Martyr’s wife didn’t want eight lakhs, जांजगीर : नक्सली हमले में शहीद हुए सब-इंस्पेक्टर दीपक भारद्वाज की पत्नी प्रान्तिका भारद्वाज का दर्द 3 महीने बाद सोशल मीडिया पर फैल गया है, उन्होंने अपने फेसबुक पोस्ट में अपनी स्थिति सार्वजनिक की है, वह लिखते हैं कि एक सैनिक के शहीद Martyr होने के बाद उसके परिवार वालों को बुलाकर नारियल देने में कोई हर्ज नहीं है, इससे उनकी पीड़ा कम नहीं होती है, देश के सैनिक अपने कर्तव्यों को निभाने में देश की शरहद में खड़े रहे हैं. Martyr
प्रान्तिका भारद्वाज ने मागं करते हुए कहा कि अपने पति को सम्मान देने के लिए, मुझे डिप्टी कलेक्टर या डीएसपी के रूप में नियुक्त किया जाये, 3 अप्रैल को नक्सलियों ने बीजापुर पर अचानक हमला कर दिया, जहां दीपक भारद्वाज शहीद हो गए, केंद्र और राज्य सरकारों सहित परिवारों को 80-80 लाख रुपये देने की घोषणा की गई है, मुझे वह नहीं चाहिए. Martyr
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प्रान्तिका भारद्वाज ने फेसबुक पोस्ट में अपनी स्थिति सार्वजनिक करते हुए लिखा कि अमर शहीद Martyr दीपक भारद्वाज (सब इंस्पेक्टर छत्तीसगढ़)… की पत्नी हूं. मेरे पति 3 अप्रैल 2021 को बीजापुर नक्सली हमले में शहीद हुए हैं. उन्होंने बड़ी बहादुरी के साथ अपने अंतिम सांस तक लड़े और अपने देश और अपने जवानों के लिए कुर्बानी दे दी…मेरे पति ने अपने कर्तव्य को निभाने के लिए अपने परिवार अपने पत्नी के प्रति कर्तव्य को किनारे पर रखकर अपने वर्दी का फर्ज अपने देश के लिए बखूबी निभाए……
मेरे पति के हाथ में गोली लगने के बावजूद भी वह लड़ते रहे उनके साथी बोले कि, सर चलिए आप घायल हो गए हैं हम आपको निकाल कर ले जाएंगे……. लेकिन फिर भी वह अपने फर्ज को निभाते रहें और अपने जवानों को बचाने के लिए लड़ते रहे….. वह सामने से लड़ रहे थे कई सारे नक्सलियों को मार गिराया जब बाकी लोग एंबुश से बाहर निकल रहे थे.
तो वह आगे जाकर नक्सलियों से लड़ते रहे….. जिससे बाकी जवान लोग उस एंबुश से बाहर निकलने पाए…… फिर लड़ते-लड़ते उनके सीने में दो गोली लगी फिर भी वह लड़ते रहे उन्होंने अपने हिम्मत नहीं हारी….. उस महान इंसान ने अपने फर्ज के लिए देश के लिए और अपने जवानों के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए……
मेरे पति जो मेरे सब कुछ है मेरी दुनिया थे, आज वह मेरे साथ नहीं हैं. उन्होंने बहुत लोगों के सुहाग और दुनिया को बचाया पर मेरी दुनिया तो खत्म हो गई…इस तरीके से उनके पार्थिव शरीर पाया गया कि उनको आखरी दिन में मैं देख भी नहीं पाई उनके पार्थिव शरीर इतने छत विच्छेद थे कि मुझे देखने तक नहीं दिया गया इससे बुरा मेरे लिए और क्या हो सकता है. Martyr
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Martyr जब उनके पार्थिव शरीर को घर लाया गया तो बहुत से नेतागण और सामाजिक कार्यकर्ता लोग आए और समाज के लोग आए सब बड़ी-बड़ी बातें कर रहे थे कि, उनके सम्मान के लिए हम बहुत बढ़िया और बड़े-बड़े काम करेंगे सब ने आश्वासन दिया कि हम आपके साथ हैं…… लेकिन उनके दशगात्र के बाद आज 3 महीने होने को है कोई नेता कोई मंत्री कोई सामाजिक कार्यकर्ता कोई समाज के लोग यह पूछने तक नहीं आए कि हम कैसे हैं……. या कोई शहीद परिवार कैसा है……..
Martyr इतना कुछ मेरे पति ने अपने देश अपने लोगों को बचाने के लिए किया कि अंतिम सांस तक लड़ते रहे और अपने प्राण की आहुति दे दी तो क्या इस देश के नेतागण,मंत्री गण और सामाजिक कार्यकर्ता और समाज के लोग उनको सम्मान दिलाने के लिए कुछ नहीं कर सकते……
देश के कई सारे जवान अपने देश के लिए अपने फर्ज के लिए अपने प्राण तक निछावर कर देते हैं…… पर इस देश के नेता, मंत्री और इस देश की जनता उनके लिए क्या करते हैं, सिर्फ 1 दिन की दुख जाहिर कर देते हैं उसके बाद क्या उनका कर्तव्य खत्म हो जाता है….. कुछ लोग बोलते हैं कि डिप्टी कलेक्टर या डीएसपी प्रशासनिक पद बहुत बड़ा होता है इसको कैसे दे सकते हैं, आज उनकी बलिदानी छोटी हो गई और डिप्टी कलेक्टर या डीएसपी का पद बड़ा हो गया……
किसी जवान के शहीद Martyr हो जाने के बाद उसके घर वालों को बुलाकर नारियल भेंट कर देने से कुछ नहीं होता…… इससे उनको सम्मान या उनके तकलीफ कम नहीं होते…… जब देश के जवान अपना फर्ज निभाने के लिए हमेशा सब लोगों के साथ खड़े रहते हैं, तो क्या उनके लिए इस देश के मंत्री नेता, समाज, राज्य, देश,दुनिया के लोग खड़े नहीं हो सकते……
मेरे पति के सम्मान के लिए मुझे सम्मानित पद पर डिप्टी कलेक्टर या डीएसपी के पद में नियुक्त किया जाए यही मेरी पति को सच्ची श्रद्धांजलि होगी…… जिस तरीके से अपने फर्ज को निभाते हुए उन्होंने अपने प्राण की आहुति दी उनके सम्मान के लिए अब आप सब की बारी है कि उन को सच्ची श्रद्धांजलि दें……