भोपाल — मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में संचालित आरकेडीएफ मेडिकल कॉलेज में रैगिंग होना प्रमाणित हो गया है जहां भोपाल की डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने रैगिंग से परेशान होकर एक छात्रा द्वारा की गई आत्महत्या के मामले में चार सीनियर छात्राओं को पांच 5 साल की सजा सुनाई है अदालत के इस फैसले के बाद कॉलेज में सनाका खेत गया है।
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मिली जानकारी के मुताबिक यदि किसी शिक्षण संस्थान में रैगिंग का मामला प्रमाणित होता है तो संस्थान के खिलाफ भी कार्यवाही के प्रावधान किए गए हैं अब जब छात्रों को सजा सुना दी गई है ऐसे में देखना होगा कि आरकेडीएफ कॉलेज जो यूनिवर्सिटी में तब्दील हो गई है उसके खिलाफ क्या कार्यवाही होती है।
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यह है मामला बता दे कि सन 2013 आरकेडीएफ कॉलेज में पढ़ने वाली बी फार्मा की छात्रा अनीता शर्मा रैगिंग से तंग होकर खुदकुशी कर ली थी बताया जा रहा है कि अनीता ने आत्महत्या करने की कुछ दिन पहले ही फेसबुक पर अपने एक दोस्त के साथ चैट करते समय रैगिंग की घटना का जिक्र करते हुए अपना दर्द बयां किया था और कहा था कि सीनियर से फालतू पंगा लेने का कोई मतलब नहीं है मैं अपने किसी जूनियर को तंग नहीं करूंगी।
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आरकेडीएफ कॉलेज में रैगिंग का मामला देश भर के मीडिया किस सुर्खियों में छाया था बी फार्मा की छात्रा अनीता के आत्महत्या करने के बाद यह मामला काफी सुर्खियों में रहा अब करीब 8 साल बाद कोर्ट ने अनीता रैगिंग केस के आरोपी देवासी शर्मा कृति गौर दीप्ति सोलंकी निधि मगरी को आरोपी मानते हुए उन्हें 55 साल की सजा सुनाई है साथ ही दो दो हजार का जुर्माना भी लगाया है वहीं इस मामले की एक आरोपी को कोर्ट ने निर्दोष पाए जाने पर बाइज्जत बरी भी कर दिया है।
बता दें कि मध्य प्रदेश देश में रैगिंग होने के मामलों में राज्य की लिस्ट में टॉप फाइव पर बना हुआ है साल 2020 में मध्यप्रदेश रैगिंग के मामले में देश में दूसरे नंबर पर था यूजीसी ने रैगिंग से निपटने के लिए हेल्पलाइन नंबर 1800-180-5522 भी जारी किया है ।यूजीसी का मानना है कि इस टोल फ्री नंबर का लाभ रैगिंग से परेशान विद्यार्थी ले सकते हैं इसके अलावा अगर किसी के पास रैगिंग से संबंधित कोई गुप्त सूचना है तो वह भी इस नंबर पर अपनी शिकायत दर्ज करा सकता है फिलहाल यूजीसी के सामने आरकेडीएफ कॉलेज का मामला है देखना यह है कि यूजीसी इस मामले में स्वत संज्ञान लेता है या फिर कोर्ट की सर्टिफाइड कॉपी के साथ किसी शिकायत का इंतजार करता है।
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