‘Netaji’ : मुलायम सिंह यादव फिलहाल मेदांता अस्पताल में भर्ती हैं. उनके करीबी दोस्तों ने बताया कि फिलहाल वह डॉक्टरों की निगरानी में हैं. इस समय पूरा देश उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करता है. और हर कोई दिल से यही दुआ कर रहा है की वे जल्द स्वस्थ हो जाए.
‘Netaji’ : देश में समाजवाद की लहर दौड़ गई. मामला साठ के दशक का है, जब राम मनोहर लोहिया देश में समाजवादी आंदोलन के सबसे बड़े नेता थे. देश के कई हिस्सों में, खासकर उत्तर प्रदेश के कई शहरों में, जो दिल्ली की गद्दी पर पहुंचे, लोग रैली कर रहे थे. इस सभा में नेताजी अवश्य शामिल हुए होंगे. उस समय नेताजी की चर्चाये लोंगो की जुबान पर थी.
समाजवादी आदर्शों ने उनके दिमाग को पूरी तरह अपने आवेश में लेकर अपने बस में कर दिया हैं. मुलायम सिंह यादव धीरे-धीरे मैदान छोड़कर राजनीति में आ गए. उस वक्त मुलायम के पास साइकिल के अलावा कुछ नहीं था. उनकी जीत के लिए पूरा गांव अनशन पर बैठ गया. मुलायम तब न केवल विधायक बने, बल्कि राज्य के तीन बार मुख्यमंत्री बने और केंद्र में रक्षा मंत्री तक गए. उनका यह लम्बा सफ़र काफी कष्टों से भरा हुआ था. ‘Netaji’
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह यादव फिलहाल मेदांता अस्पताल में भर्ती हैं. उनके करीबी दोस्तों ने बताया कि फिलहाल वह डॉक्टरों की निगरानी में हैं. इस समय पूरा देश उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करता है. आज हम आपको ‘नेताजी’ की कहानी बता रहे हैं, जब वह राजनीति के शुरुआती दौर में थे. तब उन्होंने राजनीती में पहला कदम रखा था. उन्हें विधायक बनाने के लिए पूरे गांव ने अनशन किया. इतना ही नहीं, उन्होंने चंदा इकट्ठा किया. और वाहनों और ईंधन की व्यवस्था की ताकि मुलायम singh यादव जी का प्रचार पर जा सकें. ‘Netaji’
विधायक की नजर में हीरो बने मुलायम
मुलायम सिंह यादव डॉ. राम मनोहर लोहिया की यूनाइटेड सोशलिस्ट पार्टी के सक्रिय सदस्य थे. वह अपने क्षेत्र के किसानों और गरीब लोगों की आवाज में हमेशा मुखर रहे. यह वह समय था. जब नरम आधिपत्य, कुश्ती और राजनीति तीन पहियों पर संतुलित थी. एक बार मुलायम ने जसवंतनगर में अखाड़े के दौरान एक भारी पहलवान को मार डाला. और इस घटना की चर्चा पूरे देश में फ़ैल गयी थी. इस घटना को देखने वाले तत्कालीन विधायक नाथू सिंह की नजर मुलायम पर पड़ी. उस घटना के बाद मुलायम की राजनीति में एक नया उभार आया. नाथू सिंह ने मुलायम को अपना शिष्य बनाया. ‘Netaji’
1965 में मास्टर्स करने के बाद भी उनके दिमाग में राजनीति बनी रही
इस बीच मुलायम सिंह इटावा से बीए करने के बाद शिकोहाबाद पढ़ाने चले गए. 1965 की बात है, उन्हें जैन इंटर कॉलेज, करहल में मास्टर्स की नौकरी मिल गई. ‘Netaji’
मुलायम ने जीती लॉटरी
केवल दो साल की सेवा. मुलायम सिंह यादव के राजनीतिक गुरु नाथू सिंह ने 1967 के विधानसभा चुनाव में मुलायम सिंह यादव को उनके निर्वाचन क्षेत्र जसवंतनगर से मैदान में उतारने का फैसला किया. राम ने मनोहर लोहिया के साथ वकालत की और नाम पर आधिकारिक मुहर लगा दी गई. और वे राजनीती में सक्रिय हो गए| ‘Netaji’
एक वोट एक नोट का नारा
नाथू सिंह ने अपने लिए करहल सीट चुनी. जब मुलायम को पता चला कि उन्हें जसवंतनगर से सोशलिस्ट पार्टी के लिए चुनाव लड़ना है, तो उन्होंने प्रचार करना शुरू कर दिया. उनके दोस्त दर्शन सिंह के पास साइकिल थी. वह दर्शन सिंह को पीछे लेकर चुनाव प्रचार में जाते थे. उन्होंने पैसा, एक वोट, एक नोट का नारा दिया. मुलायम ने एक रुपया दान में मांगा और उसे ब्याज सहित वापस करने का वादा किया. ‘Netaji’
जब ग्रामीण भूख हड़ताल पर जाते हैं
इस बीच मुलायम सिंह यादव ने आर्थिक मदद से एक पुरानी एंबेसडर कार खरीदी. लेकिन, अब सवाल ईंधन का था. इस बीच, मुलायम के ग्रामीणों ने यह कहते हुए एक बैठक बुलाई है. कि अगर वह चुनाव लड़ते हैं. तो गांव के किसी भी व्यक्ति को पैसे की कमी नहीं होने दी जाएगी. गाँव के लोगों ने सप्ताह में एक बार भोजन करने का निश्चय किया. उस पैसे को कार ईंधन के भुगतान के लिए बचाया गया था. ‘Netaji’
कांग्रेस प्रत्याशी के हारने से हैरान
जसवंतनगर में मुलायम सिंह यादव की लड़ाई हेमवती नंदन बहुगुणा के करीबी और कांग्रेस प्रत्याशी एडवोकेट लखन सिंह से थी. मैदान पर पहली लड़ाई में मुलायम ने जीत हासिल की. वह 28 साल की उम्र में विधायक बने. ‘Netaji’