Coal Crisis Likely:देश को इस साल भी कोयला संकट का सामना करना पड़ सकता है। गौरतलब है कि देश की सबसे बड़ी कोयला उत्पादक सरकारी कंपनी कोल इंडिया कोयले की आपूर्ति में बिजली संयंत्रों को प्राथमिकता दे रही है, जिससे कोयले पर निर्भर उद्योगों के लिए आपूर्ति संकट पैदा हो गया है. ज्यादातर शहरों में रविवार के दिन भर दिन भर लाइट गोल हो जाती है ..
बता दे कि गर्मी का मौसम आ गया है और बिजली की मांग बढ़ गई है। और माना जा रहा है कि आने वाले समय में बिजली की मांग और बढ़ सकती है। बिजली संयंत्रों में कोयले का स्टॉक लक्ष्य से कम है। जिसके चलते कोल इंडिया बिजली संयंत्रों को कोयले की आपूर्ति बढ़ा रही है। बिजली संयंत्रों में कोयले का भंडार रविवार को गिरकर 25.2 मिलियन टन हो गया, जो कोयला मंत्रालय द्वारा निर्धारित 45 मिलियन टन के लक्ष्य से कम है।
मिडिया रिपोर्ट्स के अनुसार कोल इंडिया नॉन पावर यूजर्स को 2,75,000 टन कोयले की सप्लाई किया करती थी जिसमें हर रोज औसतन 17 फीसदी की कमी आई है. पावर प्लांट्स में कोयले की सप्लाई बढ़ाने के रेलवे रैक का इस्तेमाल किया जा रहा है ऐसे में कोल इंडिया ने रेलवे कैरेज की संख्या कम होने के चलते इंडस्ट्रियल कस्टमर्स को ट्रकों के जरिए कोयले की सप्लाई करने को कहा है जिससे नॉन पावर यूजर्स को कोयले की आपूर्ति में कमी आएगी. एक रेलवे रैक में 4000 टन कोयले की ढुलाई की क्षमता होती है जबकि ट्रेक में एक बार में 25 टन कोयला ही ले जाया जा सकता है. देश में एल्युमिनियम के अलावा स्टील, सीमेंट्स प्लांट्स, केमिकल्स फैक्ट्रियां भी कोल आधारित होती हैं.
2021-22 कोल इंडिया ने 622 मिलियन टन कोयले का उत्पादन किया है जबकि 2020-21 में 607 मिलियन टन का उत्पादन किया था. लेकिन कोलये की मांग में तेजी है. जो पावर प्लांट्स आयातित कोले पर निर्भर थीं उन्होंने रूस और यूक्रेन युद्ध के चलते कोयले के दामों में आए जबरदस्त तेजी के चलते खरीद में कमी की है. वहीं कोयले इंडिया मांग को पूरा करने में असमर्थता दिखा रहा है.