मध्य प्रदेश में बहुमत का पर्याप्त आंकड़ा होने के बाद भी पूर्ण मंत्रिमंडल का गठन अभी बाकी है. अटकलों के बीच तारीखें गुज़रती जा रही हैं.मंत्रिमंडल का पूर्ण गठन ना होने पर विपक्ष ने सवाल खड़े किए हैं. सत्तापक्ष-विपक्ष दोनों को इंतज़ार है कि मंत्रिमंडल का विस्तार कब होगा? मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर बीजेपी को डर हैं कि कही राजनीतिक उलटफेर ना हो जाए। दूसरी तरफ छिंदवाड़ा में प्रेस वार्ता के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा अभी सिर्फ इंटरवेल हैं,हम फिर से सरकार में वापस लौटेगे के बयान से बीजेपी में हडकम्प मच गया है। राजनीतिक सूत्र बताते हैं कि Ex Cm के बयान के बाद से बीजेपी अपने विधायको को भरोसे में लेकर मंत्रिमंडल का गठन करना चाह रही है बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व को भी इतिहासकारों की बात याद आ गई है कि कहीं इतिहास स्वयं को ना दोहरा दें।
राज्य के मुख्यमंत्री के तौर पर शिवराज सिंह चौहान ने 23 मार्च को शपथ ली थी और उसके बाद पहले मंत्रिमंडल गठन में एक माह का वक्त लग गया था। सियासी खींचतान के चलते सिर्फ पांच मंत्रियों को शपथ दिलाई गई थी। इन पांच मंत्रियों में दो, पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक हैं। सूत्रों की माने तो जीत की हैट्रिक लगा चुके विधायक भी खार खाने बैठे हुए हैं यदि इन्हें मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली तो यह बीजेपी को अस्थिर करने से भी गुरेज नहीं करेंगे। कांग्रेश भी मंत्रिमंडल के विस्तार की प्रतीक्षा में है।
राजनीतिक विश्लेषको का कहना है कि राज्य में कोरोना संक्रमण का मंत्रिमंडल विस्तार पर असर पड़ा है, ऐसा इसलिए क्योंकि सरकार के सामने संकट यह है कि संक्रमित इलाके में शपथ ग्रहण समारोह कैसे आयोजित किया जाए। अगर शपथ ग्रहण समारोह होता है तो यह एक नजीर बन जाएगा और सियासत भी गरमा जाएगी। इसकी तोड़ के लिए अधिकारियों ने पुराने विधानसभा भवन मिंटो हॉल और राजभवन के मैदान को चुना है। फिर भी मंत्रिमंडल विस्तार हो पाएगा या नहीं, इस पर संशय बना हुआ है।