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    Import of coal and self-sufficiency : मोदी सरकार का घरेलु उत्पादन बढ़ाने और कोयले के गैर-जरूरी आयात को खत्म करने पर जोर

    Import of coal and self-sufficiency : भले ही भारत India के पास दुनिया का पांचवा सबसे बड़ा कोयला भंडार है, इसके बावजूद हम ऊंचे कीमतों पर दूसरे
    By Pro VindhyaApril 13, 2023No Comments5 Mins Read
    Self-reliant India : केंद्र सरकार का घरेलू उत्पाद बढ़ाने और कोयला आयात को कम करने पर जोर
    photo by google

    Import of coal and self-sufficiency : भले ही भारत India के पास दुनिया का पांचवा सबसे बड़ा कोयला भंडार है, इसके बावजूद हम ऊंचे कीमतों पर दूसरे देशों से कोयला आयात करने के लिए बाध्य हैं। ‘एमजंक्शन’ mjunction’ के ताजा रिपोर्ट के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2023 में अप्रैल से फरवरी तक भारत का कोयला आयात 32 प्रतिशत बढ़कर 148.58 मिलियन टन हो गया, जो कि एक साल पहले केवल 112.38 मिलियन टन था।

    Import of coal and self-sufficiency : दुनिया में कोयले के सबसे बड़े भंडार अमेरिका, रूस, ऑस्ट्रेलिया, चीन और भारत में हैं। भारत सरकार के कोयला मंत्रालय के मुताबिक़ देश में 319 अरब टन का कोयला भंडार है और ये भारत की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त है। फिर भी भारत को आयातित कोयले के लिए कीमती विदेशी मुद्रा को खर्च करना पड़ रहा है जिससे रूपया अमेरिकी डॉलर के सामने कमजोर होता जा रहा है। इसका दुष्प्रभाव अर्थतंत्र के अन्य कई सारे क्षेत्रों पर हो रहा है और देश के विकास पर असर पड़ रहा है। 

    Import of coal and self-sufficiency : मोदी सरकार का घरेलु उत्पादन बढ़ाने और कोयले के गैर-जरूरी आयात को खत्म करने पर जोर
    photo by google

    किस परिस्थिति में करना पड़ता है कोयले का आयात:

    कोयले की घरेलू मांग और घरेलू आपूर्ति के बीच अंतर को पाटने के लिए होता है कोयले का आयात। आयातित कोयले के इस्तेमाल में बढ़ोतरी न केवल ऊर्जा सुरक्षा को लेकर भारत की आत्मनिर्भरता वाली रणनीति के खिलाफ जाती है, बल्कि अपने संसाधनों का उचित इस्तेमाल करने की हमारी कोशिश को भी चोट पहुंचाती है। कोयले की अंतरराष्ट्रीय क़ीमतें अपने उच्चतम स्तरों पर है और इससे भारत की विद्युत व्यवस्था पर बोझ पड़ सकता है।

    ग़ौरतलब है कि ये क्षेत्र लगातार वित्तीय संकटों से जूझता आ रहा है। ऐसे में लागत के इस अतिरिक्त बोझ का असर आम आदमी की जेब पर ही पड़ेगा।  दुनिया के सबसे बड़े कोयला उत्पादक देशों में शामिल भारत आज अभूतपूर्व कोयला संकट के कगार पर खड़ा है। आशंका जाहिर की गयी है कि समय रहते कोयला का पर्याप्त उत्पादन नहीं हुआ और इस संकट से नहीं उबरा तो बड़े पैमाने पर बिजली कटौती हो सकती है।  भारत को मजबूरी में अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में प्रवेश करना पड़ा है। इसकी वजह ये है कि यहां का घरेलू उत्पादन मांग में लगातार हो रही बढ़ोतरी को पूरा कर पाने में नाकाम रहा है। Import of coal and self-sufficiency 

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    राज्य सरकारों को मिलता है करोड़ों का राजस्व और नए युवाओं के लिए रोजगार के अवसर:

    वित्तीय वर्ष 2021-22 में राज्य सरकारों को रॉयल्टी के तौर पर 13914.31 करोड़ रुपये प्राप्त हुए। भारत सरकार के आत्मनिर्भर भारत कार्यक्रम के तहत देश में ही कोयले का घरेलू उत्पादन बढ़ाने के काफी प्रयास हो रहे हैं। कोयला मंत्रालय के मुताबिक पिछले तीन साल से भी कम समय में, नीलामी के छह चरणों को सफलतापूर्वक पूरा किया गया है और 87 कोयला खानों की नीलामी की गई है। इन खानों से करीब 33,200 करोड़ रुपये की राजस्व प्राप्ति होने और लगभग तीन लाख लोगों को रोजगार मिलने का अनुमान है Import of coal and self-sufficiency

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    जबकि  7वें दौर की नीलामी प्रक्रिया के अन्तर्गत 106 कोयला ब्लॉकों की नीलामी प्रक्रिया 29 मार्च 2023 को प्रारम्भ की गयी है।  भारतीय अर्थव्यवस्था बहुत तेज गति से आगे बढ़ रही है और कोयला आधारित बिजली उत्पादन में इस वर्ष 16.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है और घरेलू कोयले का उत्पादन 22 प्रतिशत बढ़ा है। कोयला मंत्रालय के मुताबिक वर्ष 2030 तक भारत की जरूरत 1.5 बिलियन टन कोयले की होगी। Import of coal and self-sufficiency

    घरेलु उत्पादन बढ़ाने और कोयले के गैर-जरूरी आयात को खत्म करने पर सरकार का जोर:

    वर्ष 2021-22 में भारत में कोयले का कुल खपत 1027.92 मिलियन टन था जबकि घरेलू कोयला की आपूर्ति केवल 818.99 मिलियन टन हो सका जिस वजह से  208.93 मिलियन टन का आयात करना पड़ा।  देश में ईंधन आपूर्ति की बढ़ती मांग को पूरा करने और भविष्य की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए कोयला मंत्रालय देश की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए वित्त वर्ष 2024-25 तक कोयला उत्पादन बढ़ाने की प्रक्रिया में है। इसी के मद्देनजर कोयला मंत्रालय ने वर्ष 2024-25 तक 1.23 अरब टन कोयला उत्पादन करने का लक्ष्य रखा है जिसमें सीआईएल और गैर-सीआईएल दोनों कोयला ब्लॉक शामिल हैं। इसी क्रम में कोयला मंत्रालय ने वर्ष 2023-24 के दौरान कोयले के एक बिलियन टन से अधिक के उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया है ताकि बिना किसी रुकावट के ईंधन आपूर्ति की जा सके।

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