नई दिल्ली — देश के पहले प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत (Bipin Rawat) का बुधवार को कुन्नूर में हुए हेलिकॉप्टर क्रैश में निधन हो गया। हादसे में उनके साथ उनकी पत्नी मधुलिका रावत (Madhulika Rawat) और 11 अन्य सैन्यकर्मियों का निधन हुआ है।ऐसी महान विभूति जो हम लोगों को छोड़कर चले गए जिसमें सारा राष्ट्र दुखी है राष्ट्रीय शोक की घोषणा क्यों नहीं की गई यह विचारणीय है जब कि किसी नेता की मृत्यु हो जाती है तो राष्ट्रीय शोक की घोषणा होती है और जब देश की यह महान विभूति एक दुर्घटना के कारण मृत्यु को प्राप्त हुई तो राष्ट्रीय शोक क्यों नहीं यदि इसमें किसी नियम के कारण राष्ट्रीय शोक की घोषणा करने में दिक्कत है तो नियम बदला जा सकता है लेकिन राष्ट्रीय शोक की घोषणा अवश्य करनी चाहिए।
बता दें कि स्वर्गीय विपिन रावत भारत देश के चीफ ऑफ डिफेंस अधिकारी थे अर्थात वायु सेना, थल सेना, और जल सेना तीनों के प्रमुख थे भारत के राष्ट्रपति के बाद वे देश के सर्वशक्तिमान थे इनके अधिकार में पूरी सेनाएं थी अगर यह चाहते तो देश के सबसे बड़े पद पर अपने आप को स्थापित कर सकते थे जैसा कि हमने अपने पड़ोस के देश में देखा कि सेना के जनरल ने तख्तापलट कर खुद राष्ट्राध्यक्ष बन गये परंतु स्वर्गीय विपिन रावत जी ने ऐसा कभी नहीं सोचा तो ऐसे महान पुरुष की आकस्मिक दुर्घटना में मृत्यु हो जाने पर वर्तमान में देश के सर्वोच्च शिखर पर बैठे लोगों ने यह क्यों नहीं सोचा कि ऐसी महान विभूति जो हम लोगों को छोड़कर चली गई जिसमें सारा राष्ट्र दुखी है।
राष्ट्रीय शोक की घोषणा क्यों नहीं की गई यह विचारणीय है जब कि किसी नेता की मृत्यु हो जाती है तो राष्ट्रीय शोक की घोषणा होती है और जब देश की यह महान विभूति एक दुर्घटना के कारण मृत्यु को प्राप्त हुई तो राष्ट्रीय शोक क्यों नहीं यदि इसमें किसी नियम के कारण राष्ट्रीय शोक की घोषणा करने में दिक्कत है तो नियम बदला जा सकता है लेकिन राष्ट्रीय शोक की घोषणा अवश्य करनी चाहिए। इस बीच जनरल बिपिन रावत जैसी शख्सियत के निधन पर कोई राजकीय शोक न घोषित किए जाने पर सवाल उठाए जा रहे हैं। ऐसे में यह जानना दिलचस्प होगा कि राजकीय शोक कब घोषित किया जाता है।
नियम क्या हैं? राष्ट्रीय शोक कब होना जाना चाहिए?
नियम के मुताबिक, केवल कार्यरत और पूर्व प्रधान मंत्री, केंद्रीय मंत्री, राष्ट्रपति, उपाध्यक्ष और भारत के मुख्य न्यायाधीश की मृत्यु पर ही राष्ट्रीय शोक होने के नियम हैं। लेकिन समय के साथ नियम बदले हैं। राजकीय शोक की कोई लिखित व्याख्या नहीं है या इसके लिए कोई SOP नहीं है। इसलिए, यह सरकार पर निर्भर है कि वह किसी व्यक्ति की मृत्यु को राष्ट्रीय शोक के रूप में वर्गीकृत करे और पूरे देश में राष्ट्रीय शोक घोषित करे। लेकिन जनरल बिपिन रावत की मौत पर राष्ट्रीय शोक न होने पर देश भर में लोग अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं।