रिलायंस सीईओ को कलेक्टर ने तीन बार थमाया है नोटिस,नहीं उठाया कोई ठोस कदम
सिंगरौली –विस्थापितों का दर्द क्या होता है यह विस्थापित होने वाला व्यक्ति ही समझ पाता है यह हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि जिले में प्रचुर मात्रा में कोयले का भंडार है। जिस वजह से यहां आए दिन विस्थापन हो रहा है। पावर के क्षेत्र में यहां कई कंपनियां स्थापित हैं लेकिन विस्थापितों को आज तक मूलभूत सुविधा सड़क,बिजली,पानी,स्वास्थ्य,शिक्षा जैसी सुविधा नहीं मिल पाई है। तो वहीं दूसरी तरफ यदि कारपोरेट कंपनियों की लापरवाही से किसी की जान चली जाए तो कंपनियों के खिलाफ कार्यवाही ना कर पीड़ित व्यक्ति को बतौर मुआवजा देकर उनके गुनाह पर पर्दा डाल दिया जाता है। या फिर यूं कहें कि कारपोरेट के लिए हर गुनाह का रेट तय है तो बिल्कुल भी अतिश्योक्ति नहीं होगा !विस्थापित आए दिन जनसुनवाई के साथ-साथ यहां के विधायक मंत्री से गुहार लगाते हैं लेकिन विधायक मंत्री कान में तेल डालकर कभी भी कंपनियों के खिलाफ धरना प्रदर्शन नहीं करते यही वजह है कि कंपनियां मनमानी पर उतारू हो गई है।
कारपोरेट कंपनियों को कलेक्टर कोई आदेश जारी करते भी हैं तो उन आदेशों को धज्जियां उड़ाने व मनमानी करने मैं इन्हें जरा भी वक्त नहीं लगता है।यह हम इसलिए कह रहे हैं इसके पीछे भी तर्क है बीते दिनों एस्सार,एनटीपीसी पावर प्लांट की राखड़ डैम टूटने से दर्जन भर से अधिक गांव प्रभावित हुए थे। जिन्हें देखते हुए कलेक्टर ने रिलायंस कंपनी को नोटिस जारी करते हुए कहा था कि आप अपना रखा डैम को दुरस्त कर ले जिससे आने वाले समय में कोई अप्रिय घटना ना घटे. बावजूद इसके रिलायंस कंपनी ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया नतीजा यह कि डैम टूट गया।
कारपोरेट के लिए हर गुनाह का रेट तय !
जिस तरह से पावर प्लांटों की ऐस डैम टूट कर गांवों में तबाही मचा रहे हैं आए दिन हादसे होते हैं कई घर के चिराग बुझ गए हैं, मां की गोद सूनी हो गई है, पत्नियों के सिंदूर उजड़ गए है,बच्चों के सर से मां बाप का साया नहीं रह गया है। हादसे होते हैं तो मुआवजा देकर मामले को खत्म कर दिया जाता है। क्या यही विकास है।स्थानीय लोगों का मानना है कि कानून सिर्फ और सिर्फ गरीबों के लिए बना है कारपोरेट के लिए हर गुनाह का एक रेट तय होता है जिसे चुकाने के बाद वह बरी हो जाता है या फिर यूं कहें कि कारपोरेट के लिए कानून महज एक खिलौना है जिसे वह जब चाहे तोड़ दे, और जब चाहे तो उसे अपने मुताबिक परिभाषित कर दे।
कलेक्टर ने रिलायंस को तीन बार थमाया था नोटिस !
मिली जानकारी के मुताबिक जिला प्रशासन ने रिलायंस पावर प्लांट शासन के सीईओ को पूर्व में भी ऐश डाई के संबंध में कारण बताओ सूचना पत्र कार्यालय कलेक्टर एवं जिला दंडाधिकारी सिंगरौली के आदेश दिनांक 4 व 22 अक्टूबर 2019 एवं 30 नवंबर तथा 17 दिसंबर 2019 जारी किए गए थे !जिस पर रिलायंस परियोजना द्वारा उचित कार्यवाही न किए जाने के कारण इतना बड़ा हादसा हुआ इसके लिए जिम्मेदार परियोजना के पदाधिकारियों पर क्या क्रिमिनल केस दर्ज होगा इस पर भी बड़ा सवाल है ?
कलेक्टर के आदेशों का माखौल,गोहबईया नदी का अस्तित्व खत्म
रिलायंस सीईओ ने कलेक्टर के आदेशों का माखौल उड़ाते हुए राख़ड डैम को दुरुस्त नहीं किया यही वजह रही कि बिना बारिश के ही डैम टूट गया। डैम टूटने से जहां कई गांव प्रभावित हुए कई जाने चली गई,कुछ का अभी भी पता नहीं वहीं दूसरी तरफ कई नदियों पर भी संकट गहरा गया है जहां गोहबईया नदी का अस्तित्व खत्म हो गया तो वही नदी से होते हुए राख रिहंद डैम तक पहुंच गई है।ऐसे में अब जिले का जल स्तर भी निश्चित तौर पर प्रदूषित होगा अब सवाल यह उठता है कि जब कंपनियां मनमानी करती हैं तो इनके खिलाफ कोई क्रिमिनल केस क्यों नहीं दर्ज किया जाता।
विस्थापितों को मोहरा बना चमकाते हैं राजनीति
यहाँ विस्थापित यह बखूबी समझने लगा है कि विस्थापितों की समस्याओं से नेताओं का कोई लेना देना नहीं है। नेता विस्थापितों को मोहरा बनाकर सिर्फ राजनीति चमकाने में लगे रहते हैं। नेता कोई भी मौका नहीं छोड़ते हैं यही वजह है कि जब कोई घटना या वारदात हो जाती है ऐसे समय में कई छूट भईया नेता वहां पहुंचकर अपनी नेतागिरी चमकाने से बाज नहीं आते हैं। या फिर यूं कहें कि नेताओं में अब संवेदनाएं खत्म हो गई है।
2 Comments
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