राहु गोचर 2022 प्रभाव(Rahu Transit 2022 Effects): वैदिक ज्योतिष के अनुसार ग्रहों का राशि परिवर्तन बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह सभी राशियों के लोगों को प्रभावित करता है। साल 2022 कई ग्रहों के राशि परिवर्तन का साल है।अप्रैल का महीना ग्रहों के राशि परिवर्तन के हिसाब से खास रहने वाला है। अप्रैल के महीने में शनि, बृहस्पति और राहु-केतु लंबे अंतराल के बाद राशि परिवर्तन करेंगे। राहु-केतु करीब 18 महीने बाद राशि परिवर्तन करने जा रहे हैं। राहु-केतु की राशि 12 अप्रैल को बदल जाएगी। राहु और केतु दोनों को छाया ग्रह माना जाता है और ये हमेशा वक्र दिशा यानी उल्टा चलते हैं। 12 अप्रैल को राहु मेष राशि में और केतु तुला राशि में प्रवेश करेगा। वर्तमान में राहु वृष राशि में और केतु वृश्चिक राशि में मौजूद है।
इस साल अप्रैल ज्योतिष के नजरिए बहुत खास रहने वाला है। इस महीने में राहु-केतु करीब 18 महीनों के बाद राशि बदल रहे हैं। ये राशि परिवर्तन 11 अप्रैल को होगा। राहु मेष में और केतु तुला राशि में प्रवेश करेगा। ये दोनों ही ग्रह हमेशा वक्री रहते हैं, यानी उल्टे चलते हैं।
ज्योतिषीय गणना के अनुसार शनिदेव के बाद राहु-केतु अधिकतर दिनों तक किसी एक राशि में ही रहते हैं। शनि जहां ढाई साल बाद राशि बदलते हैं वहीं राहु-केतु 18 महीने बाद राशि बदलते हैं। 18 साल बाद राहु-केतु फिर से मेष और तुला राशि में प्रवेश करने वाले हैं। वैदिक ज्योतिष के अनुसार मेष राशि का स्वामी ग्रह मंगल है और तुला राशि का स्वामी ग्रह शुक्र है। मंगल और राहु की आपस में दुश्मनी है। वहीं दूसरी ओर केतु और शुक्र एक दूसरे के समान माने जाते हैं। राहु-केतु के बारे में मिथक काफी प्रचलित है।कथा के अनुसार, जब समुद्र मंथन हो रहा था, राहु-केतु ने गुप्त रूप से मंथन के दौरान निकले अमृत को पी लिया था। तब भगवान विष्णु मोहनी के वेश में सभी देवताओं को अमृत पिला रहे थे। हालांकि इस दौरान राहु ने अमृत पी लिया जिससे उसकी मृत्यु नहीं हुई। तब से राहु सिर और केतु धड़ रहे हैं।
राहु-केतु का देश और दुनिया पर प्रभाव
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब भी राहु-केतु की राशि में परिवर्तन होता है। तब इसका प्रभाव सभी जातियों पर ही नहीं बल्कि देश और विश्व पर भी पड़ता है। राहु-केतु की उपस्थिति से कई तरह की प्राकृतिक उथल-पुथल होने की संभावना है। पृथ्वी पर गर्मी बढ़ती है और वर्षा भी कम होती है। देश और दुनिया में राजनीति अपने चरम पर है। एक-दूसरे के देशों में तनाव ज्यादा है। बीमारियां बढ़ती हैं जिससे लोगों की हालत और खराब हो जाती है।
राहु में मेष राशि में जाने से देश और दुनिया में प्राकृतिक आपदाएं आ सकती हैं। राजनीति के क्षेत्र में उतार-चढ़ाव बना रहेगा। सार्वजनिक तनाव बढ़ सकता है। केतु के तुला राशि में होने से झूठ बहुत तेजी से फैलेगा। जनता को चर्म रोगों का सामना करना पड़ सकता है। टिड्डियां और अन्य कीट किसानों की फसलों पर हमला कर सकते हैं। किसानों को अतिरिक्त सावधानी बरतनी होगी।
12 राशियों पर प्रभाव
राहु-केतु की उपस्थिति का सभी राशियों के लोगों पर विशेष प्रभाव पड़ता है। ज्योतिषीय गणना के अनुसार कुंडली में मौजूद राहु-केतु की स्थिति के आधार पर शुभ और अशुभ प्रभाव होता है। राहु-केतु के 18 महीने बाद राशि परिवर्तन के कारण मेष, वृष, कर्क, कन्या और मकर राशि वालों को सावधान रहना होगा। राहु-केतु का प्रभाव आप सभी के लिए अच्छा नहीं रहेगा। वहीं सिंह, तुला, वृश्चिक, धनु और कुंभ राशि वालों के लिए यह शुभ और लाभकारी साबित होगा। धन लाभ और प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी, जबकि मिथुन और मीन राशि वालों को इस राशि परिवर्तन का कोई प्रभाव नहीं दिखेगा।
राहु 12 अप्रैल 2022 को मेष राशि में तो केतु इस दिन तुला राशि में प्रवेश करेगा. दोनों ग्रहों के राशि परिवर्तन का 12 राशि वालों पर बेहद ही शुभ प्रभाव पड़ने के आसार रहेंगे. ये राशियां हैं मिथुन, कर्क, वृश्चिक और कुंभ, सिंह.तुला, कन्या केतु ,मेष, धनु, कुंभ, मीन इन राशि के जातकों को करियर में अच्छी तरक्की मिलने के योग बन रहे हैं. पिछले समय में किए गए प्रयासों का फल इस दौरान मिल सकता है. अचानक से धन की प्राप्ति होने के आसार रहेंगे. कार्यक्षेत्र में कोई बड़ी उपलब्धि मिल सकती है. आर्थिक स्थिति कुल मिलाकर अच्छी रहेगी.
जातक प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे जातकों के लिए यह समय काफी अनुकूल साबित होगा, इस दौरान आपका सारा काम बनता नजर आ रहा है, स्वास्थ्य अच्छा रहेगा। किसी पुराने रोग से मुक्ति मिल सकती है, शिक्षा के क्षेत्र में अच्छी सफलता मिलने के योग हैं। अटका हुआ धन वापस मिल सकता है। आपके आत्म सम्मान में वृद्धि होगी। इस दौरान आप संपत्ति भी खरीद सकते हैं। नौकरी चाहने वालों के लिए यह समय काफी अनुकूल नजर आ रहा है।
निदान
जिन जातियों की कुण्डली में राहु-केतु का अशुभ प्रभाव हो, उन्हें इससे बचने के लिए शनिदेव और भैरव की पूजा करनी चाहिए। हनुमान चालीसा का पाठ करने से राहु-केतु का प्रभाव नहीं रहता है। राहु-केतु के प्रभाव को कम करने के लिए काले कंबल और जूते का दान करना शुभ होता है।