादून चली आयीं। यहां उनकी मुलाकात देहरादून की डीएम आईएएस मनीषा से हुई जिन्हीने उनकी सोच को पूरी तरह बदल किया। आरती उनके इतनी प्रेरित हुई कि उनके अंदर भी आईएएस का जुनून पैदा हो गया।
आईएएस बनने के लिए आरती नें साबित कर दिया कि दुनिया चाहे कुछ भी कहे, कुछ भी सोचे आप आने काबिलियत के दाम पर सबकी सोच बदल सकते हैं।उन्होंने इसके लिए जमकर मेहनत की और उम्मीद से भी बढ़कर अपने पहले ही प्रयास में लिखित परीक्षा और साक्षात्कार भी पास कर लिया।