विंध्य न्यूज़ की कलम से
रीवा – पिछले दिनों रीवा एसपी आबिद खान को जिस तरह से सोशल मीडिया में बदनाम किया गया उससे अब लोग कयास लगा रहे हैं कि इस घटना के पीछे किसकी साजिश थी या फिर कुछ और ही वजह रही।दरअसल पिछले दिनों मंदिर के पंडित (पुरोहित) को सोशल मीडिया में तमाम तरह की निराधार ख़बरें प्रकाशित की गई जो सही नहीं हैं.गलती किसी और की रही और बताया कुछ और ही गया। जी हां इस बात का खुलासा महज 24 घंटे के भीतर हो गया और दोषी पुलिसकर्मी को सजा भी मिल गई लेकिन जिस पुलिस अधिकारी का इस घटना से दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं था उसे घसीटना कितना सही है।इस पर गौर करने वाली बात है। सोशल मीडिया में इस पूरी घटना का सूत्रधार रीवा पुलिस अधीक्षक आबिद खान को बताया गया जबकि सच्चाई इससे परे थी।यह जानने लायक है कि घटना के समय पुलिस अधीक्षक कहां थे,किससे मिले या क्या कर रहे थे किसी को नहीं पता लेकिन उनके बारे में इस तरह की भ्रामक व तथ्यों से परे बातें छापकर बेवजह अटकलबाज़ियों का वातावरण तैयार नहीं किया जाना चाहिए.
ऐसी खबरों से आज मन बहुत क्षुब्ध है, पीड़ा है, जिसे मैं शब्दों में बयां कर रहा हूं। बीते दिनों रीवा पुलिस अधीक्षक के खिलाफ जिस तरह से भ्रामक व बिना तथ्यों के खबरें चलाई गई निश्चित तौर पर पुलिस विभाग को ऐसी खबरों से मानसिक रूप से पीड़ा पहुंचाती होगी ।जिले के पुलिस अधीक्षक आबिद खान के भ्रामक व काल्पनिक फोटो सोशल मीडिया पर वायरल कर उन्हें बदनाम करने की साजिश रचने का प्रयास किया गया है या फिर इसके पीछे खुद को एक विशेष वर्ग का हितैषी बन कर पेश किया गया या फिर इसके पीछे कुछ और ही बजे रही। जहां तक मुझे मालूम है आबिद खान ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा की मिसाल है तो अति संयोग बिल्कुल भी नहीं होगा। खाकी पहनते वक्त ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा व समाज सुरक्षा की शपथ दिलाई जाती है लेकिन पिछले दिनों कुछ हमारे सोशल मीडिया के मित्र बिना तथ्यों को पूरी तरह जाने और समझे बिना कुछ ऐसी खबरें और फोटो सोशल मीडिया पर वायरल कर रहे हैं जो सच्चाई से कोसों दूर है।
पूरे देश को कोरोनावायरस अपने जद में लेने पर आमादा है जिसे देखते हुए देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरे देश में लाक डाउन किया है लोगों से सामाजिक दूरी बनाए रखने की अपील की जा रही है उसको प्रभावी तरीके से लागू करने के लिए रीवा पुलिस अधीक्षक सहित अन्य पुलिस दिन रात एक किए हुए हैं।इस बीच कुछ लोग केवल ऐसी फोटो वायरल कर रहे हैं जो की पूरी सच्चाई को बयां नहीं करती है। विंध्य न्यूज़ पुजारी के साथ हुई घटना की कड़ी निंदा करता है। इस पूरी घटना की सच्चाई इस प्रकार है कि पुलिस को सूचना मिलती है कि मंदिर में कुछ लोग इकट्ठा होकर पूजा पाठ कर रहे हैं। सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंचकर भीड़ को घर जाने के लिए कहती है। इस बीच फोटो में दिख रहे निरीक्षक राजकुमार मिश्रा की मंदिर पुजारी से झड़प हो जाती है। इस बात को संज्ञान में लेते हुए निरीक्षक राजकुमार मिश्रा को तत्काल प्रभाव से लाइन अटैच करके जांच के आदेश दे दिए गए।
समाचार का अर्थ है हम सूचना के जरिये शिक्षित करते हुये सुधार करते हैं। दुनिया में जितने भी समाचार श्रोत यानी जिनसे सार्वजनिक सूचनाएं हासिल होती हैं। उनका लगभग यही उद्देश्य था या माना जाता था। परंतु आज सूचना का संजाल इतना जटिल हो गया है कि इसमें सूचना पाना कठिन हो गया है। यहां कहने का अर्थ यह नहीं है कि सूचनाएं गलत हैं। कहने का अर्थ है कि सूचनाएं भ्रमित कर रहीं हैं और उससे इंसान के भीतर एक खास किस्म का तनाव,डर पैदा हो रहा है। तनाव इस लिये कि उन सूचनाओं का उपभोक्ता यह तय नहीं कर पाता कि सही क्या है, सकारात्मक क्या है ? यह अनिर्णय की स्थिति तनाव पैदा करती है जो स्वास्थ्य के लिये सही नहीं है।
मित्रों जो घटना हुई वह गलत हो सकती है पर आज दुनिया जिस मुश्किल दौर से गुजर रही है इस बीच हम चीजों को गलत दिशा में ले जा रहे हैं ऐसे लोकप्रिय और ईमानदार पुलिस अधीक्षक यदा-कदा ही मिलते हैं यह बात हर वह व्यक्ति जानता होगा जो आबिद सर से मिला होगा। मित्रों जिस दिन यह खाकी पहन लेते हैं उस दिन जाति,धर्म केवल एक होता है और वह है देश की सेवा करना और समाज की रक्षा करना। किसी विशेष जाति या धर्म के नहीं रह जाते यही पुलिस को कसम दी जाती है।
जब कही फस गए तो पुलिस की याद आई
पुलिस के पास अभी है तो सिर्फ काम… काम और बस काम… काम भी इतना है कि काम के घंटे की बात करना बेमानी हो जाता है। अस्पताल पहुंचाना हो तो पुलिस… खाना खिलाना हो तो पुलिस… कहीं कोई फंस गया है तो पुलिस, हर काम के लिए पुलिस ही बुलाई जा रही हैजब भी किसी पर अन्याय,अत्याचार, दुर्व्यवहार होता है या फिर किसी तरह ।की मुसीबत आती है,तो वह पुलिस स्टेशन की ओर भागता है। यह मानव व्यवहार है कि पांच मिनट पहले जिस पुलिस को भला बुरा आलोचना कह रहे है, अगले ही पल वे रक्षक नजर आते हैं। सच तो यह है कि भारतीय व्यवस्था की जान हैं, पुलिस विभाग।जब भी कठिन समय आया, पुलिस विभाग ने अपनी नींद और चैन सुकून खोकर हमारी रक्षा करती है
4 Comments
Utterly pent articles, thank you for entropy. “Life is God’s novel. Let him write it.” by Isaac Bashevis Singer.
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Hello, you used to write wonderful, but the last several posts have been kinda boring?K I miss your super writings. Past several posts are just a little out of track! come on!
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