मामला ग्राम बैढऩ का, पूर्व हल्का पटवारी व जमीन दलालों के काली करतूतों का होने लगा पर्दाफास
सिंगरौली 8 नवम्बर। जिला मुख्यालय बैढऩ स्थित एक जमीन का मामला इतना गरमाया हुआ है कि राजस्व अधिकारी उनके सवालों का जबाव देने के लिए दस्तावेजों को खंगालना शुरू कर दिया है। वहीं दस्तावेजों के खंगालने के बाद पूर्व पटवारी व जमीन दलालों के काली करतूत एक के बाद एक नये तथ्य सामने आने के बाद उनका पर्दाफास भी होने लगा है। यह मामला अब कहीं जमीन दलालों को भारी न पड़ जाये इसको लेकर तरह-तरह की चर्चाएं चलने लगी हैं।
दरअसल सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक बैढऩ स्थित आराजी खसरा क्र.471/1/ख/28 रकवा 0.030 हेक्टेयर फिरोजा खातून पिता लल्लू मोहम्मद पत्नी शरीफ मुसलमान निवासी ग्राम बरही जिला सोनभद्र यूपी, हाल पता बैढऩ ने नक्शा तरमीम के लिए 22 सितम्बर 2020 को तहसीलदार सिंगरौली के यहां आवेदन दिया। जिस पर तहसीलदार के यहां से राजस्व निरीक्षक व हल्का पटवारी बैढऩ से तरमीम का प्रस्ताव पेश करने के लिए निर्देश जारी हुआ। तहसीलदार के उक्त आदेश के आधार पर तहसील में प्रकरण की सुनवाई शुरू हुई और हल्का पटवारी बैढऩ से प्रतिवेदन मांगा गया। जिस पर राजस्व निरीक्षक व पटवारी ने कार्रवाई शुरू कर दिया। किन्तु सक्रिय जमीन दलालों ने मौजूदा पटवारी उमेश नामदेव को घेरने के लिए ऐसा षड्यंत्र रचा कि पटवारी को सवालों के कटघरे में खड़ा करते हुए बदनाम करने की भरपूर कोशिश किया है। लेकिन शायद जमीन दलालों को यह नहीं पता था कि जिस भूमि के लिए पटवारी को घेरने की साजिश रची जा रही है उस भूमि के आराजी संबंधी मूल व आवेदक के द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज मौजूद है।
हद तो तब हो गयी कि तहसील न्यायालय में आवेदिका फिरोजा खातून के नाम से नक्शा तरमीम का आवेदन 22 सितम्बर को दिया गया। इस आवेदन में तिथि में काट-छांट कर 22 मार्च 2020 उल्लेख कर दिया गया और इसी आवेदन के आधार पर तत्कालीन पटवारी ने नक्शा तरमीम का प्रतिवेदन तैयार कर तहसील कार्यालय में प्रस्तुत कर दिया। यहां सबसे चौकाने वाला तथ्य सामने आया कि लोकसेवा केन्द्र में आवेदिका का आवेदन 7 अक्टूबर 2020 को पंजीबद्ध हुआ और उसके पहले ही तत्कालीन पूर्व पटवारी 25 अप्रैल 2020 को नक्शा तरमीम का प्रतिवेदन दे दिया। सूत्र बता रहे हैं कि संभवत: पूर्व में पदस्थ पटवारी को इस बात की भनक नहीं थी कि आवेदिका का आवेदन लोक सेवा केन्द्र में 7 अक्टूबर 2020 में पंजीबद्ध हुआ है। यहीं से षड्यंत्र का पर्दाफास होने लगा। फिलहाल यह मामला इतना तूल पकड़ लिया है कि जमीन दलालों के भी काली करतूतें सामने आने लगी हैं। साथ ही पटवारी पर सवाल उठाने वाले लोग अब इस खुलासे के बाद चुप्पी साध ले रहे हैं।
बिंदा देवी के नाम पांच साल पूर्व हुआ था भूमि का एग्रीमेंट
जमीन विवाद का मुख्य जड़ यहां से शुरू हुआ है। राजस्व अमले के सूत्रों के मुताबिक श्रीमती बिंदा देवी पत्नी विमलचन्द निवासी विद्युत विहार कॉलोनी शक्तिनगर जिला सोनभद्र यूपी हाल निवासी ढोंटी ने बैढऩ स्थित आराजी नं.471/1/ख/28 रकवा 0.030 हे.3 किता की भूमि का 3 सितम्बर 2016 को जमीन क्रय करने के लिए उप पंजीयक सिंगरौली के यहां रजिस्टर्ड एग्रीमेंट कराया था। जिसमें दोनों के बीच लेन-देन हुआ, किन्तु परिसीमा अधिनियम,1963 के अनुच्छेद 54 के तहत किसी संविदा/अनुबंध पालन के विनिर्दिष्ट पालन के लिए वाद 3 वर्ष निर्धारित है। अनुबंध दिनांक से करीब 5 वर्ष का समय व्यतीत होने के बाद भी महिला बिंदा देवी ने भूमि क्रय नहीं किया। नियमानुसार संविदा/अनुबंध तीन साल के बाद स्वमेय समाप्त हो जाता है। वहीं जानकारी के मुताबिक 11 माह 29 दिन ही अनुबंध की अंतिम तिथि मानी जाती है। चचाएं हैं कि बिंदा ने उक्त जमीन पर शुरू से ही नजर गड़ाये थे और जब फिरोज का नक्शा तरमीम हो गया तब उसने भाग दौड़ शुरू करते हुए अपनी कमियों को छुपाने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाकर मौजूदा हल्का पटवारी को घेरने का प्रयास किया जा रहा है। ताकि पटवारी दबाव में आ जायें। किन्तु अब आपत्तिकर्ता मो.फिरोज ने उक्त एग्रीमेंट को एसडीएम सिंगरौली के यहां आवेदन देकर निरस्त कराने के लिए 13 अक्टूबर 2021 को आवेदन दे चुका है।