टीकमगढ़– मध्य प्रदेश में शराबबंदी को लेकर मंची सियासी जंग के चलते पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने प्रदेश में शराबंदी को लेकर 8 मार्च से अभियान का शुभारंभ अपने गृह ग्राम डूडा से करने का ऐलान क्या किया, प्रदेश सरकार न केवल बैकफुट पर आ गई बल्कि प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज मध्य प्रदेश के कटनी से एक बयान जारी करते कहा कि हम प्रदेश को नशामुक्त प्रदेश बनाने का प्रयास कर रहे है, जो सिर्फ शराबबंदी से नही होगा, पीने वाले रहेंगे तो शराब यहां बहां से आती रहेगी और लोग इधर-उधर से शराब लेकर आते रहेगें, इसके लिये हम नशामुक्ति अभियान चलायेगे जिससे लोग पीना ही छोड दे।
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बता दें कि उमा भारती ने अभियान का आगाज अपने गृह ग्राम डूंडा की दुकान बंद करने बात कही है तो डूडा गांव में शराब की कोई दुकान ही नही है, गांव के लोग दूसरे गांव से शराब लाकर पीते जरूर है, जबकि गांव के लोगों का कहना है कि उमा भारती का शराबबंदी हेतु उठाया कदम अच्छा है और शराबबंदी होना चाहिये लेकिन यह कार्य इतना आसान नही इसके लिये उमा भारती को काफी संघर्ष करना पड़ेगा, जबकि आबकारी विभाग का कहना है शराबबंदी से जिले को करीब 75 से 90 करोड़ रूपये के राजस्व की हानि तो होगी ही इसके साथ ही कच्ची एवं जहरीली शराब की आमद बढ़ेगी जिससे मुरैना की घटना जैसी कैज्यूलिटियां होगी।
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बतला दें कि उमा भारती शराबबंदी अभियान को बड़े आंदोलन की शक्ल देने की तैयारी में हैं और वह इसकी शुरुआत अपने गृह ग्राम से करने जा रही है, 4000 हजार की आबादी वाले इस गांव में शराब की कोई दुकान नही है इसके बावजूद भी लोग आसपास के गांव से शराब लाकर पीते है जिसको लेकर गांव के लोगों सहित महिलाओं का कहना है कि शराबबंदी को लेकर उमा भारती का यह एक अच्छा प्रयास है और गांव में ही नही प्रदेश और देश शराबबंदी होना चाहिये जिससे न केवल कई परिवार उजड़ने से बचेंगे बल्कि गांव-गांव में समृद्धि आयेगी और शराब पीने से होने वाले अपराधों पर भी रोक लेगेगी।
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शराब को लेकर गांव की महिलाओं व लड़कियों का कहना है कि परिवार के मुखिया की शराबखोरी की आदत के कारण न केवल महिलाएं ज्यादा परेशान रहती हैं बल्कि पूरा परिवार परेशान रहता है और शराबबंदी होना चाहिये और हमें खुशी है कि इसकी शुरूआत का प्रयास हमारे गांव से किया जा रहा है। वही एक शराबी का कहना है कि शराब पीने के दौरान छत से गिरने पर उसने शराब पीना कम किया है लेकिन कभी कभार गांव के बाहर से शराब लाकर पीता है, लेकिन गांव के व रिश्तेदारों से अपील कर रहा है कि आप लोग शराब नही पिये और गांव में शराबबंदी होना चाहिये।
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टीकमगढ़ जिले में वर्तमान में शराब की कुल 54 दुकाने संचालित है जिनमें 10 अंग्रेजी व 44 देशी शराब की है जिनसे एक साल में करीब 75 करोड़ रूपये के राजस्व की आय सरकार को होती है, पिछले 10 सालों से शराब की दुकानों से होने वाले राजस्व की आय की अगर हम बात करे तो वर्ष 2009-010 में 243297357 रूपये, वर्ष 2010-011 में 306233899 रूपये, वर्ष 2011-012 में 361425340 रूपये, वर्ष 2012-013 में 424281636 रूपये, वर्ष 2013-014 मे 509040519 रूपये, वर्ष 2014-015 में 617155908 रूपये, वर्ष 2015-016 में 848537478 रूपये, वर्ष 2016-017 में 840279452 रूपये, वर्ष 2017-018 में 948769503 रूपये, वर्ष 2018-019 में 1044012281 रूपये, वर्ष 2019-020 में
वर्तमान में 879224169 रूपये सरकार को जिले से राजस्व प्राप्त हुआ है, और अगर शराबबंदी होती है सरकार को राजस्व की हानी तो होगी ही साथ ही जिले में कच्ची शराब के उत्पादन व बाहर से शराब की कच्ची एवं जहरीली शराब की आमद बढ़ेगी जिससे मुरैना की घटना जैसी कैज्यूलिटियां होगी।
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