इंदौर में दिगंबर जैन संत विमद सागर महाराज ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. यह घटना नंदा नगर स्थित श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर में हुई है. वह इंदौर में चातुर्मास के लिए पहुंचे थे.फिलहाल प्रारंभिक तौर पर मामला गंभीर होने के चलते पुलिस भी इस बात की पुष्टि नहीं कर रही है कि मौत के पीछे असली वजह क्या है. वहीं जैन मुनि के अचानक दुनिया को छोड़ कर चले जाने का ये मामला उनके अनुयायियों के लिए किसी बड़े हादसे से कम नही है. खबर लगते ही बड़ी संख्या में उनके अनुयायी जैन मंदिर पहुंचे. मौके पर परदेशीपुरा थाना पुलिस और फॉरेंसिक की टीम जांच में जुटी है. जैन मुनि के शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया है.
बता दे कि विमद सागर (45) पुत्र विराग सागर सागर जिले के शाहगढ़ के रहने वाले थे। पाश्वनार्थ दिगंबर जैन मंदिर नंदानगर प्रबंधन से मिली जानकारी के अनुसार आचार्य विमद सागर महाराज 27 अक्टूबर को एरोड्रम क्षेत्र से नंदानगर स्थित मंदिर आए थे. यहां वह रोजाना सुबह 9 से 10 बजे प्रवचन देते थे. वे एक दिन छोड़कर आहार ग्रहण करते थे. शनिवार को भी वे आहारचर्या पर गए थे. दोपहर करीब ढाई बजे सामयिक के लिए पहुंचे. शनिवार शाम साढ़े 4 बजे इनके शिष्य अनिल जैन ने उन्हें पंखे से झूलते देखा था. जिसके बाद उन्होंने पुलिस को खबर दी.जैन मुनि की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत के बाद पुलिस ने जांच शुरू कर दी है.
वह एरोड्रम स्थित एक कॉलोनी से इंदौर के 3 नंबर गली नंदा नगर में 3 दिन पहले चातुर्मास के लिए पहुंचे थे.इंदौर के CSP निहित उपाध्याय ने जानकारी दी कि मंदिर की धर्मशाला में उनका कमरा काफी समय से बंद था. उनके शिष्य ने उन्हें आवाज दिए लेकिन भीतर से कोई जवाब नहीं मिला. जिसके बाद लोग जबरन उनके कमरे में घुसे जहां जैन मुनि का शव पंखे में लटका हुआ था. लोगों ने उनके शव को उतारा और पुलिस को सूचना दी. जिस कमरे में उन्होंने फांसी लगाई उस कमरे को पुलिस ने सील कर दिया है. उन्होंने आत्महत्या क्यों की इसका पता नहीं चल सका है।अब पुलिस हत्या फिर आत्महत्या दोनो एंगल से जांच कर रही है।
29 साल पहले लिया था संन्यास
जानकारी के मुताबिक जैन मुनि आठ महीने पहले रतलाम से विहार के बाद इंदौर आए थे. जैन मुनि विमद ब्रह्मचर्य का व्रत लेने से पहले उनका नाम संजय कुमार जैन था. 29 साल पहले उन्होंने संन्यास का फैसला लिया. 1992 में उन्होंने संन्यास ले लिया. वह कभी भी नमक, तेल, चीनी और दूध नहीं खाते थे.
अनुयायी नहीं चाहते पोस्टमॉर्टम
जैन मुनि विमद के अनुयायी नहीं चाहते कि उनके शव का पोस्टमॉर्टम किया जाए. अनुयायियों का कहना है कि संत समाज की परंपरा के अनुसार अनका अंतिम संस्कार होना चाहिए. वहीं इस मामले में इंदौर के CSP निहित उपाध्याय पोस्टमॉर्टम न कराने के सवाल पर कहा कि यह विधिक एक प्रक्रिया है. क्योंकि संदिग्ध परिस्थिति में मौत हुई है इसलिए कानून जांच जरूरी है. फिलहाल समाज की तरफ से लोगों की ऐसी कोई मांग नहीं की गई है.