Indian Tea : बहुत अधिक कीटनाशक और रसायन (Pesticides and Chemicals) का इस्तेमाल करने की वजह से गेहूं- चावल wheat- rice के बाद भारत की चाय (Indian Tea) को नकारा जा रहा है. एक दिन पहले ही तुर्की ने भारत के गेहूं की खेप को खारिज करते हुए लौटा दिया था. अब भारत की चायपत्ती को बहुत अधिक कीटनाशक होने की वजह से लौटाया गया है. गेहूं के बाद चाय में खराब गुणवत्ता की शिकायत मिली है. इसकी वजह से ना सिर्फ निर्यात को, बल्कि साख को भी नुकसान पहुंचा है. Indian Tea
Issue with Tea Export : नई दिल्ली – भारत में चाय (India Tea) का उत्पादन तो खूब होता है, लेकिन साथ ही यहां कीटनाशकों और रसायनों का भी खूब इस्तेमाल होता है. इसी बीच भारत के निर्यात क्षेत्र में बढ़ते कारोबार के लिए एक बुरी खबर है. गेहूं व चावल wheat- rice के बाद भारतीय चाय को भी गुणवत्ता के आधार पर खारिज कर दिया गया है. भारत की चाय की खेप को इंटरनेशनल और घरेलू दोनों ही बाजारों से लौटाया जा रहा है.
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भारतीय चाय निर्यातक संघ (ITEA) के अध्यक्ष अंशुमान कनोरिया ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। श्रीलंका में आए आर्थिक संकट के बाद भारत के पास चाय उद्योग के जरिए इंटरनेशनल मार्केट में पकड़ बनाने का मौका था, लेकिन वह मौका हाथ से निकलता जा रहा है. गेहूं व चावल wheat- rice के बाद भारतीय चाय को भी गुणवत्ता के आधार पर खारिज कर दिया गया है. Indian Tea
दरअसल, श्रीलंका के आर्थिक संकट के बाद वैश्विक स्तर पर चाय के निर्यात में जीरो पर आ गई है। ऐसे में टी बोर्ड ऑफ इंडिया, चाय का एक्सपोर्ट बढ़ाकर इस मौके का फायदा उठाना चाहता है. लेकिन चाय की खेपों की अस्वीकृति और वापसी के कारण विदेशी शिपमेंट की संख्या घट रही है. आपको बता दें कि वर्ष 2021 में 19.59 करोड़ किलोग्राम चाय का एक्सपोर्ट किया था जिससे 5246 करोड रुपए मिले थे टी बोर्ड ने इस साल 30 करोड़ किलोग्राम चाय का एक्सपोर्ट करने का लक्ष्य रखा था तुर्की ने भारतीय गेहूं में रूबेला वायरस होने की बात कही थी और उसकी खेप को वापस लौटा दिया था. Indian Tea
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क्यों लौटाई गई चाय?
wheat- rice चाय की खरीद को लेकर कई देश सख्त मानकों का पालन कर रहे हैं. अधिकांश देश यूरोपीय संघ के मानकों के समान नियमों का पालन करते हैं, जो हमारे FSSAI नियमों के अनुरूप हैं. देश में बेची जाने वाली सभी चाय FSSAI (भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण) के मानदंडों के अनुरूप होनी चाहिए. लेकिन चाय बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस मुद्दे पर चाय पैकर्स और निर्यातकों की ओर से शिकायतें मिली हैं. इनके मुताबिक देश में ज्यादातर चाय जो आप खरीद रहे हैं, उसमें असामान्य रूप से उच्च रासायनिक सामग्री है. बोर्ड का मानना है कि चाय उत्पादकों को मौजूदा एफएसएसएआई मानदंडों का सख्ती से पालन करना चाहिए. Indian Tea
हाल ही में लौटाई थी गेहूं की खेप
एक दिन पहले ही तुर्की ने भारत के गेहूं की खेप को खारिज करते हुए लौटा दिया था. तुर्की ने भारतीय गेहूं में रूबेला वायरस होने की बात कही थी और उसकी खेप को वापस लौटा दिया था। तुर्की के कृषि और वानिकी मंत्रालय ने पादप स्वच्छता संबंधी चिंताओं का हवाला देते हुए भारत से एक्सपोर्ट हुए गेहूं की खेप को खारिज कर दिया. अब 56,877 टन ड्यूरम गेहूं से लदा जहाज ‘एमवी इंस अकडेनिज़’ वापस गुजरात के कांडला बंदरगाह की ओर लौट रहा है. Indian Tea
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इससे पहले 13 मई को, भारत सरकार ने खाद्य सुरक्षा चिंताओं का हवाला देते हुए गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था. गेहूं के निर्यात से जुड़े व्यापारियों को इससे भारी नुकसान हुआ। करीब 18 लाख टन अनाज, निर्यात के मकसद से अब भी बंदरगाहों पर पड़ा है.ऐसे में तुर्की के फैसले ने निर्यात में और बाधाएं खड़ी कर दी हैं. गेहूं व चावल wheat- rice के बाद भारतीय चाय को भी गुणवत्ता के आधार पर खारिज कर दिया गया है. Indian Tea
इसलिए हो रही हैं ये समस्या
ग्लोबल वार्मिंग के कारण पिछले कुछ वर्षों में चाय बागानों में बहुत बदलाव आया है. कभी तेज बारिश तो कभी ज्यादा दिनों तक सूखी रहती है, जिससे कीड़ों का खतरा बढ़ जाता है. ऐसे मामलों में अधिक कीटनाशकों का उपयोग करना पड़ता है और कई मामलों में दवा के प्रभाव के बंद होने से पहले चाय की पत्तियों को तोड़ (चुन) लिया जाता है. बता दें कि कीटनाशकों के प्रयोग के 10-20 दिन बाद पत्तियों को तोड़ लेना चाहिए, नहीं तो चाय की पत्तियों पर कीटनाशकों का असर बना रहता है. यदि इस का पालन नहीं किया जाता है. तो कीटनाशक का असर बना रह जाता है. Indian Tea