Flowers dear to Lord Ganesha: धार्मिक मान्यता के अनुसार सभी पूजा पाठ की शुरुआत में गणेश जी की पूजा की जाती है। पौराणकि मान्यता के अनुसार गणेश चतुर्थी से लेकर अनंत चतुर्दशी तक के दस दिन भगवान गणेश के पूजन के लिए विशेष रूप से समर्पित हैं। गणेश जी को दूर्वा घास और लाल गुड़हल का फूल बेहद पसंद है संस्कृत में इसे जवाकुसुम कहते हैं कहीं-कहीं जपाकुसुम और बोलचाल की भाषा में चाइना रोज जबकि मध्य प्रदेश के कई हिस्सों में स्थित गुड़हल का फूल भी कहा जाता है आमतौर पर यह फूल पूजा में भगवान के चरण पादुका में चढ़ाया जाता है। बहुत ही कम लोगों को पता है कि इस फूल के उपयोग से सेहत के साथ सौंदर्य दोनों को बढ़ाया जा सकता है यह फूल लाल गुलाबी सफेद पीला समेत कई रंगों में पाया जाता है स्कूल में राइबोफ्लेविन नियासिन जैसे विटामिन के साथ विटामिन सी भी पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है अफ्रीकन देशों में हार्ट डिसीज और ब्लड प्रेशर के मरीजों को जवाकुसुम की चाय के लिए एडवाइज किया जाता है यह डायबिटीज होता है इसलिए चाय बना कर पीना लाभदायक होता है।
ब्रेन टॉनिक की तरह उपयोग करके देखें- गुड़हल की चाय ब्रेन टॉनिक की तरह होता है मेमोरी लॉस एक जाएगी और पैनिक अटैक की परेशानी से लड़ रहे लोगों को इसकी चाय अमृत के समान है इसकी चाय पीने से न केवल कब्ज की परेशानी से निजात मिलेगी बल्कि सेहत भी दूर होगी पित्त बढ़ने पर शरीर में जलन और सूजन होती है जहां पर जलन,सूजन और खुजली हो वहां पर जवाकुसुम की 3.4 फूलों के पेस्ट को पीसकर लगाने से काफी राहत मिलती है पिंपल ट्रीटमेंट में इस फूल का उपयोग किया जाता है।
झड़ रहे बालों की रोकथाम होता उपयोग — आजकल प्रदूषण सहित अन्य बीमारियों के बढ़ते दौर में कम उम्र में भी बाल झड़ना आम बात हो गई है वही आनुवंशिक कारणों से भी एक उम्र के बाद बाल झड़ना शुरू हो जाता है ऐसे में गुड़हल के तीन से चार फूल और 8 से 10 पत्तियां लेकर इसे गुनगुने पानी से साफ कर अच्छी तरह पेस्ट बना लें इस पेस्ट को सिर्फ लगाएं 2 या 3 घंटे के बाद इसे साधारण पानी से धो लें यह हफ्ते में दो बार जरूर करें इस दौरान खाने में हरी सब्जियां प्रोटीन और संतुलित मात्रा में भोजन में गुड़हल का अर्क लगाने से सर्दियों में होने वाले डैंड्रफ की समस्या से भी निजात मिलती है।
कब्ज और गैस से मिलेगा छुटकारा जवाकुसुम के दो फूलों को सादे पानी में पीसकर पेस्ट बनाकर इसे रात में लेने से कब्ज की समस्या हमेशा के लिए दूर होती है चाहे तो इसके फूलों को सुखाकर पाउडर भी बना सकते हैं।इसे गुनगुने पानी के साथ लेने से क्रॉनिक कॉन्स्टिपेशन दूर होगा इसमें पाॅलिफेनाल्स पर्याप्त मात्रा में होने के चलते यह एंटी कैंसर प्रॉपर्टी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
गुड़हल की इस तरह से बनाएं चाय– गुड़हल के दो तीन फूलों को एक पतीले में रखने इसमें एक डेढ़ गिलास उबला पानी डालें थोड़ी देर तक इसे किसी बर्तन में ढक कर रखें । इसके बाद दो-तीन बूंद नीबू का रस डालकर चाय की तरह पीए। इस बात का भी ध्यान रखें कि चाय बनाने के लिए इसके फूलों को पानी में डालकर नहीं वाले हाइ ब्लड प्रेशर के मरीजों को एक्सरसाइज और कम नमक से बीपी को कंट्रोल में रखना चाहते हैं इसके लिए यह चाय अचूक दवा की तरह लाभदायक है। महिलाओं में महामारी से जुड़े समस्या भी इस चाय से दूर हो जाएगी महिलाएं यह चाहे दिन में एक से दो बार पीने से पीरियड का फ्लोर कंट्रोल होता है और इस अनियमितता दूर होती है।
एक बार जरूर करे प्रयोग– कोकोनट आयल में आंवला ब्राह्मी, भृंगराज को मिक्स कर लें इसके फूलों को पानी में पीसकर तेल में अच्छी तरह से मिला ले । इस तेल को गर्म कर ले ताकि इसमें मौजूद जल के अंश सूख जाए उसके बाद ठंडा होने पर बोतल में भरकर रख लें। इससे सिर की मालिश करने से बाल काले और मजबूत होंगे