एमपी — किसी सरकार के लिए इससे ज्यादा शर्मनाक क्या हो सकता है कि उसके साथ रहने वाले लोग उसे सत्ता से बेदखल करने की साजिश रच रहे हो और उसे भनक भी ना लगे। सोशल मीडिया में शिवराज सिंह चौहान का वायरल वीडियो यदि सही है तो यह कमलनाथ का सबसे बड़ा फेलियर है। सरकार गिरे इसके लिए कोई बड़ा मुद्दा नहीं था बल्कि एक सोची-समझी प्लानिंग के बाद सरकार गिराई गई। दिल्ली में चल रही साजिश का कमलनाथ को भनक नहीं लगी यही वजह रही कि सरकार ना गिरे इसके लिए कमलनाथ कोई इंतजाम ना कर सके।
बताया जा रहा है कि कमलनाथ को पॉलिटिक्स में मिस्टर मैनेजमेंट के नाम से जाना जाता था उनकी शान में लोग प्रशंसा करते नहीं थकते हैं । राजनीतिक गलियारे में उनके सूचना तंत्र जबरदस्त मानी जाती थी। स्वर्गीय अर्जुन सिंह दाऊ साहब को राजनीति का चाणक्य के नाम से जानते थे तो कमलनाथ को मिस्टर मैनेजमेंट के नाम से. कमलनाथ व्यवसाई होने के कारण सिर्फ कांग्रेसी ही नहीं भारत की सभी पार्टियों में उनके इन फार्मर मौजूद हैं। राजनीतिज्ञों का कहना है कि कांग्रेस में योग्यता के साथ-साथ संगठन को चलाने में जो काबिलियत कमलनाथ में है वह किसी और में नहीं है।
मध्यप्रदेश में सरकार गिरना बीजेपी की जीत नहीं बल्कि कमलनाथ की हार मानी जा रही है चुनाव के दौरान भी कमलनाथ का मैनेजमेंट फेल हो गया था बावजूद सत्ता में आने के बाद गुटबाजी को खत्म नहीं कर पाए उनका सूचना तंत्र फेल था नहीं तो पता चल जाता कि दिल्ली में उनके खिलाफ क्या साजिश चल रही है हालांकि अब कमलनाथ को सर्व स्वीकार नेता नहीं कह सकते. और यदि सर्व स्वीकार नेता होते तो ज्योतिरादित्य सिंधिया इस तरह से उनके खिलाफ दल बदल कर बीजेपी में शामिल नहीं होते.
मध्यप्रदेश में सत्ता परिवर्तन कमलनाथ की कमजोरी का प्रत्यक्ष प्रमाण है शिवराज का वायरल ऑडियो यदि सही है तो यह कहना गलत नहीं होगा कमलनाथ को फसाने के लिए दिल्ली में पटकथा पहले ही लिखी जा चुकी थी। दिल्ली में लिखी पटकथा के मुताबिक ज्योतिरादित्य सिंधिया के सभी बयान प्लानिंग के तहत दिए जा रहे थे बावजूद इसके कमलनाथ व उनके सोशल मीडिया तंत्र को कानों कान भनक तक नहीं लगी यही वजह रही कि कमलनाथ सरकार महज 15 माह में अल्पमत में आ गई।
बीजेपी लगातार आरोप लगा रही थी कि कांग्रेस में अंतर कलह है ,यह अल्पमत की सरकार है, कभी भी गिर सकती है बावजूद इसके राजनीतिक मिस्टर मैनेजमेंट के तौर पर पहचान रखने वाले कमलनाथ इन बातों को हल्के में लेते रहे उन्हें जरा भी अंदेशा नहीं था की उनकी सरकार अल्पमत में आ जाएगी।वहीं दूसरी तरफ सत्ता के गलियारों में यह विश्वास जताया जा रहा था कि ‘कमलनाथ है तो मुमकिन है’ यह सरकार जरूर 5 साल पूरे करेगी लेकिन कमलनाथ की मैनेजमेंट गुरु की छवि यहां पर धूमिल हो गई और 15 महीने में ही सरकार धराशाई हो गई।
7 Comments
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