देश – गलवान घाटी में चीन से चल रहे सीमा विवाद में भारत के 20 जवान शहीद हुए हैं। शहीदों में रीवा जिले का एक जवान भी शामिल है। भारत-चीन सीमा विवाद में जवान दीपक सिंह गहरवार शहीद हो गए हैं। इस घटना में मध्यप्रदेश के रीवा जिले का जवान दीपक सिंह गहरवार भी सैन्य झड़प में शहीद हुए हैं। बिहार रेजीमेंट द्वारा इसकी सूचना रीवा पुलिस अधीक्षक को दी गई। पुलिस कंट्रोल रूप ने जैसे ही दीपक के परिजनों को उनके शहीद होने की सूचना दी पूरे क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई। शहीद दीपक कि शादी करीब 6 माह पहले हुई है इस घटना की खबर सुन उनकी मां और पत्नी का रो रो कर बुरा हाल है।
पुलिस अधीक्षक आबिद खान ने बुधवार को बताया कि जिले के मनगवां थाना क्षेत्र अंतर्गत ग्राम फरैदा निवासी सिपाही दीपक सिंह गहरवार के शहीद होने की सूचना आई है। शहीद के परिजनों की इसकी सूचना भेज दी गई है। यह खबर लगती ही है मां व पत्नी का रो रो कर बुरा हाल हो गया। यह खबर विंध्य क्षेत्र में गल में आग की तरह फैल गई हालांकि उनका पार्थिव शरीर पहुंचने में अभी दो से तीन दिन का समय लग सकता हैं । घटना की खबर लगते ही पूरे विन्ध्य में मातम का माहौल है।
मिली जानकारी के मुताबिक मनगवां निवासी दीपक सिंह गहरवार 16 बिहार रेजीमेंट में सैनिक के पद पर लद्दाख में पदस्थ थे। दीपक की शादी करीब 6 माह पूर्व हुई थी वह शादी के बाद पत्नी को घर में छोड़कर ही देश की सुरक्षा में चले गए थे। बताया जा रहा है कि 15 दिन पूर्व पत्नी से जब बात हुई थी उन्हें कई कश्मीरी कपड़े लाने की बात कही थी लेकिन जब तक दीपक वापस आते तब तक उनकी शहीद होने की खबर आ गई।
समाचार एजेंसी ANI के मुताबिक इस घटना में चीनी सेना के 43 सैनिक हताहत हुए हैं. इसमें से कुछ की मौत हो गई है और कुछ जख्मी हुए हैं. बता दें कि सोमवार रात को दोनों देशों की सेनाओं के बीच हिंसक झड़प हुई थी. ये घटना तब हुई जब सोमवार रात को गलवान घाटी के पास दोनों देशों के बीच बातचीत के बाद सबकुछ सामान्य होने की स्थिति आगे बढ़ रह थी.
राष्ट्रपति कोविंद ने दी शहीदों को श्रद्धांजलिराष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गलवां घाटी में चीन के साथ हिंसक झड़प में शहीद हुए भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा, ‘सशस्त्र बलों के सुप्रीम कमांडर के रूप में, मैं देश की संप्रभुता और अखंडता की रक्षा के लिए हमारे सैनिकों के अनुकरणीय साहस और सर्वोच्च बलिदान को नमन करता हूं। उन सभी लोगों ने, जिन्होंने गलवां घाटी में बलिदान दिया, भारतीय सशस्त्र बलों की सर्वश्रेष्ठ परंपराओं को बरकरार रखा है।
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