भोपाल । विधानसभा चुनावों में करारी हार के बाद अब राज्यसभा में भी कांग्रेस के लिए संकट की स्थिति खड़ी हो गई है। अब आलाकमान घटती लोकप्रियता पर भी मंथन करने में लगे हैं। आने वाले राज्यसभा चुनाव के बाद ऊपरी सदन में कांग्रेस के नंबर्स कम हो जाएंगे। इससे भी ज्यादा चिंता की बात यह है कि कांग्रेस का भौगोलिक ग्राफ भी अब सिमट रहा है। अब 17 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से राज्यसभा में कांग्रेस का कोई प्रतिनिधि नहीं रह जाएगा। ऐसी स्थिति में कांग्रेस हाईकमान जिन नेताओं के पास दो या दो से ज्यादा बाद हैं उन्हें अब अपना एक पद छोड़ने का दबाव बनाने लगी है। कमोबेश स्थिति मध्यप्रदेश में भी यही है।
बता दे कि प्रदेश में नेता प्रतिपक्ष को लेकर अब यह कयास लगाए जा रहे है कि जल्द ही पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ नेता प्रतिपक्ष का पद छोड़ सकते है, कुछ दिनों पहले उन्होंने खुद मीडिया से बातचीत के दौरान साफ कहा था कि उन्होंने पार्टी से दोनों पद नहीं मांगे थे पार्टी ने उन पर भरोसा जताया और उन्हे प्रदेश अध्यक्ष के साथ ही नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी दे दी गई, लेकिन अगर पार्टी चाहे तो एक पद ले सकती है इसकी जिम्मेदारी किसी और को दे सकती है, इसके बाद ही यह बात चर्चा में है कि प्रदेश में जल्द नेता प्रतिपक्ष का बदल सकते है। हालांकि चर्चा यह भी है कि डाक्टर गोविंद सिंह को यह पद सौंपा जा सकता है। सूत्र बताते हैं कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अरुण यादव व पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह राहुल हाल ही में राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी वह राहुल गांधी से मिलकर मध्य प्रदेश में हो रही गुटबाजी को लेकर भी बंद कमरे में घंटों चर्चा की हैं। ऐसे में कयास लगाया जा रहा है कि इन दो कद्दावर नेताओं की मिलने के बाद राजनीतिक फिजा बदली बदली नजर आने लगी है।
कांग्रेस में इस बदलाव पर प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने चुटकी लेते हुए कहा कि कांग्रेस का अंदरूनी मामला है हालांकि कांग्रेस में पद छोड़ा नहीं जाता बल्कि छीना जाता है पद के लिए बोली लगती हैं, जो पैसा देगा वह नेता प्रतिपक्ष बनाया जाएगा, वही पूर्व मंत्री अरुण यादव और कमलनाथ के एक साथ होने पर भी मंत्री विश्वास सारंग ने तंज कसते हुए कहा- कि कांग्रेस में किसकी शर्ट ज्यादा सफेद है, उस पर काम होता है, कांग्रेसी खेमे में एक दूसरे को नीचा दिखाने का काम होता है। कांग्रेस अपने घरेलू कलह से नहीं उबर पा रही है।