जयपुर- चीन के बाद अब भारत में भी कोयले की किल्लत के कारण हाहाकार मचा हुआ है। दिल्ली पंजाब के बाद अब राजस्थान में भी बिजली का संकट खड़ा हो गया है। हालांकि कोयले की संकट में अब राजनीति भी शुरू हो गई है प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने भाजपा पर बिजली और कोयले का मिसमैनेजमेंट का आरोप लगाया है दरअसल मध्य प्रदेश के सिंगरौली में नार्दन कोलफील्ड लिमिटेड (NCL) व छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड लिमिटेड (SECL) से कोयले की सप्लाई प्रॉपर तरीके से नहीं मिल पा रही है ऐसे में कोयला लेने के लिए विभाग ने अपने तीन अधिकारी और एजुकेटिव इंजीनियरों को इन कोल फील्ड्स में भेजा है।
बता दें कि राजस्थान में कांग्रेस की सरकार है । राज्य की कांग्रेस सरकार पर बीजेपी ने बिजली और कोयले के मिस मैनेजमेंट के आरोप लगाए हैं, जिससे सरकार बैकफुट पर है, क्योंकि आम जनता को लगातार हो रही बिजली कटौती से परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। यहां शहरों सहित ग्रामीण में भी बिजली लगातार कटौती हो रही है बिजली समस्या कांग्रेस सरकार के कान खड़े कर दिया है सरकार ने पावर कंपनी पर दबाव बनाकर बिजली की आपूर्ति के निर्देश दिए हैं। विभाग के अधिकारी एसपी अग्रवाल को बिलासपुर के साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड लिमिटेड (SECL) भेजा गया है। एक्सईएन जीएस मीणा भी SECL बिलासपुर पहुंच चुके हैं। जबकि एग्जीक्यूटिव इंजीनियर अनूप चतुर्वेदी को विभाग की ओर से मध्य प्रदेश के सिंगरौली डिस्ट्रिक्ट नार्दन कोलफील्ड लिमिटेड (NCL) सिंगरौली मध्यप्रदेश भेजा जा चुका है। इन तीनों अधिकारियों को यह टास्क दिया गया है कि ये कोलफील्ड्स में मौजूद अफसरों से सामंजस्य बना कर कोयले की सप्लाई के रैक वहां से जल्द से जल्द रवाना करवाते जाएं।
एसपी अग्रवाल ने बताया कि राज्य के कोल ब्लॉक्स से शनिवार को शुक्रवार की तुलना में कोयले की करीब ढ़ाई रेक ज्यादा डिस्पैच हुई है, जो आज पहुंचने की सम्भावना है। कोल ब्लॉक से पहले 7 से 7.5 रैक ही कोयला आ पा रहा था। कोल इंडिया से भी कोयले की आपूर्ति बढ़वाने की हाई लेवल पर कोशिशें जारी हैं। जिससे प्रदेश में बिजली की आपूर्ति निर्बाध रूप से बनी रहे। सूत्रों की मानें तो प्रदेश में अभी भी करीब 4000 मेगावाट बिजली का उत्पादन कम हो रहा है। राज्य के कोल ब्लॉक्स से 2.5 रैक ज्यादा कोयला आज पहुंचने की सम्भावना है।