उल्हेल क्षेत्र में धधकते अंगारों पर नंगे पैर चलने की है परंपरा
उज्जैन। जिले के उल्हेल क्षेत्र में होलिका दहन के बाद धधकते अंगारों पर नंगे पैर चलने की परंपरा आज भी जीवित है। गांव को आपदा से और खुद को विभिन्न बीमारियों और संकटो से दूर रखने के लिए ग्रामीण इस परंपरा को निभाते हैं। लगभग डेढ़ सौ साल पुरानी इस परंपरा में गांव के बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक नंगे पैर धधकते अंगारों पर ऐसे चलते हैं, मानो सामान्य जमीन पर चल रहे हों। उनके पैरों में न तो काई छाला पड़ता है और न ही किसी तरह की तकलीफ अंगारों पर चलते समय होती है।
गांव के चौराहे पर विधि विधान के साथ पूजा अर्चना के बाद ग्रामीणों के सहयोग से होलिका दहन किया जाता है। इसके बाद अंगारों पर नंगे पैर निकालने का सिलसिला शुरू होता है। यह परंपरा कब शुरू हुई और किसने शुरू की, इसकी सटीक जानकारी किसी के पास नहीं है। लेकिन ग्रामीण श्रद्धा के साथ इसे निभा रहे हैं।आयोजन को देखने आसपास के गांवों से सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण पहुंचे हैं।इस आयोजन को चूल पर चलना कहा जाता है।