Filmmaker Leaving Islam, Adopting Hunduism – फिल्म निर्माता अली अकबर इस्लाम धर्म छोड़कर हिंदू धर्म अपनाने का फैसला लिया है पिछले 5 दिनों में दो मुस्लिम चर्चित शख्स फिल्म निर्माता अली अकबर और शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष सैयद वसीम रिजवी 6 दिसंबर को इस्लाम से नाता तोड़ लिया है। रिजवीने चार दिन पहले हिंदू धर्म अपना लिया और अपना नाम जितेंद्र नारायण सिंह रखा। जबकि अकबर ने घोषणा की कि वह और उसकी पत्नी लूसियामा इस्लाम छोड़कर हिंदू धर्म में परिवर्तित हो जाएंगे। हालांकि रिजवी के इस कदम के राजनीतिक निहितार्थ हैं, लेकिन अकबर का फैसला ज्यादा भावुक करने वाला है। वह देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल बिपिन रावत के खिलाफ बयान और प्रतिक्रियाओं से नाराज थे और उनका इस्लाम से मोहभंग हो गया था।
अली अकबर ने घोषणा की कि वह इस्लाम छोड़कर हिंदू बनेगें
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इन जनरल रावत की मौत की खबर पर सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने हास्यास्पद इमोजी के साथ प्रतिक्रिया दी है। मुस्लिमों की इस हरकत से मलयालम फिल्म बनाने वाले निर्माता अली अकबर खासे नाराज हो गए। अली अकबर ने कहा कि मुस्लिमों की ओर से वरिष्ठ इस्लामी नेताओं और धार्मिक नेताओं ने भी इस तरह के कदम का विरोध नहीं किया। देश के बहादुर बेटे का ऐसा अपमान स्वीकार नहीं किया जा सकता। अकबर ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट करते हुए कहा कि उनका धर्म से विश्वास उठ गया है। वह मुस्लिमों की हरकतों से ना केवल शर्मिंदा हुए बल्कि काफी दर्द भी महसूस हुआ जिसके बाद से उन्होंने इतना बड़ा कदम उठाने का फैसला किया।
अकबर बोले जन्म से मिले चोले को मैंने उतार फेंका !
अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार, फिल्म निर्माता ने बुधवार को फ़ेसबुक पेज पर एक वीडियो साझा किया और कहा, ”आज मैं वो चोला उतार कर फेंक रहा हूँ जो मुझे पैदाइशी मिला था. आज से मैं मुसलमान नहीं हूँ बल्कि भारतीय हूँ. ये मेरा जवाब है, उन हज़ारों लोगों को जिन्होंने कॉमेंट में इमोजी पोस्ट किए.”शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी ने भी सनातन धर्म अपना लिया. इसके साथ ही उनका नाम भी बदल गया. वसीम रिजवी का नया नाम जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी हो गया. इस्लाम छोड़कर हिंदू बनने के बाद जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी (वसीम रिजवी) ने कहा था, ‘धर्म परिवर्तन की यहां कोई बात नहीं है, जब मुझे इस्लाम से निकाल दिया गया तो फिर मेरी मर्जी है कि मैं कौन सा धर्म स्वीकार करूं. वसीम रिजवी ने कहा कि इस्लाम को हम धर्म ही नहीं समझते. हर जुमे की नमाज के बाद हमारा सिर काटने के लिए फतवे दिए जाते हैं तो ऐसी परिस्थिति में हमको कोई मुसलमान कहे, इससे हमको खुद शर्म आती है.’