विंध्य न्यूज़ खबर का हुआ असर
सीधी– बीते वर्ष 2020 से सीधी की स्वास्थ्य व्यवस्था बेपटरी है, स्वास्थ्य व्यवस्था तो नहीं सुधरी लेकिन वसूली के नाम पर पहले नंबर पर है। इसके पूर्व में भी कोविड-19 कर्मचारियों के रिनुअल के नाम पर जमकर रिश्वतखोरी की गई थी जहां जांच के नाम पर मामले पर लीपापोती कर दी गई है लेकिन आज तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है। ताजा मामला बीते 2 जनवरी का है जहां ईमानदारी से काम करने वाले कोविड-19 के कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था। शर्मनाक बात यह है कि क्राइटेरिया को अनदेखी कर जमकर वसूली के आरोप हैं।
पीड़ित नर्सों के द्वारा बताया गया कि एक डॉक्टर के द्वारा फोन कर 10 हज़ार रुपये की डिमांड की गई थी, नर्स ने कहा कि डॉक्टर के द्वारा कहा गया कि समानांतर सीएमएचओ 10 हज़ार रुपये ले रहे हैं। अगर करवाना है तो जल्दी से पैसा लेकर आ जाओ। नर्सों ने पैसा देने से मना कर दिया, पीड़ित नर्सों ने बातचीत में बताया कि क्राइटेरिया के तहत हम लोग पूरे मन से सेवा दिए हैं तथा कोरोना काल के दौरान कोई भी छुट्टी नहीं लिए हैं इस बार कई बार पॉजिटिव भी आ गए थे। पीड़ित नर्सों ने बताया कि हमने पैसा देने से इसलिए इनकार किया कि सभी नर्स बीएससी नर्सिंग से हैं और पूरे दिसंबर से जनवरी महीने तक फीवर क्लीनिक में 2 तारीख तक सेवा दिए हैं। इसके बावजूद भी रिश्वत का बोलबाला रहा और उन स्टाफ नर्सों की नियुक्ति की गई है जो जनवरी महीने में सेवा ही नहीं दिए हैं।
खानापूर्ति कर लौटे एसडीएम
नर्सों के अनुसार वसूली बाज डॉक्टर समानांतर सीएमएचओ का खास बताया जाता है। आरोप है कि उनके ही इशारे पर ही उक्त डॉक्टर ने वसूली की थी। बीते 6 जनवरी को एसडीएम नीलांबर मिश्रा जांच पर गए थे लेकिन जांच के नाम पर खानापूर्ति कर बैरंग वापस लौट आए। लेकिन उक्त पीड़ित नर्सो का कोई भी निराकरण नहीं हो पाया है। जहाँ 6 दिन से दर-दर भटकने को मजबूर हैं। शुरू से 2 जनवरी तक पूनम पटेल, रीना पटेल फीवर क्लीनिक में अपनी सेवा दी हैं तो वही प्रियंका पटेल प्रेग्नेंट होने के दौरान भी अप्रैल से लेकर जब तक जीएनएम चालू था अपनी सेवा दी हैं। वहीं रिश्वत के दम पर 4 स्टाफ का सिलेक्शन तो हो गया है लेकिन पैसा नहीं देने के कारण बांकी को हटा दिया गया है। तो वहीं प्रियंका कुशवाहा कोविड कंमाण्ड में 2 जनवरी तक अपनी सेवा दी है वही संगीता पटेल फीवर क्लीनिक के सैंपलिंग टीम मे 2 जनवरी तक अपनी सेवा दी है। वहीं चुरहट के फीवर क्लीनिक में 2 जनवरी तक आकांक्षा सिंह बघेल कार्यरत थी लेकिन उक्त नर्सों को बाहर का रास्ता दिखा दिया। वहीं चुरहट फीवर क्लीनिक में पदस्थ रीवा की स्टाफ नर्स जो महीने में गिनती की ड्यूटी करती थी उसको रखा गया है जिसको लेकर सभी नर्सों में आक्रोश व्याप्त है।
सवालों से बचते रहे एसडीएम
विंध्य न्यूज़ के द्वारा एसडीएम नीलांबर मिश्रा को मोबाइल फोन के माध्यम से जब उनका पक्ष जानने के लिए पूछा गया कि आप जांच पर गए थे, आपकी जांच पर क्या पाया गया ? जिस पर एसडीएम कोई संतुष्ट जनक जवाब नहीं दे पाए उन्होंने सिर्फ एक दो बैठक करने के बाद कुछ कह पाएंगे का जवाब दिए। बताया यह भी गया कि एसडीएम साहब सीधे बीएल मिश्रा के चेंबर में कुछ देर बैठे थे और वापस आ गए। सवाल यह है कि किसके संरक्षण पर इस तरह की अवैध वसूली की जाती है लेकिन कार्रवाई के नाम पर लीपापोती कर मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है। वहीं 2 जनवरी तक जिन स्टाफ नर्सों ने अपनी सेवा दी हैं उनकी तनख्वाह कौन देगा या फिर इनकी तनख्वाह रिश्वत देकर नौकरी पाने वाले को भी कर्मचारियों को मिलेगी। वहीं जिला प्रशासन के द्वारा उक्त पीड़ित नर्सों को 2 दिन का टाइम दिया गया था लेकिन 4 दिन बीत जाने के बावजूद भी कोई भी निराकरण नहीं हो पाया है जहां जिला प्रशासन के चक्कर काटने पड़ रहे हैं।
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