MP: BJP cut husband’s ticket and gave ticket to wife, then there was a ruckus, people said what is the matter – तमारे सूज पड़े के नी, के सारा मौहल्लावाला से enmity मोल लोगा? रिश्ता में तमारी लाड़ी लगे है वा,अब घर में अई जाओ,थोड़ी भोत शरम बची हो तो……, मिली गयो उके टिकट,कित्ता बोट काटी लोगा उका…जीतेगी तो……….(MP)
Ujjain 27 जून चुनावी रणनीति में कई बार ऐसे मौके आते हैं, जबchess,की बिसात बिछाने वाले भी मात खा जाते हैं,ऐसा ही वाकया उज्जैन दक्षिण Assembly क्षेत्र में हो गया,नेताजी के एक समर्थक को उनके घोर विरोधी भाजपाई ने ही चोंट दे दी,चोंट भी ऐसी कि घाव होने के बाद भी कोई उसे दिखाने से परहेज रखे..(MP)
एक वार्ड में नेताजी के समर्थक, पार्षद पद के प्रबल दावेदार थे. उनकी दावेदारी दो साल से खम ठोक रही थी,वार्ड में भी उन्होने अपने स्तर पर सारी जमावट कर ली थी,टिकट बांटनेवाली कमेटी के हर स्तर पर उनका नाम तय हो गया था,उनके नाम पर उज्जैन उत्तर से भी समर्थन मिल गया था,इस बीच किसी ने दावेदार से कहाकि कागजी कार्रवाई की तैयारी कर लो, ताकि नाम घोषित होने के बाद उस तरफ न देखना पड़े, इस पर दावेदार ने सबसे पहले मतदाता सूची मंगवाई,सूची को दावेदार और उनके वकील ने तीन से चार बार पढ़ा,सूची में दावेदार का नाम ही नहीं था..(MP) जानकारी निकाली तो पता चला कि उनका नाम तो काफी पहले कटवा दिया गया था?
दावेदार ने यह बात नेताजी को बताई। नेताजी के कपाल पर बल पड़ गए, तनाव के बीच स्वयं को संतुलित रखते हुए उन्होने कहा: अभी तुम्हारी पत्नी को टिकट देते हैं,बाकी बाद में देखेंगे..(MP)
पत्नि का नाम भी बहुत मुश्किल से मिला..
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दोबारा से छापे पेम्पलेट और फ्लेक्स..
पत्नी को टिकट मिलने के बाद भी परेशानियां खत्म नहीं हुई,एक खर्चा और नया जुड़ गया,पूर्व में हरी झण्डी मिलने के कारण दावेदार claimant ने अपने नाम से पेम्पलेट,फ्लेक्स आदि तैयार करवा लिए थे,अब पत्नी के नाम से टिकट मिलने पर दोबारा से प्रचार सामग्री तैयार की गई पत्नि के फोटो मोबाइल पर खींचकर फ्लेक्स वाले को भेजे गए, उसने कह दिया कि फोटो ठीक नहीं है,चेहरा फट जाएगा, इस पर एक प्रेस फोटोग्राफर को तत्काल बुलवाया गया,उसने अलग-अलग एंगल से फोटो निकाले और पेन ड्राइव में दे दिए,दावेदार के सहायक तत्काल फ्लेक्सवाले के यहां पहुंचे और आगे का काम पूरा करवाया..(MP)
रोओ मत लाड़ी….जीतोगा तो तम
यह प्रसंग स्वयं प्रत्याशी पत्नी ने सुनाया,सुनाते समय उनकी आंखों से अश्रु बह निकले,अपने रिश्तेदारों को बताते हुए वे बोलीं: देखो,अपना सगा बने और सगा के साथ ही ऐसो करियो,हमारी कई दुश्मनी,मत मांगता विधानसभा में टिकट और मत जाता रैली बनई के कोठी तक,ऐसो करता तो टिकट उनका घर में मिली जातो..(MP)
अब नेताजी की चली तो उनने मामलो निपटई दियो,वी तो अबी बी बोली रिया है कि बाद में देखांगा,तो उनसे जईके निपटे। म्हारे तो लाड़ी-लाड़ी बोले ने गड्ढा भी खोदता जाए, बताओ,हमारी कई गलती? इस पर रिश्तेदार बोले: हमारे लिए तो तम सब एकज हो,कोई भी जीततो,वोट तो घर में देता, कोई बात नीं,वी नीं तो तम सई,रोओ मत लाड़ी….जीतोगा तो तम,यह बात जब विरोधी को पता चली तो वे आपा खो बैठे..(MP)
उन्होने शाम ढलने का इंतजान नहीं किया और सीधे पहुंचे दुकान पर…,उसके बाद क्षेत्र में जमकर बरसे,जब तक वे बरसेे,सड़क पर सन्नाटा छाया रहा, हां, थोड़ी-थोड़ी देर में पिछली गली से ढोल की आवाज आती रही। इस बीच सन्नाटे को चीरती एक तीखी आवाज गूंजी: तमारे सूज पड़े के नी, के सारा मौहल्लावाला से दुश्मनी मोल लोगा? रिश्ता में तमारी लाड़ी लगे है वा,अब घर में अई जाओ,थोड़ी भोत शरम बची हो तो…….मिली गयो उके टिकट,कित्ता बोट काटी लोगा उका…,जीतेगी तो…………(MP)