लॉकडाउन में परिवहन के साधन बंद होने पर पैदल शुरू की यात्रा
सिंगरौली — लॉकडाउन के दौरान परिवहन के साधन बंद होने से बाहरी प्रदेशों में काम करने वाले लोगों को अपने घरों तक पहुंचने के लिए अब तक कई जतन करने पड़ रहे हैं। शनिवार को सीधी जिले के चुरहट पहुंचे 5 युवक बताई अपनी आपबीती। मजदूरों ने बताया कि महाराष्ट्र से 24 अप्रैल को पैदल निकले थे। रास्ते में अन्य साधन से चुरहट पहुंचे। मजदूरोंं ने 16 दिन में करीब 1100 किलोमीटर पैदल व अन्य साधनों से चल कर 9 मई को चुरहट के पास कोलदहा सोन नदी पुल के पास बने ढाबे में पहुंचे हैं, मजदूर भूखे प्यासे हैं साथ ही मोबाइल चार्जिंग कीी व्यवस्था ना होने से मोबाइल स्विच आप हो गयाा है जिस वजह से यह अपनेे परिजनों से भी संपर्क नहीं कर पाऐ। मजदूरों को अभी भी 150 किमी दूर अपने घर सिंगरौली जिले के चितरंगी तहसील के करहिया गांव जाना है। सरकार सहित प्रशासन की व्यवस्थाओ की पोल खोल रहे हैंं यह मजदूर।
मिली जानकारी के मुताबिक चितरंगी तहसील के करहिया गांव निवासी 5 आदिवासी समाज के मजदूर महाराष्ट्र के गोदरिया कंपनी में मजदूरी करते थे जहां गांव लगते ही कंपनियां बंद हो गई जिससे मजदूरों को काम से निकाल दिया गया। इन परिस्थितियों में मजदूरों को खाने पीने की समस्या होने लगी फिर क्या पांचों मजदूरों ने तय किया कि अब पैदल ही अपने गांव चला जाए। करहिया गांव निवासी आदिवासी समाज के शिवकुमार सिंह पिता विशंभर बेलाकली, अनिल सिंह पिता लक्ष्मण सिंह,राजकरण सिंह पिता लोकमान सिंह,अरुण सिंह पिता राम बहादुर सिंह,जगमोहन सिंह पिता ललन सिंह चुरहट पहुंचे हैं।
उमेश तिवारी ने एसडीएम को दी जानकारी
सीधी जिले के रोको ठोको आंदोलन के नेता उमेश तिवारी ने मानवता की मिसाल पेश की है उन्होंने एसडीएम चुरहट को इन पांचों मजदूरों के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि सभी मजदूरों को भोजन व्यवस्था कराने व इन्हें चितरंगी स्थिति इनके घर भेजने का आग्रह किया।
2 Comments
Greetings! Very helpful advice on this article! It is the little changes that make the biggest changes. Thanks a lot for sharing!
Normally I do not read post on blogs, but I would like to say that this write-up very forced me to try and do it! Your writing style has been amazed me. Thanks, quite nice article.