इस साल 5 फरवरी को मनाई जाएगी वसंत पंचमी, जाने पर्व का महत्व
इस साल वसंत पंचमी 5 फरवरी को मनाई जाएगी।
Basant Panchami 2022 : भारत में कई त्योहार मौसम के अनुसार मनाए जाते हैं। ऐसा ही एक त्योहार है बसंत पंचमी, जो बसंत या बसंत ऋतु के आगमन पर मनाया जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार इस वर्ष बसंत पंचमी माघ मास की पंचमी तिथि पूरे उत्तर भारत में बड़ी धूमधाम से मनाई जाती है। इस बार यह पर्व 5 फरवरी को मनाया जाएगा। बसंत पंचमी का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है । वसंत पञ्चमी या श्रीपंचमी एक हिन्दू त्यौहार है। इस दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। … वसंत ऋतु का स्वागत करने के लिए माघ महीने के पाँचवे दिन एक बड़ा जश्न मनाया जाता था जिसमें विष्णु और कामदेव की पूजा होती हैं। यह वसंत पंचमी का त्यौहार कहलाता था।
बसंत पंचमी को होली के त्योहार की शुरुआत के रूप में मनाया जाता है, जो आमतौर पर मार्च में 40 दिनों के बाद मनाया जाता है। पंचमी पर बसंत का त्योहार वसंत से 40 दिन पहले मनाया जाता है। वसंत वर्ष के सबसे खूबसूरत मौसमों में से एक है, जिसके दौरान मौसम पूरी तरह से खिलता है। हिंदी भाषा में ‘बसंत’ का अर्थ है वसंत और ‘पंचमी’ का अर्थ है पांचवां दिन।
इस दिन को देवी सरस्वती पूजा के रूप में भी मनाया जाता है, जिसे संगीत, ज्ञान, कला और ज्ञान की देवी के रूप में पूजा जाता है। शास्त्रों और पुराणों के अनुसार, माना जाता है कि देवी का जन्म इसी दिन हुआ था, और इस प्रकार, लोग पूजा करते हैं, खिचड़ी चढ़ाते हैं, माल्यार्पण करते हैं और यहां तक कि सरसों के फूलों के खेतों को चिह्नित करने के लिए पीले रंग के कपड़े पहनते हैं। पीले रंग को देवी सरस्वती का प्रिय रंग भी कहा जाता है। पूजा समाप्त होने के बाद बच्चे और छात्र भी देवी से आशीर्वाद लेते हैं, ज्ञान के लिए प्रार्थना करते हैं। इस मौके पर लोग पतंग भी उड़ाते हैं और इस शुभ दिन को मनाने के लिए कई जगहों पर सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं।
ज्योतिष के मुताबिक वसंत पंचमी का दिन अबूझ मुहर्त के तौर पर जाना जाता है और यही कारण है कि नए काम की शुरुआत के लिए सबसे अच्छा दिन माना जाता है। वसंत पंचमी के दिन पीले रंग के वस्त्र पहनकर पूजा करना भी शुभ होता है। इतना ही नहीं, इस दिन पीले पकवान बनाना भी काफी अच्छा माना जाता है।
बसंत पंचमी क्यों मनाई जाती है
हिंदु पौराणिक कथाओं में प्रचलित एक कथा के अनुसार, भगवान ब्रह्मा ने संसार की रचना की। उन्होंने पेड़-पौधे, जीव-जन्तु और मनुष्य बनाए, लेकिन उन्हें लगा कि उनकी रचना में कुछ कमी रह गई। इसीलिए ब्रह्मा जी ने अपने कमंडल से जल छिड़का, जिससे चार हाथों वाली एक सुंदर स्त्री प्रकट हुई। उस स्त्री के एक हाथ में वीणा, दूसरे में पुस्तक, तीसरे में माला और चौथा हाथ वर मुद्रा में था। ब्रह्मा जी ने इस सुंदर देवी से वीणा बजाने को कहा। जैसे वीणा बजी ब्रह्मा जी की बनाई हर चीज़ में स्वर आ गया। तभी ब्रह्मा जी ने उस देवी को वाणी की देवी सरस्वती नाम दिया। वह दिन वसंत पंचमी का था। इसी वजह से हर साल वसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती का जन्मदिन मनाया जाने लगा और उनकी पूजा की जाने लगी।
भगवती शारदा का मूल स्थान शशांकसदन अर्थात् अमृतमय प्रकाशपुंज है। जहां से वे अपने उपासकों के लिए निरन्तर पचास अक्षरों के रूप में ज्ञानामृत की धारा प्रवाहित करती हैं। उनका विग्रह शुद्ध ज्ञानमय, आनन्दमय है। उनका तेज दिव्य और अपरिमेय है और वे ही शब्दब्रह्म के रूप में स्तुत होती हैं।
बसंत पंचमी का मुहूर्त
पंचांगीय गणना काल के मुताबिक 5 फरवरी को प्रात: 6 बजकर 42 मिनट से पंचमी शुरू होगी। यह तिथि अगले दिन 6 फरवरी, शनिवार की सुबह 6.44 बजे तक रहेगी। इस दिन कला प्रेमी व छात्र-छात्राएं मां शारदे की आराधना करते हैं। इसको लेकर अपने घरों और सार्वजनिक स्थलों पर मां सरस्वती की मूर्ति स्थापित करते हैं तथा शुभ मुहूर्त में वैदिक विधि-विधान के साथ पूजा करते हैं।
नोट– उपरोक्त दी गई जानकारी व सूचना सामान्य उद्देश्य के लिए दी गई है. हम इसकी सत्यता की जांच का दावा नही करतें हैं यह जानकारी विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, धर्मग्रंथों, पंचाग आदि से ली गई है.