भोपाल — अपने बयानों को लेकर आए दिन चर्चाओं में रहने वाली कांग्रेस छोड़ भाजपा में आई पूर्व मंत्री एक बार फिर चर्चाओं में है। इस बार पोषण आहार की गड़बड़ी के आरोप में दो सस्पेंड अधिकारी की फाइल 50 दिन रोकने की वजह से चर्चाओं में है। बताया जा रहा हैै कि अधिकारियो के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल होनेेे के बाद अनुमोदन के लिए फाइल विभाग की मंत्री इमरती देवी के पास भेजी गई थी जो 50 दिन बाद लौटी। तब तक 90 दिन तक का समय बीत गया था। अब सस्पेंड अफसर बहाल हो गये है।
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बताया जा रहा है कि लॉकडाउन के दौरान पोषण आहार की गड़बड़ी के आरोप में महिला एवं बाल विकास के दो अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया गया था। लेकिन दोनों अधिकारी केवल इसलिए बाहर हो गए क्योंकि सस्पेंड होने के 90 दिन के भीतर महिला एवं बाल विकास विभाग उन्हें आरोप पत्र जारी नहीं कर पाया इसके पीछे कारण सामने आया कि चार्जशीट जारी करने से पहले अनुमोदन के लिए फाइल विभाग की मंत्री इमरती देवी के पास भेजी गई थी जो 50 दिन बाद लौटी तब तक 90 दिन का समय बीत गया। सूत्रों की मानें तो फाइल 29 अक्टूबर को मंत्री के पास भेजी गई थी जो 18 दिसंबर को लौटी। सूत्रों की माने तो मंत्रियों और अधिकारियों के बीच गठबंधन के चलते ऐसे हथकंडे अपना कर अधिकारियों को मंत्री लाभ पहुंचाते हैं।
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विभागीय अधिकारियों की माने तो अब नए सिरे से कार्यवाही की जा सकती है। इमरती देवी के अनुमोदन के बाद 18 दिसंबर को चार्ज शीट की फाइल विभाग में लौटी इसी दिन सस्पेंड अधिकारी बहाल हो गए। इस पूरे मामले की खबर प्रमुख सचिव ऑफिस में लगी तो आनन-फानन में उप सचिव व आईएएस अधिकारी जगदीशचंद्र जटिया ने 18 दिसंबर को न केवल स्पीड पोस्ट से आरोप पत्र भेजा। इतना ही नहीं खंडवा कलेक्टर आनंद द्विवेदी उन्हें इसकी तामील भी कर दिया।
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इस मामले में मंत्री के यहां से जब फाइल लौटी तब तक 92 दिन हो चुके थे। मियाद खत्म होने के बाद सस्पेंशन स्वतः ही खत्म हो गया इस पूरे मामले में इमरती देवी ने कहा कि यह फाइल मेरी या नहीं बल्कि मुख्यमंत्री के यहां रुकी होगी मैं इस मामले को नहीं देख रही हूं विभागीय अधिकारी इस बारे में बता पाएंगे वहीं विभाग प्रमुख सचिव अशोक शाह का कहना है कि अनुमोदन के लिए फाइल मंत्री को भेजी गई थी आवाज में आरोप-पत्र नहीं पहुंचा तो नियमानुसार वह बहाल हुई है। उनका मुख्यालय इंदौर है जहां तक चार्ज शीट व निलंबन का सवाल है तो अब आगे शासन इसे देखेगा इस बीच अंशु बाला मशीनें खुद अपनी बहाली का आर्डर करके विभाग के प्रमुख सचिव को भेज दिया इसमें उन्होंने सिविल सेवा आचरण नियम का हवाला दिया है।
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यह है नियम
बता दें कि खंडवा की जिला कार्यक्रम अधिकारी अंशु बाला मसीह और खालवा की परियोजना अधिकारी हिमानी राठौर 16 सितंबर को सस्पेंड हुई थी। मध्यप्रदेश सिविल सेवा नियम 1966 के नियम 9 (5) के तहत सस्पेंड होने के बाद 90 दिन के भीतर यदि आरोप पत्र जारी नहीं होता तो निलंबन स्वतः ही समाप्त हो जाता है और अफसर बहाल हो जाते हैं। इस मामले में 92 दिन तक आरोप पत्र दाखिल किया गया।
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यह था मामला
लॉकडाउन में निर्देश दिया गया था कि आंगनबाड़ी केंद्र में हितग्राहियों 6 माह से 6 वर्ष तक के बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए उन्हें रेडी टू ईट पोषण आहार दिया जाना था। बच्चों को 1 किलो 200 ग्राम तथा गर्भवती धात्री माताओं को डेढ़ किलो दिए जाने का प्रावधान था। लेकिन जांच में पता चला कि खंडवा जिले के बलड़ी- कल्लोद, हरसूद एवं खालसा में 200 से 300 ग्राम ही पोषण आहार दिया गया। वितरण का डाटा भी नहीं रखा गया। फर्जीवाड़े का संदेह होने पर अंशु बाला मसीह और शिवानी राठौर को निलंबित कर दिया गया था।
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